अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' Tag: कविता 571 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 27 May 2021 · 1 min read मौसम ने ली अँगड़ाई है मौसम ने ली अँगड़ाई है मौसम ने ली अँगड़ाई है घनघोर घटा छाई है मौसम सुहाना हो गया ये दिल दीवाना हो गया बारिश की झमाझम बूंदों से प्रेम का... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 44 150 1k Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 18 Apr 2022 · 1 min read हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन तुमसे रोशन दुनिया मेरी तुमसे रोशन जीवन मेरा पथ प्रदर्शक थे तुम मेरे तुमसे रोशन आशियाँ मेरा हे पिता अभिनन्दन तुम्हारा तुमसे ही था घर... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 17 34 751 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 13 Feb 2021 · 1 min read मुहब्बत के गीतों को मुहब्बत के गीतों को मुहब्बत के गीतों को लबों पर सजाये रखना यादों के चरागों को हमेशा जलाए रखना मुहब्बत के आशियाँ को सजाये रखना यादों का एक समंदर सजाये... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 36 892 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 9 Jul 2023 · 1 min read फ़ितरत फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है भाई अपने भाई से, जुदा हो गया है | रिश्तों की मर्यादा ने , सीमाएं लांघ दी हैं इंसानियत का जज़्बा... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 6 621 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 18 Sep 2022 · 1 min read पंछी ने एक दिन उड़ जाना है पंछी ने एक दिन , उड़ जाना है हाथ नहीं तेरे , कुछ आना है कैसे रिश्ते, कैसे बंधन साथ नहीं तेरे , कुछ जाना है रिश्ता केवल एक बनाना... Hindi · कविता 7 8 357 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 5 Jun 2021 · 1 min read पिघलते बादलों के बरसने का इंतज़ार है मुझे पिघलते बादलों के बरसने का इंतज़ार है मुझे पिघलते बादलों के बरसने का इंतज़ार है मुझे भीगती बयार का इंतज़ार है मुझे सजाये हैं प्रकृति से , आलिंगन के सपने... Hindi · कविता 6 14 260 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 5 Jun 2021 · 1 min read आयेंगे एक दिन सब माथा तुझे झुकाने आयेंगे एक दिन सब माथा तुझे झुकाने आयेंगे एक दिन सब माथा तुझे झुकाने हर लेना पीर सबकी, आयेंगे तुझे मनाने इस त्रासदी में प्रभुजी, द्वार बंद कर दिए हैं... Hindi · कविता 6 10 294 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 25 Jul 2021 · 1 min read बंदिशों में रहकर ही बंदिशों में रहकर ही बंदिशों में रहकर ही , संवरता है जीवन बंदिशों के आँचल तले , निखरता है जीवन | जो चंचल हो भटकता है , वो बिखरता है... Hindi · कविता 6 8 217 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 2 Nov 2021 · 1 min read अंतिम सत्य, ये मैंने जाना अंतिम सत्य ये , मैंने जाना अंतिम सत्य , ये मैंने जाना चार कन्धों पर होगा जाना क्या लाया था, क्या ले जाना क्यूं करें हम , कोई बहाना छूट... Hindi · कविता 6 10 182 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 1 Jan 2022 · 1 min read दीपक तले अंधेरा देखा हमने दीपक तले अंधेरा देखा हमने अपनों में परायापन देखा हमने दिखावा करते थे वह अपनी पाक मोहब्बत का मोहब्बत के आशियां को उजड़ते देखा हमने अपनों के अपनेपन के बहुत... Hindi · कविता 6 6 308 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 20 Apr 2022 · 1 min read खेतों की मेड़ , खेतों का जीवन खेतों की मेड़ , खेतों का जीवन पेड़ों की उपस्थिति , मानव का जीवन संस्कारों की माला , समाज का जीवन नवजात की मुस्कान , माँ का जीवन रिश्तों की... Hindi · कविता 6 2 534 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 5 Jun 2021 · 1 min read कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम कुदरत की अनुपम कलाकृति हैं हम पंचतत्वों से निर्मित एक परिपूर्ण मूर्ति स्वयं के उद्धार की संस्कृति से संस्कारित मुक्तिपथ के ज्ञान बोध से... Hindi · कविता 5 6 453 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 17 Jun 2021 · 1 min read जिन्दगी है तो उम्मीद भी है जिन्दगी है तो उम्मीद भी है जिन्दगी है तो उम्मीद भी है उम्मीद है तो आशाएं भी हैं आशाएं है तो सपने भी हैं सपने है तो लक्ष्य भी हैं... Hindi · कविता 5 4 298 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 17 Jun 2021 · 1 min read दिल के घावों को दिल के घावों को दिल के घावों को बरकरार रखना हर एक गम के लिए दिल में जगह रखना दिल में चुभोया है नश्तर जिन्होंने उन इंसानियत के गुनाहगारों को... Hindi · कविता 5 2 227 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 15 Jul 2021 · 2 min read हिंदी साहित्य जगत में अनेक सितारे हैं हिंदी साहित्य जगत में अनेक सितारे हैं हिंदी साहित्य जगत में , अनेक सितारे हैं कुछ टिमटिमाते तारे, कुछ सूर्य की तरह गरम अंगारे हैं कुछ स्वयं को साहित्य जगत... Hindi · कविता 5 6 334 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 15 Jul 2021 · 2 min read आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है आज जानकारियों का बढ़ गया भण्डार है कुछ सच्ची कुछ झूठी , कुछ की महिमा अपरम्पार है कुछ यू - ट्यूब पर चला... Hindi · कविता 5 4 461 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 25 Jul 2021 · 1 min read पीर दिलों की मिटा के पीर दिलों की मिटा के पीर दिलों की मिटा के , रोशन किया ज़ज्बा – ए - वतन मादरे वतन पर मर मिटने का ज़ज्बा सिखा गए | वतनफ़रोशी का... Hindi · कविता 5 6 281 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 12 Oct 2021 · 1 min read खुद से ही मिलेगी प्रेरणा खुद से ही मिलेगी प्रेरणा खुद से ही मिलेगी , प्रेरणा खुद से ही बुलंद होगा , आत्मविश्वास खुद से ही रोशन होगा , संस्कृति का कारवाँ खुद से ही... Hindi · कविता 5 2 184 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 26 Dec 2021 · 1 min read जग में प्यारा है तू जग में प्यारा है तू, सबसे न्यारा है तू सबकी आँखों का तारा , सबका प्यारा है तू फ़िक्र है सबकी तुझको, तेरे बच्चे हैं हम सच की राह चलें... Hindi · कविता 5 8 279 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 1 Jan 2022 · 1 min read वक्त के साथ जो चलोगे, तो सफल हो जाओगे वक्त के साथ जो चलोगे, तो सफल हो जाओगे वक्त की कद्र जो न की , तो बिखर जाओगे वक्त को अपनी मंजिल का हमसफर , जो बना लोगे तो... Hindi · कविता 5 14 439 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 24 Jan 2022 · 1 min read मेरी बिटिया रानी फ़ूलों की खुशबू सी महके, मेरी बिटिया रानी चंदा की चाँदनी सी चमके, मेरी बिटिया रानी संस्कारों से पोषित हो, मेरी बिटिया रानी आसमाँ पर चमके, मेरी बिटिया रानी आँचल... Hindi · कविता 5 8 1k Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 9 Nov 2022 · 1 min read गुमसुम सी साँसें क्यों हैं गुमसुम सी साँसें क्यों हैं बहक रही निगाहें क्यों हैं रिश्तों मे ये उफ़ क्यों है बहक रही जवानियाँ क्यों हैं सिसकती साँसों का समंदर रोशन क्यों है अपनों में... Hindi · कविता 5 97 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 5 May 2024 · 1 min read कुछ काम करो , कुछ काम करो *कुछ काम करो , कुछ काम करो* जग में अपना नाम करो भाग्य भरोसे मत बैठो तुम कुछ काम करो , कुछ काम करो आगे बढ़ना नियति तुम्हारी कर्म राह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 26 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 19 Apr 2021 · 1 min read इस ज़मीं को , चलो सितारों से सजा दें इस ज़मीं को चलो सितारों से सजा दें इस ज़मीं को चलो , सितारों से सजा दें क्यों दूर करें आसमां में , सितारों की तलाश इस ज़मीं को चलो... Hindi · कविता 4 2 405 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 28 Jun 2021 · 1 min read इंतिकाम से कुछ हासिल नहीं होता इंतिकाम से कुछ हासिल नहीं होता इंतिकाम से कुछ हासिल नहीं होता उस खुदा की इल्तिफ़ात (दया , कृपा ) से दोस्ती कर लो भटकने से कुछ हासिल नहीं होता... Hindi · कविता 4 2 328 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 28 Jun 2021 · 1 min read सपनों की महफ़िल सजायें सपनों की महफ़िल सजायें सपनों की महफिल सजायें . चलो कुछ नए गीत सजाएं तारों को धरती पर लायें . चलो चाँद पर होकर आयें | ढूंढकर उस खुदा का... Hindi · कविता 4 2 244 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 28 Jun 2021 · 2 min read कौन कहता है कौन कहता है कौन कहता है जिन्दगी अब सिसकती साँसों का हो गयी है नाम वक़्त के समंदर में कोशिशों की नाव चलाकर तो देख | कौन कहता है होठों... Hindi · कविता 4 2 298 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 2 Jul 2021 · 1 min read नारी नारी आज की आधुनिक नारी कतरा - दर कतरा जिन्दगी को संजोती नारी अपने आँचल में हौसलों का एह्सास लिये उम्मीदों का एक समंदर संजोती नारी जीवन मरू में प्यार... Hindi · कविता 4 12 411 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 2 Jul 2021 · 1 min read संवेदनाएं संवेदनाएं संवेदनाओं की दुनिया खोलती है एक नई कहानी भयमुक्त हो जाती हैं हमारी प्रार्थनाएं संवेदना एक संभावना नहीं अवसर है जीवन को भय मुक्त पथ पर अग्रसर करने का... Hindi · कविता 4 2 472 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 2 Jul 2021 · 1 min read चाहतों का एक समंदर चाहतों का एक समंदर चाहतों का एक समंदर रोशन कर सकूं तो अच्छा हो मुहब्बत का एक कारवाँ सजा सकूं तो अच्छा हो गीत पाक मुहब्बत के अपनी लेखनी का... Hindi · कविता 4 4 372 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 27 Jul 2021 · 1 min read तारों , सितारों में तुझे ढूंढता हूँ तारों , सितारों में तुझे ढूंढता हूँ तारों , सितारों में तुझे ढूंढता हूँ पवन की बयारों में तुझे ढूंढता हूँ | सूना है तू बसता है, हर एक के... Hindi · कविता 4 2 319 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 27 Jul 2021 · 1 min read पुस्तकों का आश्रय पाकर पुस्तकों का आश्रय पाकर पुस्तकों का आश्रय पाकर तुम जो चाहे बन सकते हो | चीर कर अज्ञान के तम को ज्ञान मार्ग पर बढ़ सकते हो | संस्कारों की... Hindi · कविता 4 14 350 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 28 Aug 2021 · 1 min read वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना ) वक्त नाजुक है ( कोरोना काल पर रचना ) वक्त नाजुक है , जरा संभलकर रहिये कोरोना की भीषण त्रासदी है, जरा बचकर रहिये | कैद कर लोगे जो खुद... Hindi · कविता 4 10 342 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 8 Oct 2021 · 1 min read बस अब और नहीं बस अब और नहीं फिल्मों में गालियों की बौछार तंग गलियों में सिसकते संस्कार बस अब और नहीं बुजुर्गों का तिरस्कार नारी पर होते अत्याचार बस अब और नहीं आधुनिक... Hindi · कविता 4 8 209 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 2 Nov 2021 · 1 min read पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं पाकर तुझे मैं अपना , जीवन संवार लूं खुद को तेरी राह पर , मैं निसार दूं हो जाऊँ तेरा शागिर्द ,... Hindi · कविता 4 6 368 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 17 Dec 2021 · 1 min read हमें चाहिए आजादी हमें चाहिए आजादी आजादी , कुविचारों से आजादी, आधुनिक संस्कारों से आजादी , दहकते युवा कुत्सित विचारों से आजादी, लव जेहाद जैसे कुविचारों से आजादी , धर्म के ठेकेदारों से... Hindi · कविता 4 8 331 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 20 Apr 2022 · 1 min read गैरों की क्या बात करें गैरों की क्या बात करें अपने ही हुए पराये बैठे हैं कल तक जो बातें करते थे आज मुंह फुलाए बैठे हैं हमें देख कभी जो मुस्काते थे आज मुंह... Hindi · कविता 4 4 452 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 14 Jun 2023 · 1 min read अपने चरणों की धूलि बना लो अपने चरणों की धूलि बना लो अपने चरणों की धूलि बना लो हे त्रिपुरारी हे बनवारी अभिलाषा पूरी करो मेरी चरण कमल जाऊं बलिहारी निर्मल , पावन हो मेरी काया... Poetry Writing Challenge · कविता 4 1 208 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 15 Feb 2021 · 1 min read कोरोना - 1 कोरोना किसी गरीब से पूछो कोरोना का असर दाने - दाने को मोहताज़ , जिन्दगी का सफ़र अपनों से दूर कर रहा , जिन्दगी की तलाश एक वायरस से बिछा... Hindi · कविता 3 230 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 23 Feb 2021 · 1 min read चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी चलो चलें वहां जहां मिले ख़ुशी चलो चलें वहां जहां पले ख़ुशी चलो चलें वहां जहां मिले शांति चलो चलें वहां जहां पले शांति... Hindi · कविता 3 225 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 20 Mar 2021 · 1 min read हे जीवन संगिनी हे जीवन संगिनी हे जीवन संगिनी , हे प्रिया वसुंधरा सा आँचल तेरा हे अर्धांगिनी , हे सुंदरी पूर्ण ज्योत्स्ना बरसातीं तुम के कामिनी , हे वधु तुम सरिता सी... Hindi · कविता 3 4 712 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 20 Mar 2021 · 1 min read कल्पना में क्यों जी रहे तुम कल्पना में क्यों जी रहे तुम कल्पना में क्यों जी रहे तुम जीवन को साकार करो तुम ज्ञान का अमृतपान करो शिक्षा को वरदान धरो तुम कल्पना में क्यों जी... Hindi · कविता 3 2 176 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 20 Mar 2021 · 1 min read कविता कहाँ गुम हो गई तुम कविता कहाँ गुम हो गई तुम आज कविता कहाँ गुम हो गई तुम युग बीते विचार बदले सामाजिक विकृतियाँ मानवीय विचारों पर हावी हो गयीं विषय – दर – विषय... Hindi · कविता 3 5 479 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 24 Mar 2021 · 1 min read कटु सत्य कटु सत्य कटु सत्य को तुम पहचानो परमेश्वर को अपना जानो कर्मभूमि के मालिक बन अपनी गरिमा को पहचानो कलियुग की करवट को जानो धर्म कसौटी को पहचानो करतब ,करम... Hindi · कविता 3 8 270 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 24 Mar 2021 · 1 min read आओ हम धारा एक बहायें आओ हम धारा एक बहायें आओ हम धारा एक बहायें सत्य अहिंसा को अपनायें प्रेम बहे चहुँ ओर दिशा में सत्यमार्ग को हम अपनायें कर्मपूर्ण बन जाए जीवन धर्मपूर्ण बन... Hindi · कविता 3 3 274 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 24 Mar 2021 · 1 min read हम बच्चे हम बच्चे हम इतने चंचल हैं क्यों ? हममे शालीनता नहीं है क्यों ? हम इतने उद्दण्ड हैं क्यों ? हममे सज्जनता नहीं है क्यों ? हमने अनुशासन को छोड़ा... Hindi · कविता 3 3 482 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 26 Mar 2021 · 1 min read छटा तेरी निराली मेरे भारत छटा तेरी निराली मेरे भारत छटा तेरी निराली तू लाजबाब है गरिमा तेरी निराली तू दुनिया का ताज है कहते हैं तुझको भारत तू बेमिसाल है नदियों का देश है... Hindi · कविता 3 4 261 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 4 Apr 2021 · 1 min read कभी नहीं चढ़ा, शोहरत का नशा कभी नहीं चढ़ा, शोहरत का नशा कभी नहीं चढ़ा, शोहरत का नशा वो पढ़ते रहे, मैं लिखता रहा चिंतन का समंदर , रोशन होता रहा वो पढ़ते रहे, मैं लिखता... Hindi · कविता 3 1 265 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 19 Apr 2021 · 1 min read वक़्त वक़्त वक़्त भी क्या , किसी को कुछ कहकर आता है कभी ये खुशियों की सौगात लाता है, तो कभी ग़मों का सैलाब लाता है वक़्त के तराजू को हाथों... Hindi · कविता 3 2 238 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 24 Apr 2021 · 1 min read जिन्दगी तुझ पर भरोसा किया हमने जिन्दगी तुझ पर भरोसा किया हमने जिन्दगी तुझ पर भरोसा किया हमने जाने ये क्या , सिला दिया तूने सोचते थे , मना लेंगे तुझे जाने क्यों , ठुकरा दिया... Hindi · कविता 3 2 260 Share Page 1 Next