NIRA Rani 63 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 NIRA Rani 26 Aug 2016 · 1 min read वक्त न जाने वक्त कितने अनकहे,अनसुलझे,अनछुए पहलू के मर्म को समझाएगा सचमुच वक्त क्या क्या सितम ढाएगा जख्म पे जख्म मिलकर नासूर बन जाएगा न जाने कौन सा वक्त मरहम लेकर... Hindi · शेर 290 Share NIRA Rani 25 Aug 2016 · 1 min read क्या करूं इस दिल का क्या करू अपने इस दिल का जो मुझसे कुछ भी करवाता है कभी फलक तो कभी खाक की सैर करवाता है कभी यादो के समुंदर मे लेजाता है तो कभी... Hindi · कविता 272 Share NIRA Rani 24 Aug 2016 · 1 min read हीरे की कनी हीरे की कनी को कॉच सा तौलते हैं लोग खुदगर्ज इस दुनिया में पैरों तले रौंदते है लोग प्रीत का आसमा दिखाकर फरेब में समेटते है लोग चेहरे पर चेहरा... Hindi · कविता 448 Share NIRA Rani 24 Aug 2016 · 1 min read तजुर्बे जिन्दगी की राह में तज्जुर्बे हजार होते है कभी हालात कभी ख्यालात बीमार होते हैं Hindi · शेर 252 Share NIRA Rani 24 Aug 2016 · 1 min read मशगूल युवा मशगूल युवा आज का युवा कितना मगरूर दिख रहा है न जाने किस मद मे चूर दिख रहा है मेहनत की जगह जुगाड खोजता है तरक्की के लिए प्रगाड खोजता... Hindi · कविता 464 Share NIRA Rani 23 Aug 2016 · 1 min read व्यथा ..निम्न मध्यम वर्ग की व्यथा ...मध्यम वर्गीय की.. मै निम्न मध्यम वर्गीय परिवार का एक कमाउ ....पर लगता है बेरोजगार युवक हूं कमाता इतनी हूं कि पेट भर सकूं पर लाचार ऐसा हूं कि... Hindi · कविता 1k Share NIRA Rani 23 Aug 2016 · 1 min read मौन ही जब अर्थ देने लगे मौन ही जब अर्थ देने लगे तो शब्द सारे ही अकिंचित हो जाते है व्यथित मन जब द्रवित हो कुछ कहने चले अस्रूओ की झडी जब चछु को धुंधला करे... Hindi · कविता 481 Share NIRA Rani 23 Aug 2016 · 1 min read तुम बात मुझी से कह डालो बात मुझी से कह डालो ... अंतर्मन के ऑगन में जब जब दुख की परछाई हो वर्षा के काले बादल जब नैनो मे लहराते हो घनघोर घटाओं की बदली जब... Hindi · कविता 273 Share NIRA Rani 23 Aug 2016 · 4 min read सिमटती दुनिया बिखरता परिवार सिमटती दुनिया बिखरता परिवार वातावरण मे नेट (इंटरनेट) का जाल और मस्तिष्क मे माया जाल ,दिग्भ्रमित होती युवा पीढी ,और विलुप्त होती भारतीय संस्क्रिति'.. सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय... Hindi · लेख 472 Share NIRA Rani 22 Aug 2016 · 1 min read पेटभरना जरूरी है कूडा बीनते दो मासूम बच्चों को देख मन करुणा से भर गया कदम एक पल के ठिठक गया सोचने लगी कि हम अपने बच्चो को कितनी सुविधाएं देते है और... Hindi · कविता 460 Share NIRA Rani 22 Aug 2016 · 1 min read कुछ उनके लिए कुछ उनके लिये...⊙ फिर इक बार... मैं कहूं गी तुझसे... मैं दूर ही सही... पर रहूंगी तुझमें ॥ जज़बात में... ख़्यालात में... बिखरे हुए लम्हात में...! हर वक्त... हर हालात... Hindi · कविता 630 Share NIRA Rani 22 Aug 2016 · 1 min read एकाकीपन एकाकी पन ....... आजकल एक चिडियॉ मुंडेर पर चहकती है कभी ऑगन मे कभी बरंडे पर फुदकती है गौर से देखा तो गाभिन पछी थी तिनका तिनका जोड कर नीड... Hindi · कविता 680 Share NIRA Rani 22 Aug 2016 · 1 min read पानी का बुलबुला पानी का बुलबुला .... सुबह सुबह मिट्टी मे कुछ पंखुडी देख कदम ठिठक गए कौतूहल वश .......... फूल की दशा देख मन बहक गया गौर से देखा तो गुलाब की... Hindi · कविता 833 Share Previous Page 2