अमित निश्छल Tag: मुक्तक 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read प्रहरी, संवेदनहीन होता है प्रहरी, संवेदनहीन होता है ✒️ परिधि में प्रविष्ट होते ही गुंजायमान, चंट बादल की चपलता में पाशबद्ध, अमेय निश्छलता संदीप्त, स्वयंभू आदित्य समझता है, ऊर्ध्वगामी, वृहत नेत्रों से कांति बिखेरता,... Hindi · मुक्तक 1 4 337 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read चाँद, तू गैर है चाँद, तू गैर है ✒️ चाँद, तू गैर है, जानता हूँ... दिल के ख़्वाबों को सीने में पालता हूँ। एक नज़र तो देखेगा मुझको, तमाम उम्र इस जद्दोजेहद में काटता... Hindi · मुक्तक 262 Share अमित निश्छल 3 Apr 2018 · 1 min read चैत्र का मान चैत्र मास से पूछा खग ने, मीत कहाँ से तुम आये हो; मग में अपनी नूतनता नित, स्वर्णिम आभा बिखराये हो? या रवि की किरणें अब करतीं, पीछा तेरी ही... Hindi · मुक्तक 483 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read सरहदों पर चाँदनी ✒ बुझती निगाहें देखती हैं सरहदों पर चाँदनी, सरहदी उन्माद है शीर्ष पर चढ़ा हुआ, जीव एक मृत सा बैठा,बर्फ में सना हुआ, निशि की एकाकी शांतियों में सोचता है;... Hindi · मुक्तक 468 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read मैं कविता बनाता हूँ ✒ मैं कविता बनाता हूँ, लिखता नहीं सजाता हूँ; भावों से, विचारों से सद्बुद्धि से; निर्मोही हो अलगाता हूँ। ख़ुद से जुदा कर, स्वयं पर इठलाता हूँ; मैं कविता, बनाता... Hindi · मुक्तक 1 2 478 Share