Sandeep Kumar Sharma 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Kumar Sharma 18 Aug 2017 · 1 min read मजदूरों के बच्चे मजदूरों के बच्चे पूरा दिन गगनचुंबी इमारतों में धमाल करते हैं शाम होते ही लौट आते हैं झोपड़ी की जमीन पर। रुंआसे से चेहरे वाले बच्चे अजीब नजरों से देखते... Hindi · कविता 225 Share Sandeep Kumar Sharma 18 Aug 2017 · 2 min read कान्हा से श्रीकृष्ण हो जाना कान्हा से भगवान श्रीकृष्ण हो जाना एक यात्रा है, एक पथ है, मौन का गहरा सा अवतरण...। कान्हा हमारे मन के हर उस हिस्से में मचलते हैं, खिलखिलाते हैं, घुटनों... Hindi · लेख 388 Share Sandeep Kumar Sharma 18 Aug 2017 · 2 min read ...वो बचपन, वो तुम्हारी गुटर-गुटर वो बचपन कैसे भूल सकता हूं और भूल नहीं सकता तुम्हारी गुटर-गुटर....। मेरे दोस्त, तब इतनी आपाधापी नहीं थी...तुम भी स्वच्छंद थे और मैं भी स्वतंत्र। बचपन किसी कपोत की... Hindi · लेख 436 Share Sandeep Kumar Sharma 12 Jul 2017 · 1 min read ...वो तुम जैसी सांझ तुम्हारी तरह ही सुरमई, निर्मल, आभा का आंचल खिसकाती ये सांझ, अक्सर बहुत शरमाती है ये अक्सर बातें करने से कतराती है बचती है कोई कह न दे मन की... Hindi · कविता 320 Share Sandeep Kumar Sharma 8 Jul 2017 · 1 min read दहलीज तक आ पहुंची सांझ ये सांझ कोई गीत गुनगुना रही थी, मेघ आसपास ही मंडरा रहे थे, सूरज जैसे थककर चूर था और सांझ की गोद को सिराहने लगाकर कुछ देर लेटा...लेकिन झपकी गहरी... Hindi · लेख 225 Share Sandeep Kumar Sharma 6 Jul 2017 · 1 min read --- मैं खिल उठूंगी तुम्हारी छुअन से ...ओ प्रियतम, सुनो ना...। तुम्हारी छुअन के बिना मैं कैसी सूख सी गई हूं। तुम मुझे यूं ऐसे बिसरा गए हो कि अब कहीं मन नहीं लगता। ये तन, ये... Hindi · कविता 1 1 480 Share Sandeep Kumar Sharma 5 Jul 2017 · 1 min read बारिश तुम्हें आना होगा सूखती जा रही हैं उम्मीदें सूखती जा रही हैं फसलें सूखती जा रही हैं कोपलें सूखता जा रहा है मन सूखते जा रहे हैं भरोसे सूखते जा रहे हैं रास्ते,... Hindi · कविता 216 Share Sandeep Kumar Sharma 5 Jul 2017 · 1 min read तुम्हारा साथ तुम्हारा साथ मेरे लिए वैसे ही है जैसे प्रकृति के लिए बारिश की बूंदें धरती के लिए बारिश की आस आसमां के लिए घनघोर घटा सूर्य के लिए सांझ सुबह... Hindi · कविता 398 Share Sandeep Kumar Sharma 5 Jul 2017 · 3 min read ये भावनाओं का खौफनाक सूखापन हमने क्या कभी अपने बचपन के बारे में बच्चों को बताया है, कभी अपने बच्चों को ये बताया है कि हम कौन से जमीन से जुड़े खेलों के बीच बड़े... Hindi · लेख 317 Share Sandeep Kumar Sharma 4 Jul 2017 · 1 min read यूं ही तैरते रहो मेरे मन आंगन में तुम मेरे अरमानों जैसे हो, तुम मेरी जिंदगी के तरानों जैसे हो, तुम मन जैसी मुस्कानों जैसे हो, तुम तपिश में बदली वाले आसमान जैसे हो, तुम उन्मुक्त हो, स्वच्छंद... Hindi · कविता 258 Share Sandeep Kumar Sharma 2 Jul 2017 · 2 min read देखो-देखो...प्रकृति ने अपना घूंघट हटा लिया है... बहुत गर्मी है, लेकिन ये प्रकृति हमारी तरह बैचेन नहीं है, वो खिलखिला रही है, अभी-अभी मैंने देखा कि वो एक वृक्ष पर पीली सी मोहक मुस्कान बिखेर रही थी,... Hindi · लेख 526 Share Sandeep Kumar Sharma 2 Jul 2017 · 1 min read ओ प्रियतम, सुनो ना--- ...ओ प्रियतम, सुनो ना...। तुम्हारी छुअन के बिना मैं कैसी सूख सी गई हूं। तुम मुझे यूं ऐसे बिसरा गए हो कि अब कहीं मन नहीं लगता। ये तन, ये... Hindi · लेख 1 239 Share Sandeep Kumar Sharma 1 Jul 2017 · 1 min read ये कैसा अनूठा नेह और विश्वास है हमने कभी पेड़ के पीछे से लरजते हुए अहसासों को देखा है, हमने कभी पेड़ और पत्तियों के वार्तालाप को सुना है, हमने कभी सूर्य के उस अहसास को महसूसने... Hindi · लेख 413 Share