विजय कुमार नामदेव Language: Hindi 87 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 विजय कुमार नामदेव 8 Nov 2018 · 1 min read मेरी अनपढ़ माँ मेरी अनपढ़ माँ जिसे नहीं पता शब्दों के अर्थ लोभ-लालच, छल-कपट उसके लिए सब हैं व्यर्थ जोड़-घटाना, गुणा-भाग कर उसने कभी नहीं जोड़ा मूलधन में ब्याज उसका प्रेम निस्वार्थ ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 27 635 Share विजय कुमार नामदेव 10 Jul 2018 · 1 min read ये करोगे दर्द दोगे। ये करोगे।। अच्छा रसघट। तुम भरोगे।। प्यार में तुम। क्या मरोगे।। पास हम,तुम। दूर होगे।। ख़्वाब है ये। संग चलोगे। क्या कहूँ मैं। क्या कहोगे।। विजय मेरे। तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 377 Share विजय कुमार नामदेव 20 Jun 2018 · 1 min read चाहा तो है मैं किसके सपने बुन-बुन कर खुद को धन्य समझ बैठा था। पता चला है आज वो मुझसे, बचपन से बैठा ऐंठा था। मैं अभिमानी, ओ!अज्ञानी किसको जीवन समझ लिया था।... Hindi · कविता 528 Share विजय कुमार नामदेव 29 Mar 2018 · 1 min read ज़ज़्बा जब-जब तुमसे मिला करेंगे। प्यार की रब से दुआ करेंगे।। तेरा दामन रहे चमकता। दीपक बनकर जला करेंगे।। हौसला जब तक है जज्बों में। ख्वाब हृदय में पला करेंगे।। गैरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 317 Share विजय कुमार नामदेव 6 Jan 2018 · 1 min read फिर भी तन्हा रात अचानक /ख्बाब में आकर मुझे जगा कहने लगीं तुम याद है ये सुबह /ऐसे ही पंछी ये दरख्त /सबके सब मायूस हैं ये बिन तुम्हारे और /मैं भी होठों... Hindi · कविता 641 Share विजय कुमार नामदेव 27 Dec 2017 · 1 min read रिश्ता उनसे रिश्ता उनसे रोज़ निभाना पड़ता है। शाम ढले घर लौट के जाना पड़ता है।। धीरे धीरे सबको अच्छा लगता है। पहले तो माहौल बनाना पड़ता है।।। रोज़ हमें दो जून... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 308 Share विजय कुमार नामदेव 21 Dec 2017 · 1 min read लिखो समस्या दर्द भरी अब ग़ज़ल ना लिख। सबकुछ लिख वो पल ना लिख।। लिखना है तो लिखो समस्या। लेकिन उसका हल ना लिख।। मेरे खातिर रोने वाली। उन आँखो में जल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 486 Share विजय कुमार नामदेव 17 Dec 2017 · 1 min read ज़िन्दगी जिन्दगी जलने लगी है इन सुखों की छांव में। चैन ओ अमन तो आये अपने बूढ़े गांव में।। शहर में सुख सब मिले पर मन परेशां ही रहा। गांव में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 631 Share विजय कुमार नामदेव 13 Dec 2017 · 1 min read अहसास प्रेम अहसास है अहसान नही प्यार शब्द नही अहसास है, विश्वास है अहसास ये कि तुम मेरी हो विश्वास ये कि तुम सिर्फ मेरी हो राधा कृष्ण प्रेम के पर्याय... Hindi · कविता 506 Share विजय कुमार नामदेव 10 Nov 2017 · 1 min read बाज़ार लगता है मैं कुछ अच्छा कहूं तो भी तुझे बेकार लगता है। ये एक दो बार नहीं रे तुझको तो हर बार लगता है।। मैं दिल से तो नहीं कहता फ़क़त मेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 612 Share विजय कुमार नामदेव 5 Nov 2017 · 1 min read बेटी मजदूर की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में पानी लाती है चाय कलेवा बना साफ सफाई चौका बर्तन झाड़ू पौछा फिर क्या करती होगी मुझे पता नही, पर जब शाम को जब मैं लौटता हूँ... Hindi · कविता 719 Share विजय कुमार नामदेव 16 Oct 2017 · 1 min read बहिन जी प्रगति पथ पर बढ़ो बहिन जी। शिखर सब ऊँचे चढ़ो बहिन जी।। बैठे-बैठे कब क्या होगा। पड़े-पड़े मत सड़ो बहिन जी भाई का भी नाम न डूबे। चौके-छक्के जड़ो बहिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 786 Share विजय कुमार नामदेव 4 Sep 2017 · 1 min read ठीक नही खूब चाहा हमसे पर होता नही। उसके दिल में अपना घर होता नही।। मैं तेरा सर काँधे पे रखता सनम। इस पे गर ये मेरा सर होता नही।। हर किसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 333 Share विजय कुमार नामदेव 8 Aug 2017 · 1 min read मेरी तुम मेरी तुम .................... संग तुम्हारा गीत सा, ज्यों स्वर के संग ताल।। पहले सब बेरंग था, अब जीवन खुशहाल।। गीत सदा गाते रहो, सुख सपनों के आप। भूले से भी... Hindi · कविता 621 Share विजय कुमार नामदेव 10 Jun 2017 · 1 min read सच कहकर अपने मन को यूं ही मत भरमाओ जी।। गीत वफ़ा के एक दफ़ा तो गाओ जी।। खूब चलाओ गोली सीमा पर जाकर।। पर किसान पर गोली नही चलाओ जी।। दिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 407 Share विजय कुमार नामदेव 28 May 2017 · 1 min read दफ्तर यहां पल रहे अस्तीनों में विषधर यहां। अपनों को ही निकलते अजगर यहां।। क्या तमाशा देखिए इनका तमाशा। लड़ते हैं आपस में बाजीगर यहां।। दोस्तों किसको सुनाये राज ए दिल। दिलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share विजय कुमार नामदेव 20 May 2017 · 1 min read पांव में जिंदगी जलने लगी है इन सुखों की छांव में। चैनो-अमन हम छोड़ आए अपने बूढ़े गांव में। शहर में सुख सब मिले पर मन परेशा ही रहा। गांव में गम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 905 Share विजय कुमार नामदेव 7 May 2017 · 1 min read हमदम मद्धम मद्धम। ज्यादा या कम।। दस्तक देता। कोई हमदम।। इतना प्यारा। जैसे शबनम।। तुम मेरे तो। फिर कैसा गम।। विजय परेशां। हरपल हमदम।। 9424750038 Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 302 Share विजय कुमार नामदेव 17 Apr 2017 · 1 min read आंखे दो आंखों की जेल में उसकी हम गिरफ्तार रहे हैं। एक जमाने से इस दिल में वो सरकार रहे हैं।। पूछ रहे हो मुझसे तुम क्या तुमने प्यार किया है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share विजय कुमार नामदेव 15 Apr 2017 · 1 min read यादों के जंगल यादों के जंगल आने दो। साथ बिताये पल आने दो।। समस्याएं बहुत गिनाई। अब तो इनका हल आने दो।। आंसू आह दर्द को छोड़ो। मेहंदी अरु काजल आने दो।। खुशियां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 397 Share विजय कुमार नामदेव 14 Apr 2017 · 1 min read बरहम सी ज़िन्दगी बरहम सी जिंदगी है सँवार दो तो अच्छा है। दर्द दिया ठीक किया करार दो तो अच्छा है।। मैंने तुझसे जिंदगी में और क्या चाहा खुदा बस। प्यार भरी जिंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 794 Share विजय कुमार नामदेव 9 Apr 2017 · 1 min read दिखता है और क्या-क्या ना यार दिखता । प्यार अब इश्तिहार दिखता है।। पढ़े-लिखे गुलाम अपढ़ो के। देश सारा बिहार दिखता है।। दूर हो तुम तो मुझको यह। शहर मच्छी बाजार दिखता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 639 Share विजय कुमार नामदेव 8 Apr 2017 · 1 min read चिठ्ठियां इन दोस्तों ने कितनी लिखायी थी चिठ्ठियां उनकी सहेलियों को भी भायी थी चिठ्ठियां।। पेड़ों पे फूल पत्तों सी आई गई मगर। उसने ना अब तलक वो जलाई थी चिठ्ठियां।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 441 Share विजय कुमार नामदेव 4 Apr 2017 · 1 min read जान के दुश्मन जान के दुश्मन मन में रहकर पलते हैं मेरे दीये तेरी यादों से जलते हैं दोस्त जिन्हें इल्म मैं तेरा आशिक हूं तेरे नाम की देके दुहाई छलते है अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share विजय कुमार नामदेव 21 Mar 2017 · 1 min read राम से ेशर्म की कलम से हर चमन और हर कली के नाम से, हैं आज कल कुछ रोज से बदनाम से प्यार क्या कैसी वफ़ा क्या हसरतें, चीज सब मिलती हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 391 Share विजय कुमार नामदेव 19 Mar 2017 · 1 min read गधा परेशान है छेड़ते हुये जो मुझे, मेरा एक छात्र बोला... सर जी सुना है आप, बड़े विद्यवान हैँ... बाई बतियाती घरे, कक्का बतियाती घर.., पुरा भर के कहते हैँ कि, आप तो... Hindi · कविता 1 675 Share विजय कुमार नामदेव 18 Mar 2017 · 1 min read हज़ल हज़ल। भूरे लोग करिया लोग। तपे हुए है सरिया लोग।। ज्यादा शान दिखाते अक्सर। दिखने वाले मरिया लोग।। बीती बातें सिखलाती हैं। बने ना दिल से दरिया लोग।। नकल पश्चिची... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 459 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2017 · 1 min read दो लफ्ज़ बेशर्म की कलम से दो लफ्ज़ प्यार के दो लफ्ज़ प्यार के गर मेरे नाम लिख देते। तुम्हारे नाम ये किस्सा तमाम लिख देते।। सुबह की धूप सी तुम एक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 753 Share विजय कुमार नामदेव 19 Feb 2017 · 1 min read ख्वाब शशि के बेशर्म की कलम से ख्वाब शशि के कहने को अपवाद रहा हूँ। पर आंसू सा रोज बहा हूँ।। अंधियारी जीवन रजनी में। ख्वाब शशि के देख रहा हूँ।। कितनी बार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 661 Share विजय कुमार नामदेव 18 Feb 2017 · 1 min read आ रहे है बेशर्म की कलम से आ रहे हैं दिन दिन निखरते जा रहे हैं।।। क्या अच्छे दिन आ रहे हैं। अपने घर का गेहूं जाने। किस चक्की पर पिसा रहे हैं।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 614 Share विजय कुमार नामदेव 16 Feb 2017 · 1 min read दूर नही बेशर्म की कलम से मुझसे दोनों जहान दूर नही। दोस्त अब आसमान दूर नही।। कुछ और पढ़ लो इश्क़ के पन्ने। प्यार का इम्तिहान दूर नही।। जो भी कहना है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 531 Share विजय कुमार नामदेव 14 Feb 2017 · 1 min read ठाठ रहे रे बेशर्म की कलम से बुंदेली पुट अरे कछु ने कर रय हैं सब घिरया के धर रय हैं।। पुलिया सड़क गिट्टी को पैसा। ठूंस - ठूंस के भर रय हैं।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 644 Share विजय कुमार नामदेव 4 Feb 2017 · 1 min read बाँट रहे रे बेशर्म की कलम से अब ना अपने ठाठ रहे रे। निज जख्मों को चाट रहे रे।। कलतक जो मेरे अपने थे। वो ही मुझको डांट रहे रे।। क्रीम पावडर के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 601 Share विजय कुमार नामदेव 2 Feb 2017 · 1 min read तू जो कह दे बेशर्म की कलम से मैं तेरे प्यार की कीमत भी चुका सकता हूँ। तू जो कह दे तो मैं तुझको भी भुला सकता हूँ। मैंने माना कि तूने जाग जाग... Hindi · कविता 487 Share विजय कुमार नामदेव 2 Feb 2017 · 1 min read शाम डरते हुए बेशर्म की कलम से शाम डरते हुए रोज कितने मुख़ौटे लगाता हूँ मैं। हर रिश्ते को दिल से निभाता हूँ मैं।। तुम जिन्हें चाँद तारे या सूरज कहो। उनको शाला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 499 Share विजय कुमार नामदेव 13 Jan 2017 · 1 min read बेशरम दिल ही है बेशर्म या दिलदार बेशरम। करना नही है प्यार का व्यापार बेशरम।। लड़ने पे है अमादा तो लड़ता नही क्योकर। क्यों डर के भाग जाता है हर बार... Hindi · कविता 1 957 Share विजय कुमार नामदेव 12 Jan 2017 · 1 min read बेटी है तो घर, घर है गर घर में बेटी है बेटी है तो खेल हैं,खिलौने हैं मीठी-सी बोली है ढेर सारे सपने हैं हँसी है, ठिठोली है बेटी है तो गुड्डे हैं,... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 8k Share Previous Page 2