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मजदूरों के बच्चे
Sandeep Kumar Sharma
कान्हा से श्रीकृष्ण हो जाना
Sandeep Kumar Sharma
...वो बचपन, वो तुम्हारी गुटर-गुटर
Sandeep Kumar Sharma
...वो तुम जैसी सांझ
Sandeep Kumar Sharma
दहलीज तक आ पहुंची सांझ
Sandeep Kumar Sharma
--- मैं खिल उठूंगी तुम्हारी छुअन से
Sandeep Kumar Sharma
बारिश तुम्हें आना होगा
Sandeep Kumar Sharma
तुम्हारा साथ
Sandeep Kumar Sharma
ये भावनाओं का खौफनाक सूखापन
Sandeep Kumar Sharma
यूं ही तैरते रहो मेरे मन आंगन में
Sandeep Kumar Sharma
देखो-देखो...प्रकृति ने अपना घूंघट हटा लिया है...
Sandeep Kumar Sharma
ओ प्रियतम, सुनो ना---
Sandeep Kumar Sharma
ये कैसा अनूठा नेह और विश्वास है
Sandeep Kumar Sharma