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चोट खाये हुए मज़दूर घर को लौट आये मज़दूर
Bhupendra Rawat
तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है
Bhupendra Rawat
कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे
Bhupendra Rawat
नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है
Bhupendra Rawat
मासूमियत से भरे नादान सवाल
Bhupendra Rawat
भूख मिटाने कुछ लोग, गांव छोड़ शहर की ओर आये थे
Bhupendra Rawat
जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए
Bhupendra Rawat
लोगों के रंग बदल जाते है
Bhupendra Rawat
ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे
Bhupendra Rawat
आलीशान बंगलो में बैठे मजदूर नीति के निर्माणकर्ता
Bhupendra Rawat
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा का स्तर
Bhupendra Rawat
विद्यालय एक पूंजीवादी संस्था
Bhupendra Rawat
चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला
Bhupendra Rawat
तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी
Bhupendra Rawat
ये गलती गिनाने का वक़्त नही है
Bhupendra Rawat
ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बची है
Bhupendra Rawat
भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना
Bhupendra Rawat
हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ
Bhupendra Rawat
माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान
Bhupendra Rawat
आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी
Bhupendra Rawat
शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है
Bhupendra Rawat
माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ ।
Bhupendra Rawat
मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है
Bhupendra Rawat
लॉकडाउन 3.0 सोशल डिस्टेंसइंग की धज्जियां उड़ाती सरकारी नीतियां
Bhupendra Rawat
कोरोना की जंग तो नही लेकिन
Bhupendra Rawat
शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है
Bhupendra Rawat
सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया
Bhupendra Rawat
क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे
Bhupendra Rawat
न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी
Bhupendra Rawat
बहुत खुश थे ज़िन्दगी को पाकर
Bhupendra Rawat
किताब के पन्नो में रूठा हुआ मिला मुझे वो शख़्स
Bhupendra Rawat
सारे दरवाज़े बन्द कर दिए वापस आने के
Bhupendra Rawat
ख्वाइशें जीने कहां देती है
Bhupendra Rawat
तुम्हारा इंतेज़ार है मुझको
Bhupendra Rawat
इस तरह खुद को ज़ाया करते है
Bhupendra Rawat
ज़िन्दगी एक सफ़र में गुज़र जाती है
Bhupendra Rawat
आसमां करीब है मेरे
Bhupendra Rawat
लोन ली हुई है ज़िन्दगी
Bhupendra Rawat
मायज़ाल:ज़िन्दगी का कठोर सच
Bhupendra Rawat
दिल जीतने का कोई उपहार दो न
Bhupendra Rawat
पुरानी कोई कहानी न पूछो
Bhupendra Rawat
पता है डूब कर मर ही जाना है
Bhupendra Rawat
फासलों से दूरी है मेरी
Bhupendra Rawat
फुर्सत के लम्हे गुज़र जाया करते थे
Bhupendra Rawat
एक और मज़हब बना कर देखते है
Bhupendra Rawat
हर रोज़ आँखों में एक ख़्वाब सजाता हूँ
Bhupendra Rawat
घर मे क़ैद खुद को कर लिया है
Bhupendra Rawat
भविष्य कभी टिका नही वर्तमान रुका नही
Bhupendra Rawat
प्रतिशोध की ज्वाला को जब तपाया जाता है
Bhupendra Rawat
तेरे इश्क़ की नदियों में बहता जा रहा हूँ
Bhupendra Rawat