अजय कुमार मिश्र 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अजय कुमार मिश्र 2 May 2017 · 1 min read बेबस को सताना ही अब दस्तूर हो गया कुछ इस तरह ज़माने का दस्तूर हो गया थोड़ा जो उठ गया वो मद में चूर हो गया/ चलती है ये दुनिया तो उन्हीं के ही सहारे अब तो हर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 320 Share अजय कुमार मिश्र 28 Apr 2017 · 1 min read दो माचिस की डिबिया ये लाइक भी ले लो ये माइक भी ले लो भले छीन लो मुझसे संचार यंत्र ये ज्ञानी। मगर मुझको लौटा दो वो बचपन का साधन दो माचिस की डिबिया... Hindi · कविता 590 Share अजय कुमार मिश्र 8 Apr 2017 · 1 min read दर्द अपने मैं काग़ज़ पर उतार देता हूँ सिलसिला दर्द का थम गया होता, तू अगर मेरा ही बन गया होता, मुश्किलें मुझको तब तोड़तीं कैसे, सामने उनके तो मैं तन गया होता! टूटा हूँ इतना अब तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 541 Share अजय कुमार मिश्र 7 Apr 2017 · 1 min read हर कोई इतना ही अब दिलदार होना चाहिए बिक रहा है झूठ तो इस क़दर जहान में, सच का भी तो कोई बाज़ार होना चाहिए/ नेक राहों पर जो चलना चाहता हर क़दम, उसको तो हर हाल में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share अजय कुमार मिश्र 6 Apr 2017 · 1 min read मेरी तरह वो भी बिखरता होगा आया निकल मैं गाँव से दूर, पता कोई मेरा पूछता होगा। बात मन की वो कह न सके, बस निगाहों से ढूँढता होगा। दूर उससे हो आँखें हैं सजल, मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 219 Share अजय कुमार मिश्र 4 Apr 2017 · 1 min read पसीने से ख़ुद को तो भिगाया करो ग़म की हो या हो ख़ुशी का ही पल दोस्तों को तुम मत भूल जाया करो/ रिश्तों में कुछ नयापन सा आ जाएगा संग उनके तो महफ़िल सजाया करो/ मिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 624 Share अजय कुमार मिश्र 3 Apr 2017 · 1 min read मुक्तक (1) ख़्वाब बुनता हूँ फिर उनको तोड़ जाता हूँ, ख़ुद को मैं तो हक़ीक़त से जोड़ जाता हूँ, कुछ ख़्वाब जीवन को बोझिल कर देते, ऐसे ख़्वाबों से तो मैं... Hindi · मुक्तक 331 Share अजय कुमार मिश्र 7 Mar 2017 · 1 min read हौसला ज़िंदा १ ख़ामोश रात, सुलगा अहसास, तुम बिन मैं! २ ज़िंदगी जंग, किसी का नहीं संग, फिर भी रंग! ३ रोटी महँगी, है ज़िंदगी सस्ती, भूखी बस्ती! ४ मार्ग कठिन, मन... Hindi · हाइकु 475 Share अजय कुमार मिश्र 25 Feb 2017 · 4 min read प्रेम का ज्वार : भाग-२ प्रेम का ज्वार-भाग-२ ------------------- समय इसी तरह गुज़रता रहा । मेरा रुझान सिविल सेवा की ओर था , परंतु उसके लिए निर्धारित न्यूनतम आयु से मेरी उम्र काफ़ी कम थी... Hindi · कहानी 455 Share अजय कुमार मिश्र 17 Feb 2017 · 1 min read आँखों में पानी क्यों नहीं ढूँढ रहा हूँ मैं तो जवाब इस सवाल का वतन पर मिटती है अब जवानी क्यों नहीं/ इस धरा पर दूर तक सागर का विस्तार है पर रही लोगों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share अजय कुमार मिश्र 17 Feb 2017 · 1 min read न जाने किस घड़ी में ज़िंदगी की शाम हो जाए जीवन के हर पल को खुलकर ही तुम जी लो, न जाने किस घड़ी में ज़िंदगी की शाम हो जाए। राह मुश्किल भी हो तो आगे बढ़ना ही मत छोड़ो,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 576 Share अजय कुमार मिश्र 15 Feb 2017 · 1 min read ऐ ज़िन्दगी, तूने बनाया ही कितना रूप है ऐ ज़िंदगी , तूने तो बनाया ही कितना रूप है, कैसे-कैसे रंग अब तक मुझको दिखाती रही। समझ आया नहीं मुझको तेरा ये फ़लसफ़ा, किसी को दिया बहुत, किसी को... Hindi · कविता 183 Share अजय कुमार मिश्र 15 Feb 2017 · 1 min read देती है मुझे मौन वेदना शब्दों की तराश करता हूँ, गीत नए-नए ही बुनता हूँ, जिन राहों में बिखरे काँटे हों, ऐसी डगर ही चुनता हूँ। है मेरी दु:साध्य साधना , देती है मुझे मौन... Hindi · कविता 353 Share अजय कुमार मिश्र 14 Feb 2017 · 1 min read एक मुक्तक एक मुक्तक ख़याल ही अब तो बे ख़याल हो गए जवाब भी अब तो ख़ुद सवाल हो गए जिनकी ख़ातिर मैंने लूटाया ख़ुद को उन्हीं की निगाह में हम कंगाल... Hindi · कविता 263 Share अजय कुमार मिश्र 14 Feb 2017 · 1 min read साथ ऐसा तुम मेरा निभाया करो साथ ऐसा तुम मेरा निभाया करो, मेरे जीवन का साया बन जाया करो। थककर ठहरूँ मैं जब भी घनी धूप में, तुम पेड़ों की छाया बन जाया करो। पीड़ा हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 226 Share अजय कुमार मिश्र 13 Feb 2017 · 1 min read तेरे प्यार का अहसास मुझको मुक्त करता है बड़ी फुरसत से ख़ुदा ने तेरी सूरत बनायी है तभी तो तूने सूरत में ख़ुदा का नूर पायी है। मेरी हर सुबह तेरी इबादत से शुरू होती पर शाम का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 389 Share अजय कुमार मिश्र 13 Feb 2017 · 1 min read थोड़ी राह ही शेष है पाँव में छालें बहुत हैं , दूर तक कैसे चलूँ , पथ तो है अग्नि सरीखा , पार अब कैसे करूँ । पाँवों के मेरे ये छालें, मुझसे लेकिन कह... Hindi · कविता 322 Share अजय कुमार मिश्र 12 Feb 2017 · 5 min read मेरा वेलेंटाइन ज्ञान आजकल एक वीक चल रहा है , जिसका समापन एक विशेष डे से होगा। रोज कोई न कोई डे का पता चल रहा है । इससे बहुत ज्ञानवर्धन भी हो... Hindi · लेख 278 Share अजय कुमार मिश्र 9 Feb 2017 · 1 min read अभिलाषा के पंख फैलाओ अभिलाषा के पंख फैलाओ कर्मों का विस्तार करो, स्वेद बिंदुओं से सिंचित कर सपनों को साकार करो। मिलता उसको तो उतना ही जितना ही वो कर्म किया, जीवन को समझा... Hindi · कविता 389 Share अजय कुमार मिश्र 9 Feb 2017 · 1 min read ये जीवन है चंद वर्षों की ये जीवन है चंद वर्षों की , फ़िक्र में क्यूँ इसे गुज़ारूँ मैं, हक़ीक़त से रु-ब-रु होकर, क्यूँ न हर पल इसे सँवारू मैं। कर्मों को निखार करके ही ,... Hindi · कविता 387 Share अजय कुमार मिश्र 9 Feb 2017 · 1 min read ज़िंदगी की राह आसान हो जाए हो हौसला तो मुश्किलें परेशान हो जायें, राह की बाधाएँ ही ख़ुद हैरान हो जायें, हर हाल में होंठों पे जो मुस्कान आ जाये, फिर ज़िंदगी की राह तो आसान... Hindi · कविता 226 Share अजय कुमार मिश्र 8 Feb 2017 · 1 min read कविता भी बनी प्रोडक्ट है अजब है दुनिया यहाँ चलती का नाम ही गाड़ी है, चलते-चलते ठहर गया जो वो तो राहों का अनाड़ी है। अब तो ये दुनिया बनी ही बाज़ार है आकर्षित आवरण... Hindi · कविता 573 Share अजय कुमार मिश्र 8 Feb 2017 · 1 min read ख़यालों में उनके उलझने लगे हैं नज़र ये मिली है उनसे ही जबसे हसरतें तो दिल के सँवरने लगे हैं। दिल में मेरे तो अब उमंगें जगी हैं साज तो दिल के भी बज़ने लगे है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 225 Share अजय कुमार मिश्र 6 Feb 2017 · 1 min read वो क़ीमत लगाने आ गए बिक रहे थे जज़्बात मेरे वो क़ीमत लगाने आ गए/ भर रहे थे जो ज़ख़्म मेरे फिर से जगाने आ गए/ फूलों को महक रहा था ख़ुशबू ही चुराने आ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share अजय कुमार मिश्र 2 Feb 2017 · 1 min read ज़िंदगी की दौड़ ज़िंदगी बढ़ रही आगे-आगे , आगे -आगे, मैं इसके ही पीछे दौड़ रहा भागे-भागे,भागे-भागे। पर पकड़ न पाता, क्योंकि कभी रफ़्तार, इसकी होती तेज़ और कभी दिखता ही नहीं रास्ता।... Hindi · कविता 247 Share अजय कुमार मिश्र 1 Feb 2017 · 1 min read ऋतु बसन्त आ ही गया है वसुधा का श्रृंगार किया है नूतन उमंग नव आस लिए ऋतु बसन्त आ ही गया है जीवन में तो उल्लास लिए। सूरज की तंद्रा अब भंग हुई शीत की चुभन... Hindi · कविता 282 Share अजय कुमार मिश्र 21 Jan 2017 · 1 min read मुझसे रु-ब-रु तो हो आए हो मुझसे मिलने तुम मुद्दतों के बाद दे सकते क्या वक़्त का सौग़ात भी नहीं/ आते ही तुम क्यूँ कह रहे जाने को तो ही अभी तो हुई है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 316 Share अजय कुमार मिश्र 21 Jan 2017 · 4 min read प्रेम का ज्वार-१ भाग-१- प्रेम का ज्वार ----------------- प्रीति बेलि जिनी अरुझे कोई,अरुझे मूए न छूटे सोई। प्रीति बेलि ऐसे तन बाढ़ा,पलुहत सुख बाढ़त दुःख बाढ़ा। प्रीति अकेली बेलि चढ़ जावा,दूजा बेलि न... Hindi · कहानी 459 Share अजय कुमार मिश्र 21 Jan 2017 · 1 min read फिर ज़रूरत क्या रोशनी की रहनुमा जब हो ही जाय अंधा क्या ज़रूरत फिर रोशनी की। जहाँ चीख़ों को कोई सुने नहीं वहाँ कौन सुनेगा सिसकी की। Hindi · शेर 207 Share अजय कुमार मिश्र 21 Jan 2017 · 1 min read पुत्रियाँ पुत्र की चाहत,हो उसी की बादशाहत हमारे समाज की यही मनोवृत्ति है, पुत्री के जन्म पर होना झल्लाहट, नारी के प्रगति में बनी हुयी भित्ति है। हमने सारे सपने पुत्र... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2k Share अजय कुमार मिश्र 21 Jan 2017 · 1 min read काँटों पर चलने की तो मेरी फ़ितरत हो गयी जब मैं पाया उसको ही सारी राह में बिखरे हुए काँटों पर चलने की तो मेरी भी फ़ितरत हो गयी/ जब मैं चाहा बन चिराग़ दुनिया को रोशन करूँ इन... Hindi · कविता 1 1 318 Share