AMRESH KUMAR VERMA 181 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next AMRESH KUMAR VERMA 5 Jul 2022 · 1 min read दौलत देती सोहरत प्रतिष्ठा देती यह धन-दौलत आज के अतुलनीय दौड़ में जिसके पार्श्व होते ये विपुल धन - दौलत भव्य, मुल्क में उसका गरोह में अलहदा ही रुतबा, ओहदा रहता है यहां... Hindi · कविता 2 1 1k Share AMRESH KUMAR VERMA 5 Jul 2022 · 1 min read प्रतिष्ठित मनुष्य पैसे सिंचित करने की चाह होती चुनिंदा नर, मनुज में पर व्यय करना चाहता सब सुलभेतर लगता श्रम करना कोई उमदा कार्य हेतु हमें सभ्य पंथ पर चलना होगा अल्प... Hindi · कविता 1 339 Share AMRESH KUMAR VERMA 5 Jul 2022 · 1 min read उजड़ती वने यह जमाना सहज - सहज दृढ़ीकरण तो कर रहा ये अनुमोदन के संग-संग ही प्राकृतिक संसाध्य को हम कर रहे हैं क्षति, विध्वंस पेड़ - पौधे हो रहे वीरान बस्ती... Hindi · कविता 238 Share AMRESH KUMAR VERMA 5 Jul 2022 · 1 min read बढ़ती आबादी आज काल के इस दौड़ में बढ़ती आबादी दुर्गम गाँठ यह रौनक इतनी बढ़ रही लगता अनागत संकटप्रद इसे रोकने हेतु सबों को प्रत्यक्ष, आगे आना होगा भविष्य को बचाना... Hindi · कविता 1 261 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read मजदूर- ए- औरत आजकल के इस दौड़ में औरते भी करती मजदूरी मजदूर मर्दों की विभांति जाके देखिये कई गांवों में कई महिलाओं के वल्लभ न है या अस्वस्थ, मद्यपी हैं वह अपने... Hindi · कविता 1 324 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read दो पल का जिंदगानी... ये जिंदगी हमारी तुम्हारी दो पल की है जिंदगानी तत्क्षण है कभी फिर ना रहेंगे इस भव, संसार में कभी खुशी कभी क्लेश अपनी प्रीति के लिए यदा किसी को... Hindi · कविता 1 483 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read मन का मोह यह मानस हमारा सदा से इधर से उधर भ्रमते रहता कभी कुछ तो कभी कुछ अभी है कहीं, विवेचना कुछ की, इरादा है कहीं यह चपल चित्त हमारा मन के... Hindi · कविता 519 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read शादी का उत्सव जब होती है ये शादी सब लोग झूमते गाते होते हर्षों - उल्लासित खाते-पीते मस्ती करते शादी का उत्सव भव में होता मनोहर, मनोरम शादी का नाम सुन के कुशा... Hindi · कविता 458 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read मीठी-मीठी बातें मीठी-मीठी बातें बहुधा होती कड़वी खलक में तुंग से दिखता किंचित अभ्यंतर होता कतिपय अगरचे आपसे कोई नर बिन रज:स्राव चौमासा के मानिंद करता मिष्ट बातें तो बोधना उसके प्रयोजन... Hindi · कविता 1 261 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read जीवन चक्र इस मृदुल से हयात में कभी खुशी कभी दुखी आते रहती सतत यहां आज अगर हम रंक तो कल को हो सकते शासक अभी श्रीमंत तो कल को हम क्षुधापीड़ित... Hindi · कविता 1 515 Share AMRESH KUMAR VERMA 4 Jul 2022 · 1 min read मजदूर की रोटी मजदूर करते हैं मजदूरी एक कनिष्ठ सी दिलासा अपने मानस में बांध के आज की रोटी मिल जाए हमें किसी भी आचरण से इसके लिए वो आतप में पसीने बहाते... Hindi · कविता 1 356 Share AMRESH KUMAR VERMA 28 Jun 2022 · 1 min read सच्चाई का मार्ग सच्चाई का मार्ग भव में होता बड़ा ही क्लेशप्रद इस पथ, डगर पे चलना सबों की बस की वार्ता न इस अतुल जहां में कैसो कैसो को यहां इस पंथ... Hindi · कविता 1 1 481 Share AMRESH KUMAR VERMA 28 Jun 2022 · 1 min read गुरूर का अंत अनोखी सी इस हयात में परमेश्वर ने सब मनुजों को एक जैसा प्रत्यक्षत भी न बनाया इस जग, संसार में गुरुत्व सबका जुदा, पृथक किंचित मानव इनसब पर करते फिरते... Hindi · कविता 1 463 Share AMRESH KUMAR VERMA 28 Jun 2022 · 1 min read ऊंची शिखर की उड़ान ये जिंदगी समग्र रूप से कबाहतों से ही है भरी यह अनुपमेय जिधर प्रत्येक जन, मर्त्य को हयात में आती दुश्वारें ये विघ्नें जब तक तभी यह अभूतपूर्व ज़िंदगी दुरूहें... Hindi · कविता 261 Share AMRESH KUMAR VERMA 28 Jun 2022 · 1 min read जिंदगी के अनमोल मोती नूतनकालीन के दौड़ में अखिल नर- नारी, मनुज चंद उभय के लिए वह बेच देते अपना आस्था इन न्यून टका से उन्हें क्या मिलता होगा ? इस अतुल से हयात... Hindi · कविता 170 Share AMRESH KUMAR VERMA 27 Jun 2022 · 1 min read पिंजरबद्ध प्राणी की चीख पिंजरबद्ध प्राणी चीख रहा हमें भी निर्गत, उद्गत होने दो इन दास्ताओं में मत बाँधो इनसे तुम्हें क्या मिलता है ? कैद पिंजरे मे रहने से हमें ऐसा प्रतीत होता... Hindi · कविता 1 397 Share AMRESH KUMAR VERMA 27 Jun 2022 · 1 min read मिठास- ए- ज़िन्दगी ये हयात बड़ी है मिठास पर अक्सर मानुजों को इन अनुपम से भुवन में इसकी माधुर्य की माधुरी लेने के लिए न आती है कईयों का इन मधु तक परे-पृथक... Hindi · कविता 1 210 Share AMRESH KUMAR VERMA 27 Jun 2022 · 1 min read कल खो जाएंगे हम चल दिए एक निर्वाह पर नित्य, सतत चलते जाएँगे जाते जाते एक दिवा हम खो जाएंगे इस भुवन में जिसका उद्भव हुआ यहां उसका व्रजन तय भव में आज न... Hindi · कविता 1 416 Share AMRESH KUMAR VERMA 27 Jun 2022 · 1 min read मंजिल की तलाश मैं एक हूं मुसाफिर चल दिया मंजिल की तलाश में पंथ पर न पथ का मालूम हमें न कोई ठौर ठिकाना बस चलते जा रहा... एक एक पग बढ़ाएं अपने... Hindi · कविता 1 544 Share AMRESH KUMAR VERMA 26 Jun 2022 · 1 min read ईश्वर की परछाई बच्चे होते इरादेवान इनका मन होता पाक जैसे परिक्षेत्र में रहते ये बालसुलभ से बच्चे बड़े होने पर वो वैसे ही स्वाभाविक बन जाते हैं वत्स को उत्तम परिधि में... Hindi · कविता 2 306 Share AMRESH KUMAR VERMA 26 Jun 2022 · 1 min read जाति- पाति, भेद- भाव जाति- पाति का भेद- भाव इस अनूठे से भव, जहां में कब से चलता आ रहा ? इसका कोई न ठौर ठिकाना यह भी न था पता खलक में कब... Hindi · कविता 2 2 1k Share AMRESH KUMAR VERMA 26 Jun 2022 · 1 min read कठपुतली न बनना हमें आज कल के इस दौड़ मे सब रुझान करता खिदमत कैंकर्य ही देश में सर्वोपरि सब चाहता यही खलक में दूसरे के पाणि की कठपुतली दूजे के अवर में वृत्ति... Hindi · कविता 2 783 Share AMRESH KUMAR VERMA 22 Jun 2022 · 1 min read गरीब की बारिश जब होती है ये बारिश गरीब की हयात होती दुर्लभ, दुष्कर जहां में विपुल आचरण से यह करती गरीबों की बर्बादी । जब विपुल होती बरखा दारिद्रय के निकेतनों में... Hindi · कविता 479 Share AMRESH KUMAR VERMA 21 Jun 2022 · 1 min read अति का अंत किसी भी नर, मनुजों के पार्श्व होता हद से अतिशय विभूति वही जर उसको करती बेसुध अति का अंत तय है भव में। किसी भी चीज का संसृति में मनुष्यों... Hindi · कविता 2 891 Share AMRESH KUMAR VERMA 16 Jun 2022 · 1 min read करोना दुनिया में हाहाकार मचाने वाला हर नर- नारी को घर में बंदकर जीवन को तबाह करने वाला वही था करोना, वही था करोना। जिसने हम इंसानों को भी मास्क पहने... Hindi · कविता 321 Share AMRESH KUMAR VERMA 16 Jun 2022 · 2 min read मजदूर की जिंदगी दिनभर जो करे श्रम जो अपने ईश्वरीय देन इन भुजाओं से कई के बनाए है महल, बिल्डिंग पर खुद वही झोपड़पट्टी में रहकर बताते हर लम्हें को मजदूरों की जिंदगी... Hindi · कविता 1 1k Share AMRESH KUMAR VERMA 16 Jun 2022 · 1 min read नवजीवन नवजीवन जब होता आगमन इस अनोखी सी जग, संसार में उसमें भरी रहती जोश, उत्साह नई ऊर्जा, उमंग और चेतना यहां। जब किसी व्यक्ति लगती ठेस और टकोर जब होती... Hindi · कविता 1 1 550 Share AMRESH KUMAR VERMA 16 Jun 2022 · 1 min read पारिवारिक बंधन हमारे ऊपर सदा से ही रहता परिवार का साया सपरिप्रेक्ष्य में हमसबों को देता सहचारिता यहां पर हमसबों को इस रत्नाभ पे सतत बंधे रहे इस बंधन में। कोई न... Hindi · कविता 1 433 Share AMRESH KUMAR VERMA 15 Jun 2022 · 1 min read आखिरी कोशिश इस अनोखी सी हयात में एक, दो न हजारों दुष्करें पार करनी पड़ती है हमें जब तक जीते है तब तक दुर्लभ-दुर्लभ ही नजर आती ऊँची शिखर को पाने हेतु... Hindi · कविता 2 315 Share AMRESH KUMAR VERMA 15 Jun 2022 · 1 min read भारतीय युवा जब जब कोई मातम छाते भारतीय युवा सम्मुख आते संकट को कुचल डाल कर प्रीति से रहते भारतीय युवा। भारतीय युवा वर्ग भव में क्या से क्या न कर सकते... Hindi · कविता 355 Share AMRESH KUMAR VERMA 15 Jun 2022 · 1 min read सुबह - सवेरा सुबह सवेरे का धूम्राभ कितना रम्य कितना चारु चित्त तो ऐसा करता हमारा हर पल ऐसा ही रहे परिवेश। अरुणोदय, प्रत्यूष जब खग मृदुल-सी शिरोधरा खोलकर चीं-चीं की आवाज से... Hindi · कविता 519 Share AMRESH KUMAR VERMA 14 Jun 2022 · 1 min read ईश्वर की जयघोश मानें तो हर घटक में ईश्वर न मानो तो किंचित भी न मानो तो पाषाण में कभी कुछ समय के लिए उनमें परमात्मा की आत्मा आती मानने पर प्रत्येक पदार्थ... Hindi · कविता 224 Share AMRESH KUMAR VERMA 12 Jun 2022 · 1 min read दुनिया की रीति इस जग में पैदा लेना फिर यही भव में मिटना पाँचों तत्वों में हमारा तन मिलकर विलीन हो जाता इतना समय के लिए यहां रिपु, वैरी भी बन जाता यहां... Hindi · कविता 1 283 Share AMRESH KUMAR VERMA 12 Jun 2022 · 1 min read कोई न अपना इस जग, संसार, सृष्टि में कोई न हो पाया अपना कोई भी कैसा भी रिश्ता कितना भी पकि पावन इस अनोखी सी सृष्टि में कोई हितक हमारा यहां ना हो... Hindi · कविता 1 264 Share AMRESH KUMAR VERMA 12 Jun 2022 · 1 min read माटी के पुतले जगत में जिनका हुआ आमद उसको जग से निश्चित ही जाना चाहे लाख यत्न करले कोई भी लेकिन जाना तय है ही भव से क्यों कर रहा लूट काट डकैती... Hindi · कविता 1 492 Share AMRESH KUMAR VERMA 12 Jun 2022 · 1 min read ए- वृहत् महामारी गरीबी इस जिंदगानी में गरीबी क्या से क्या करवा सकती ? गरीबी एक दैन्य समस्या जो छाई हुई पूर्ण भारत में भारत ही ऐसा मुल्क नहीं जहां निर्धन को भूखे हमल... Hindi · कविता 1 201 Share AMRESH KUMAR VERMA 11 Jun 2022 · 1 min read भारत की जाति व्यवस्था समानता- वैषम्य का भेदन न करना चाहिए इ- भव में सभी नर, मनुष्य को यहां इस जगत, संसार, सृष्टि में सभी को समीपस्थ रूप से है समानता का अधिकार। तुल्यता... Hindi · कविता 2 1 479 Share AMRESH KUMAR VERMA 11 Jun 2022 · 1 min read लूटपातों की हयात भारत में लूटपातों की अदद एक - दो न बीस - इक्कीस इसकी अदद विपुल वृहत् इस निरुपम से खलक में लूटपातों की हयात जग में बड़ी वेदना पूर्ण भरी... Hindi · कविता 227 Share AMRESH KUMAR VERMA 11 Jun 2022 · 1 min read बदलती दुनिया हमारी ये जगत, ख़लक है पूरी तरह कुंडलाकार हर लम्हे के संग संग ये बदलती रही है ये भुवन दुनिया में न कोई एदुजा अपना इस जग संसार में। इस... Hindi · कविता 2 207 Share AMRESH KUMAR VERMA 10 Jun 2022 · 1 min read ईश्वरीय फरिश्ता पिता पिता बच्चों के होते अरमान इन्हें रहते कभी भी अर्भ को न छू सकती मर्ज़, शिथिलता पिता का ह्रदय होता मनोरम । पिता अपने बौद्धभिक्षुओं को ले जाना चाहते ऊंचे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 2 388 Share AMRESH KUMAR VERMA 9 Jun 2022 · 1 min read घुतिवान- ए- मनुज किसी भी नर, मनुजों को उत्तम, अधम कार्य से ही उनको मिलती है पहचान यथार्थ के पंथ पर चल के श्रेष्ठ कार्यों से बनाए द्योतक तब भव में होगी घुतिवानता... Hindi · कविता 1 294 Share AMRESH KUMAR VERMA 8 Jun 2022 · 1 min read ए- अनूठा- हयात ईश्वरी देन किसी भी कृत्य, कार्य को अंजाम देने के लिए हमें होना चाहिए हमारे पार्श्व इस हयात में जोश, आवेग तब ही हम अपनें कार्य को दे सकते है हमसब अंजाम।... Hindi · कविता 2 254 Share AMRESH KUMAR VERMA 8 Jun 2022 · 1 min read संतुलन-ए-धरा हर चीज का इस भुवन में होना चाहिए उचित साम्य साम्यवस्था में रहने से ही सब कुछ ठीक होगी यहां। समभार के बिना ये हयात कभी न हो पाएगी संभव... Hindi · कविता 1 200 Share AMRESH KUMAR VERMA 6 Jun 2022 · 1 min read दर्द का अंत जब कोई अपना हमें कस्दन पहुंचाता ठेस आखिर उसकी दी हुई दुःख, दर्द या उत्पीड़न एक तरह से वो संताप, दुख देकर भी देता शाद। किसी के वसिले से हमें... Hindi · कविता 2 632 Share AMRESH KUMAR VERMA 2 Jun 2022 · 1 min read विधाता स्वरूप पिता जिन्होंने मेरे उद्भव के पश्चात अग्रु पकड़ पधारना सिखाया क्षुद्रता में बिस्किट, चॉकलेट मांगने पर कर देते अर्पण हमें वही हमारे ईश्वर स्वरूप पिता । जिन्होंने प्रसव में दुराल के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 8 725 Share AMRESH KUMAR VERMA 26 May 2022 · 1 min read चुनौती यह जिंदगी चुनौतियों से भरी आज ये प्रचारणा तो कल वो एक - दो न ही सौ - हजार जब तक हम, तब तक धौंस मृत्यु के बाद खत्म आह्वान... Hindi · कविता 4 3 525 Share AMRESH KUMAR VERMA 26 May 2022 · 1 min read सुहावना मौसम जब मौसम होती सुहावनी मन रहता सहृदय हमारा कोई भी कार्य करने में हमें प्रचुर मिलता मोद -आह्राद । दक्ष मौसम में चलती सुहावनी पवने इस परिप्रेक्ष्य, धूम्राभ में मानस... Hindi · कविता 1 524 Share AMRESH KUMAR VERMA 25 May 2022 · 1 min read कर्म पथ कर्म पथ के निर्वाह पर सदा हमें चलना होगा चाहे क्षोभ आए हजार इस जगत, संसार में हमें प्रत्यक्षत: भी ना ढहना, सहमना यहां कई बार हमें विश्व में शिसिक्त... Hindi · कविता 388 Share AMRESH KUMAR VERMA 25 May 2022 · 1 min read मां धरती जिसके बिन निश्रेणी संवित्ति इस भोली-भाली सी सृष्टि में जिसके बिना कुलीन भरना गमन धावना बड़ा दुस्साध्य। धरती अगर भू, धरा पर न रही तो लगेगी खाधन्न की किल्लत जिस... Hindi · कविता 1 211 Share AMRESH KUMAR VERMA 25 May 2022 · 1 min read अहंकार अपने इस विचित्र हयात में कभी भी अहंकार को कर नहीं करन उड़ेलना चाहना इस भव, भूमंडलीय जग में। अहंकृति जब होता इंसा में तो इंसान - इंसान न होता... Hindi · कविता 3 301 Share Previous Page 2 Next