Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2022 · 1 min read

ईश्वर की परछाई

बच्चे होते इरादेवान
इनका मन होता पाक
जैसे परिक्षेत्र में रहते
ये बालसुलभ से बच्चे
बड़े होने पर वो वैसे ही
स्वाभाविक बन जाते हैं
वत्स को उत्तम परिधि में
रखना एवं उत्तम वार्ता ही
सतत सिखलानी चाहिए
जो देखते, सीखते हैं वो
जैसे परिवेश में रहते यह
वैसा उनका बनना तय है ।

बच्चे होते प्यारे, न्यारे
उनका यह मृदुल हृदय
होता वृहत ही ब- पवित्र
उनकी बोली हुई वाणी में
होती कितनी है मिठास ?
ये प्रसव, फलप्रद तो होते
ईश्वर की परछाई भव में
कहा जाता कई मनुष्यों
पंडितों के द्वारा अर्भों मे
करता ईश्वर पद, निषेवण
जैसा मोहौल में पलते ये
वैसा ही आकर पाते यह ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कभी किसी की मदद कर के देखना
कभी किसी की मदद कर के देखना
shabina. Naaz
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
अपनी जिंदगी मे कुछ इस कदर मदहोश है हम,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
"शिष्ट लेखनी "
DrLakshman Jha Parimal
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
युवा अंगार
युवा अंगार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विधवा
विधवा
Acharya Rama Nand Mandal
दुश्मन जमाना बेटी का
दुश्मन जमाना बेटी का
लक्ष्मी सिंह
■ आज का दोहा-
■ आज का दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
प्रकाशित हो मिल गया, स्वाधीनता के घाम से
Pt. Brajesh Kumar Nayak
भक्त कवि श्रीजयदेव
भक्त कवि श्रीजयदेव
Pravesh Shinde
मेरी प्यारी हिंदी
मेरी प्यारी हिंदी
रेखा कापसे
विधाता का लेख
विधाता का लेख
rubichetanshukla 781
हे अयोध्या नाथ
हे अयोध्या नाथ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शमशान घाट
शमशान घाट
Satish Srijan
वक़्त होता
वक़्त होता
Dr fauzia Naseem shad
जालिमों तुम खोप्ते रहो सीने में खंजर
जालिमों तुम खोप्ते रहो सीने में खंजर
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
स्वप्न लोक के वासी भी जगते- सोते हैं।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
अच्छा लगने लगा है उसे
अच्छा लगने लगा है उसे
Vijay Nayak
ईश्वर के रहते भी / MUSAFIR BAITHA
ईश्वर के रहते भी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*हमारे घर आईं देवी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
चैन से जिंदगी
चैन से जिंदगी
Basant Bhagawan Roy
"कहाँ छुपोगे?"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों इतना मुश्किल है
क्यों इतना मुश्किल है
Surinder blackpen
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कोशिश
कोशिश
विजय कुमार अग्रवाल
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
माँ (खड़ी हूँ मैं बुलंदी पर मगर आधार तुम हो माँ)
Dr Archana Gupta
Really true nature and Cloud.
Really true nature and Cloud.
Neeraj Agarwal
Loading...