बहुत खुबसूरत रचना।
कृपा”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढकर कृतार्थ करें।
शुक्रिया जी
beautiful creation.
Shukriya Ji
बहुत ही शानदार कविता आदरणीय।मेरी कविता वो कोई और नहीं पिता है और पिता रूप एक, स्वरूप अनेक का भी अवलोकन करें और कृतार्थ करने की महान कृपा करें
आभार जी l
अति सुन्दर
शुक्रिया जी
अति सुन्दर कविता
आपका आभार जी
अति सुंदर सर जी !
शुक्रिया जी
बहुत ही सुंदर रचना सर । मन कर रहा है कि कविता को पढ़ती ही जाऊं
शुक्रिया जी
बहुत सुंदर।मेरी रचना पिता की याद भी पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देकर मुझे कृतज्ञ करे
जी
पिता विषय पर आपकी अति सुंदर हेतु बहुत बहुत बधाई! मेरी रचना ‘कर्ज भरना पिता का न आसान है’ का अवलोकन भी अवश्य करें। यदि रचना अच्छी लगे तो आशीर्वाद स्वरूप लाइक व कमेंट भी दें।
जी
अति सुंदर रचना आपकी मान्यवर, कृपया मेरी रचना शीर्षक ” पिता – नीम की छाँव सा ” को नजर कर अपने विचार साझा करें , धन्यवाद आपका।
जी
बहुत खूबसूरत रचना।
शुक्रिया जी
श्रेयसी दुबे ,
यह रचना पिता पर हैं उस पिता पर जिसने हमारी दुनिया रोशन कर दि उस पिता पर जिन्होंने हमारा घर खुशियों से भर दिया,
ऐसे पिता का मैं वंदन करती हुं। बहुत ही सुन्दर रचना है सर।
धन्यवाद।
शुक्रिया जी
“हे पिता,करूँ मैं तेरा वंदन” अति सुन्दर काव्य रचना जी।
शुक्रिया जी
अति सुन्दर
आभार जी
अतिसुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
आभार श्याम जी
वाह बहुत खूब ।
शुक्रिया जी
वन्दनीय सृजन … भावपूर्ण … सुंदर कृति …आपका लेखन सराहनीय है । आदरणीय … उक्त शीर्षक पर मेरी मौलिक रचना “पिता महज एक व्यक्ति नहीं है” को अपना स्नेहाशीष प्रदान करें।
रचना पर पहुंच कर like & comment करें ।
शुक्रिया जी l