Umesh Pansari 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Umesh Pansari 27 Aug 2018 · 1 min read तू मुझसे अनजान थी... कुछ कहने का साथी तुझसे, दिल में मेरे खयाल था। तू मुझसे अनजान थी, मैं तुझसे अनजान था, कुछ कहने का साथी तुझसे, दिल में मेरे खयाल था। कहता भी... Hindi · मुक्तक 680 Share Umesh Pansari 27 Mar 2018 · 1 min read समाज के दर्पण में नारी भारत जैसे लोकतंत्र में आजादी को दबा डाला, जाति धर्म का भेद बता कर हिंसा को क्यों बढ़ा डाला । देश की बिटिया आज राह में डर कर ही तो... Hindi · कविता · बाल कविता 1 712 Share Umesh Pansari 8 Oct 2018 · 1 min read बारिश में वो लड़की..... घनघोर घटा सावन की थी, जब बूँद-बूँद था जल बरसा, एक छाता लेकर बारिश में, मैं सड़कों पर था जा निकला, बारिश से बचती सड़कों पर, एक लड़की थी भाग... Hindi · कविता 738 Share Umesh Pansari 1 May 2021 · 3 min read पृथ्वी दिवस विशेष – प्रकृति को “अनर्थ” से बचाने का संकल्प है “अर्थ डे” सम्पूर्ण विश्व में पृथ्वी ही एकमात्र गृह है, जिस पर जीवन जीने के लिए सभी महत्वपूर्ण और आवश्यक परिस्थितियां उपयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं | यही कारण है कि... Hindi · लेख 497 Share Umesh Pansari 1 May 2021 · 2 min read 28 अप्रैल विशेष - “विश्व कार्यस्थल सुरक्षा एवं स्वास्थ्य दिवस” का महत्त्व भोर की पहली किरण के साथ ही हर सामाजिक व्यक्ति प्रतिदिन एक नई और प्रगतिशील ऊर्जा समाहित करके अपने कार्यस्थल पर जाने के लिए उत्साहित रहता है | एक तरह... Hindi · लेख 506 Share Umesh Pansari 26 Aug 2018 · 1 min read ''अधूरी तू नहीं होती अधूरा मैं नहीं होता'' निगाहों में अगर यूँ आशिक़ी का अश्क न होता, तो कमबख्त इस दुनिया में इश्क न होता, जो मोहब्बत करते ही इज़हार कर दिया होता, अधूरी तू नहीं होती अधूरा... Hindi · मुक्तक 431 Share Umesh Pansari 19 Apr 2017 · 1 min read धर्म के नाम पर पशु हत्या क्यों? मानव को यह जीवन निर्बल की सहायता हेतु मिला है फिर क्यों नहीं समझता कि धर्म के नाम पर पशु हत्या करना किसी भी ग्रंथ में एक पाप है |... Hindi · लेख 479 Share Umesh Pansari 1 May 2021 · 1 min read विस्मृति विस्मृति सुनहरी सजीली भोर, सुहानी नहीं आई, तरुणों में उत्साह की, रवानी नहीं आई। नवयुवक को नभ देख रहा है आशा से, जिंदगी चलने लगी, जिंदगानी नहीं आई।। लिखनी तुम्हें... Hindi · कविता 1 348 Share Umesh Pansari 14 Nov 2018 · 1 min read बाल दिवस विशेष .... बचपन में वो गिल्ली डंडा, पढ़ने में वो ज़ीरो - अंडा, खेल - खेल में मिट्टी खाना, माँ - पापा को रोज़ सताना, याद है ना, वो बचपन का फ़साना... Hindi · कविता · बाल कविता 1 4 268 Share