विजय कुमार नामदेव Language: Hindi 91 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नई कार भालू ने ली नई-नई कार। बड़ी शान से गया बाजार।। लड्डू पेड़ा और मिठाई । लेकर आए भालू भाई।। बहुत हुए खुश उसके बच्चे। पापा अपने कितने अच्छे।। सिग्नल तोड़ा... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 226 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read हाथी की शादी कूद-कूद कर बंदर देखो बजा रहा था वह बाजा।। भालू नाचे जोर-जोर से नाचे जंगल का राजा।। हाथी बन गए दूल्हे राजा हथनी है दुल्हन प्यारी।। सारा जंगल खुशी मनाएं।... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 256 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गुब्बारे नीले-पीले यह गुब्बारे। लगते देखो कितने प्यारे।। पापा हमको पैसे दे दो गुब्बारे हम लाएंगे। खेलेंगे हम बच्चे सारे मुनिया को भी खिलाएंगे।। डब्लू ,बबलू, चुन्नू, मुन्नू गुब्बारे लेने आए।... Poetry Writing Challenge-2 265 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read प्यारे बादल कितने प्यारे बादल दिखते। काले-भूरे और सफेद।। कहां से लाते पानी इतना हम बच्चे न जाने भेद।। बूंदे छुपा-छुपा कर रख ली और छुपा लेता तारे। छुपा लिया चंदा को... Poetry Writing Challenge-2 310 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गणपति बप्पा खाते हैं लड्डू ये गोल गणपति बप्पा की जय बोल। चूहे की ये करे सबारी। मगर वजन में कितने भारी।। हाथों में रखते हैं भाल। गौरा मां के ये हैं... Poetry Writing Challenge-2 171 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read ईश वन्दना हे ईश्वर यह शक्ति देना सबसे हो अच्छा व्यवहार।। सदा बड़ों के चरण गहे हम छोटे से हो प्यार आपार।।। शक्ति देना, भक्ति देना और देना हमको तुम ज्ञान। विनती... Poetry Writing Challenge-2 321 Share विजय कुमार नामदेव 3 Feb 2024 · 1 min read तब जानोगे कितना प्यार किया है तुमसे, जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे। थोड़ा-थोड़ा करके खुद को, सौंप दिया है पूरा तुमको तोड़ो, जोड़ो या बिखरा दो, इससे क्या लेना है हमको। सहज मिलन... Hindi 1 344 Share विजय कुमार नामदेव 28 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र 3 तीन मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है माता-पिता ईश्वर का स्वरूप होते हैं, तभी तो हम इन्हें सर्वोच्च स्थान पर रखते हैं। सभी माता-पिता का सपना होता है कि... Hindi · निबंध 1 303 Share विजय कुमार नामदेव 26 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है कि मैं और मेरे मित्र प्रेमलाल ईश्वर की कृपा से पढ़ लिख तो गए, परंतु उन दिनों दोनों बेरोजगार थे। सरकारी योजना के... Hindi 334 Share विजय कुमार नामदेव 22 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है कि नर्मदा नदी को हम नदी नहीं अपितु नर्मदा मां मानते हैं। यह बात बचपन से मन में है, पिताजी हर पूर्णिमा को... Hindi · निबंध 527 Share विजय कुमार नामदेव 22 Dec 2023 · 1 min read लतियाते रहिये ग़ैरों को अपनाते रहिये। अपनों को लतियाते रहिये।। बहुत दूर है यार पिपरिया। फिर भी आते जाते रहिये। देश आपके पापा का है। जो मन आये खाते रहिये।। बेशरमी को... Hindi · ग़ज़ल 225 Share विजय कुमार नामदेव 27 Aug 2023 · 1 min read तब मानोगे कितना प्यार किया है तुमसे, जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे। थोड़ा-थोड़ा करके खुद को, सौंप दिया है पूरा तुमको तोड़ो, जोड़ो या बिखरा दो, इससे क्या लेना है हमको। सहज मिलन... Hindi · गीत 1 432 Share विजय कुमार नामदेव 17 Aug 2023 · 1 min read मिला है इस जमाने में ये सिलसिला है। कौन दिल से किसी को मिला।। जिसने कदमों में दिल ये रखा है। दिल हमेशा उसी का छला है।। यार की है तलब रोज... Hindi 1 303 Share विजय कुमार नामदेव 8 Jun 2023 · 4 min read बता ये दर्द बता ये दर्द भी किसको सुनाएं। मेरे हर ख़्वाब की जलती चिताएं।। बहुत है प्यार पर हक तो नही है। जो किस्मत में लिखा कैसे मिटाएं।। सभी रूठे अलग सबकी... Hindi · ग़ज़ल 2 358 Share विजय कुमार नामदेव 9 Mar 2023 · 1 min read शक्कर की माटी बस पानी के रेला हम, बहते पानी के रेला हम शक्कर की माटी में जन्मे फिर भी करय करेला हम। सुख खाते सुविधाएं पीते झूठी शान में तन कर जीते... Hindi · Poem · कविता · गीत 469 Share विजय कुमार नामदेव 9 Mar 2023 · 1 min read जिये हम अन्धेरों में जिये पर, रोशनी बनकर जिये फैशनेबल शहर में भी, सादगी बनकर जिये। तंगहाली में कटे या मौज मस्ती से भरी हो आदमी जबतक जिये, बस आदमी बनकर... Hindi · कविता 438 Share विजय कुमार नामदेव 2 Oct 2022 · 1 min read बेबस मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 300 Share विजय कुमार नामदेव 14 Sep 2022 · 1 min read बेबस-मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 1 519 Share विजय कुमार नामदेव 2 Feb 2021 · 1 min read तुम्हारा अभिनन्दन है मैं तुमको पाने भाग रहा, जीवन की आपाधापी में।। तुम अब आई हो प्रिये, तुम्हारा अभिनंदन है।। जाने कितनी व्यथा समेटे, जंगल सहरा छान दिए। जो नफरत के लायक ना... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 45 579 Share विजय कुमार नामदेव 21 Dec 2020 · 1 min read प्रेमगीत कोरोना संकटकाल निकल जाए तो। तुमको जीभर प्यार करूँगा।। अभी तो छूने में भी डर है, मन में कोरोना का घर है। बीतेगा तो पुनः मिलेंगे, बुरा समय तो ये पलभर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 16 22 716 Share विजय कुमार नामदेव 9 May 2020 · 1 min read रोटी डाला करते थे किस्मत पर ही सबकुछ टाला करते थे। हम कर्मो का रोज़ दीवाला करते थे।। यार गधों से जीत न पाए लेकिन हम। घर में ही झाला घोटाला करते थे।। अपनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 401 Share विजय कुमार नामदेव 12 Jul 2019 · 1 min read आदमी कितना कुछ आदमी के अंदर है। आदमी क्या कोई कलंदर है।। नए शहरों में नया कुछ भी नही। हर जगह एक सा ही मंजर है।। तिश्नगी थी कभी इन होठों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 516 Share विजय कुमार नामदेव 28 Apr 2019 · 1 min read उलझन किसकी किससे जात बड़ी छोटा मुँह और बात बड़ी * * मेरे छोटे से दामन में देना मत शौगात बड़ी * * जो रहते दिल के करीब वो ही करते... Hindi · कविता 526 Share विजय कुमार नामदेव 5 Apr 2019 · 1 min read शरमाना तुम गीत वफा के गाना तुम सपनों में खो जाना तुम माटी के यह बने घरौंदे रिश्ते नाते सब हैं झूठे। आहट से हिलती दीवारें आने से तेरे ना टूटे।। गिर... Hindi · गीत 771 Share विजय कुमार नामदेव 8 Nov 2018 · 1 min read मेरी अनपढ़ माँ मेरी अनपढ़ माँ जिसे नहीं पता शब्दों के अर्थ लोभ-लालच, छल-कपट उसके लिए सब हैं व्यर्थ जोड़-घटाना, गुणा-भाग कर उसने कभी नहीं जोड़ा मूलधन में ब्याज उसका प्रेम निस्वार्थ ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 27 767 Share विजय कुमार नामदेव 10 Jul 2018 · 1 min read ये करोगे दर्द दोगे। ये करोगे।। अच्छा रसघट। तुम भरोगे।। प्यार में तुम। क्या मरोगे।। पास हम,तुम। दूर होगे।। ख़्वाब है ये। संग चलोगे। क्या कहूँ मैं। क्या कहोगे।। विजय मेरे। तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 497 Share विजय कुमार नामदेव 20 Jun 2018 · 1 min read चाहा तो है मैं किसके सपने बुन-बुन कर खुद को धन्य समझ बैठा था। पता चला है आज वो मुझसे, बचपन से बैठा ऐंठा था। मैं अभिमानी, ओ!अज्ञानी किसको जीवन समझ लिया था।... Hindi · कविता 691 Share विजय कुमार नामदेव 29 Mar 2018 · 1 min read ज़ज़्बा जब-जब तुमसे मिला करेंगे। प्यार की रब से दुआ करेंगे।। तेरा दामन रहे चमकता। दीपक बनकर जला करेंगे।। हौसला जब तक है जज्बों में। ख्वाब हृदय में पला करेंगे।। गैरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 427 Share विजय कुमार नामदेव 6 Jan 2018 · 1 min read फिर भी तन्हा रात अचानक /ख्बाब में आकर मुझे जगा कहने लगीं तुम याद है ये सुबह /ऐसे ही पंछी ये दरख्त /सबके सब मायूस हैं ये बिन तुम्हारे और /मैं भी होठों... Hindi · कविता 813 Share विजय कुमार नामदेव 27 Dec 2017 · 1 min read रिश्ता उनसे रिश्ता उनसे रोज़ निभाना पड़ता है। शाम ढले घर लौट के जाना पड़ता है।। धीरे धीरे सबको अच्छा लगता है। पहले तो माहौल बनाना पड़ता है।।। रोज़ हमें दो जून... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share Previous Page 2 Next