निर्मल सिंह 'नीर' 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read आग पेट में लगे तो "भूख" दिल में लगे तो "इश्क़" दिमाग में लगे तो "विनाश" देह में लगे तो "राख" घर में लगे तो "बंटवारा" पड़ोसी में लगे तो "ईर्ष्या"... Hindi · कविता 1 730 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read डर लगता है इस नयी बदलती दुनिया में अब डर लगता है किससे कैसे किस तरह बात करूं डर लगता है, सब कहते मै उसके जैसा न हो पाया अब तक फिर क्यूँ... Hindi · कविता 1 229 Share निर्मल सिंह 'नीर' 24 Jul 2017 · 1 min read तुम तुम चाँद हो,चांदनी हो, शीतलता तुम हो मेरे हृदय की अंतहीन निर्मलता तुम हो, तुम्ही से रंग है, रोशनी है, खुशबू भी है किसी शब में ख्वाब की मादकता तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 528 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read आँखें क्यूँ बहुत उदास रहती है तेरी आँखें दर्द खुद-ब-खुद बयां करती तेरी आँखें, तु न समझ कि दुखों को छुपा लेगा रह-रह कर जो बरस पड़ती तेरी आँखें, तु मासूम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 563 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read ये वही है जो इश्क़ मे फेमस है माथे पर मेरे शायद जो ये अब दाग रहे साँसों की चौखट भी अब न बेदाग रहे, दिन के उजले में जो रोका बेमानी करते सायद अब उनके सीने में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read ख़ुद को समझाना पड़ता है ख़ुद से ही लड़ना पड़ता है ख़ुद को समझाना पड़ता है, शामों का बोझल हो जाना नींदों का रातों में न आना अक्सर राहों में खो जाना कोने में जा... Hindi · कविता 223 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read उसकी याद बहुत आई शब - ए - तारीख उसकी याद बहुत आई जम के घटा उमड़ी फिर जम के बरसात आई, उस मजहबी यादों की चद्दर पूरी ही काली है जितनी काजल आँख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 425 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read दिल को गिरवी दे रखा है ख़ुद को धोखा देकर रखेगे , कब तक? उस चाँद को दिल मे हम रखेगे, कब तक? जिसको जाना था, न आयेगे वो चले गए हैं हम रह पर भला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 381 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read वो रोती रही रात भर क्यूँ टीस उठती है दिल के कोने में कहीं रात भर इश्क़ पन्ने पे लिखा तो, वो सिसकती रही रात भर इक फर्द के आने से लगा बंजर जमी मुस्का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 489 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read दिल को बत्तमीज़ न कहें तो क्या करें दर्द जब हद से गुजर जाए तो क्या करें वो मुझे गैर कभी कह जाए तो क्या करें, हम लाख चाहे उन्हे किनारे पर ले आना बीच मझदार खुद डूबना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 250 Share निर्मल सिंह 'नीर' 22 Jul 2017 · 1 min read जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी कसक और मुस्काहट साथ मे आती होगी, तुम बिन अब कुछ भी न अच्छा लगता है हर पल मिलने का तुमसे ये मन... Hindi · कविता 1 220 Share