MridulC Srivastava Tag: कविता 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid MridulC Srivastava 3 Sep 2017 · 1 min read बेटियां क्या कहूँ तुझे मैं बेटियाँ, मन पर बोझ माथे पर कलंक, दरिंदगी का लहराता परचम, सदियों से गूंजती यहाँ बस तेरी सिसकियाँ । न्यूज लिखे संग लेख भी,डिवेट, काव्य, निष्कर्ष... Hindi · कविता 1 1 325 Share MridulC Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read काव्य चर्चा मेरी पंक्तियाँ ?? ● तारीफ नहीं करता,इसे तारीफ न मसझ लेना, यह तो बस जरिया है मेल जोल बढ़ाने का ।। श्री,मित्र के उत्तर ?? ● यह जमाने की बेहया,तारीफ... Hindi · कविता 389 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read विश्वास दूर के ढोल सुहाने होते हैं, विश्वास के बड़े मायने होते हैं, पुष्प कागज के देखने में होते हैं बड़े प्यारे, आदर्श रचने हों तो हम रच दे इस जमीं... Hindi · कविता 275 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read झूठे आदर्श झूठे आदर्शों की 3D तस्वीर, गढ़ सकते हैं सनम हम भी बहुत से ताबीर, हजारों रूपों में यथार्थ ढक दूं, भ्रम की चादर ओढू,और तुम्हें भ्रम में रहने दूँ, होते... Hindi · कविता 284 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read आदर्शो की कीमत अच्छे लोगों की सांसें कम ही होती हैं उम्मीद उन्हीं की टूटती है जिन्हें कुछ उम्मीद होती है गफलत में जीना गफलत में रखना उनके आदर्शों की बात ही क्या... Hindi · कविता 556 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read तेरा साथ छूटा तेरा साथ छूटा,सम्हलने में वक्त लगा, अब फिर उसी मौसम,उसी प्रेम की तमन्ना मुझे, एक दिन,एक पल,एक घड़ी,तुम जो भी मंजूर करो, बस चन्द लम्हे उन जुल्फों तले बिताना मंजूर... Hindi · कविता 261 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read खामोश शहर खामोश शहर में गूँजती एक आवाज कम नहीं, अंधेरे में जले,वह एक चिराग कम नहीं, स्वार्थ में बदलती #विश्वास को खोती हक की आवाज, गीत गाता एक फकीर भी कम... Hindi · कविता 328 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read व्यक्ति नही राष्ट्र महान किसी से नही द्वेष मेरो,नही किसी से प्रीत, मातृ भूमि की जय करो,मिल कर करो सब जीत ।। Hindi · कविता 213 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read जन कवि हूँ जनता मुझसे पूछ रही मैं क्या बतलाऊ, जनकवि हुँ साफ कहूंगा मैं क्यों हकलाऊ । वंचना,भूख,गरीबी आज भी, सत्तर वर्षो की नाकामी को क्यों झुठलाऊ, जनकवि हूँ साफ कहूंगा मैं... Hindi · कविता 579 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read हक हक के दमन का तो इतिहास रहा है, कोई जयचन्द तो कोई भक्त रहा है, याद है मुझे वह पोरश का भी पौरुष, सूली पर चढ़ कर भी जो शत्रु... Hindi · कविता 308 Share MridulC Srivastava 8 Jun 2017 · 1 min read जनकवि हूँ जनता मुझसे पूछ रही मैं क्या बतलाऊ, जनकवि हुँ साफ कहूंगा मैं क्यों हकलाऊ । __/\__ बाबा नागार्जुन __/\__ वंचना,भूख,गरीबी आज भी, सत्तर वर्षो की नाकामी को क्यों झुठलाऊ, जनकवि... Hindi · कविता 764 Share MridulC Srivastava 1 Jun 2017 · 1 min read थक गया हूँ थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं, विपदा में मिट जाऊ राह छोड़ हट जाऊँ, वह सहारा नहीं हूँ मैं, थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं ।... Hindi · कविता 475 Share MridulC Srivastava 1 Jun 2017 · 1 min read थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं, विपदा में मिट जाऊं,राह छोड़ हट जाऊं, वह सहारा नहीं हूँ मैं, थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं, मंजिल से... Hindi · कविता 1k Share MridulC Srivastava 1 May 2017 · 1 min read सत्यमेव जयते 2 और जवान शहीद शव के साथ पाक ने की बर्बरता.. मस्तक पर विराजमान तुम्हारे वो भारत के चार सिंह, अशोक शांति नीति के ही नहीं, शत्रु को चेतावनी के... Hindi · कविता 460 Share MridulC Srivastava 24 Feb 2017 · 1 min read माँ भारती,तोड़ती पथ्थर मातृभूमि से बढ़ कर नहीं कोई उपलब्धि तेरी, सत्य विजय से पहले व्यर्थ ही हर रणनीति होती, धिक्कारती माँ भारती,तोड़ती पथ्थर देखती तुझे छिन्नतार, कलम में तेरे वो पुरुषार्थ नही... Hindi · कविता 435 Share MridulC Srivastava 10 Jan 2017 · 1 min read बड़े काम की बेटियां ख़ामोशी तेरी,पहल भी तेरा, नाकामी तेरी,शहर भी तेरा, गूंजती यहां,बस मेरी सिसकियाँ l बेखबर वो निर्लज चले,सब भूल-भाल आगे बढ़े हर चेहरे हर रूप में,दिखता वही बहरूपिया I न्यूज लिखे... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 559 Share MridulC Srivastava 9 Jan 2017 · 1 min read बड़े काम की बेटियां ख़ामोशी तेरी,पहल भी तेरा, नाकामी तेरी,शहर भी तेरा, गूंजती यहां,बस मेरी सिसकियाँ l बेखबर वो निर्लज चले,सब भूल-भाल आगे बढ़े हर चेहरे हर रूप में,दिखता वही बहरूपिया I न्यूज लिखे... Hindi · कविता 451 Share MridulC Srivastava 18 Dec 2016 · 1 min read निर्भया तारीफ़ क्या करूँ, क्या कहूँ मैं निर्भया, मन पर बोझ,माथे पर कलंक, दरिंदगी का लहराता ये परचम, क्या लिखूं,किसकी करू मैं निंदा वो डूबे राज मद में,कर रहे अब शाही... Hindi · कविता 210 Share MridulC Srivastava 17 Dec 2016 · 1 min read निर्भया तारीफ़ क्या करूँ, क्या कहूँ मैं तुम्हे निर्भया, मन पर बोझ,माथे पर कलंक, दरिंदगी का लहराता ये परचम, क्या लिखूं,किसकी करू मैं निंदा वो डूबे राज मद में,कर रहे अब... Hindi · कविता 412 Share MridulC Srivastava 15 Dec 2016 · 1 min read हास्य व्यंग्य राहुल बाबा? मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है,मैं बोलूंगा तो भूकम्प आ जाएगा .... हाईटेक प्रधान, अरे उन्हें किसने रोका बोलें नही बोलेंगे तो हमे पता कैसे चलेगा बच्चा... Hindi · कविता 256 Share MridulC Srivastava 15 Dec 2016 · 1 min read नारी आन मान और मर्यादा,सिर्फ तुमपर ही लादा जाता, मछली को तैरना कौन सिखाता,कौन पंक्षी को उड़ना, कुंठित,व्यथित मन की ये बाते,पुरुष समाज के काल कलंक दर्शाते, खुद का जरा इतिहास... Hindi · कविता 242 Share MridulC Srivastava 1 Dec 2016 · 1 min read सच अंधे को बंदूख दें कर,सीमा पर शत्रु से मुकाबले के लिए भेजना नियत की दृष्टि से बिल्कुल दोषी नही, नियत सही है और उद्देश्य भी देश कल्याण का है, किन्तु... Hindi · कविता 559 Share MridulC Srivastava 26 Nov 2016 · 1 min read भक्ति अधिकार,संघर्ष,तो इतिहास रहा है, किसी ने समर्थम किया है,तो कोई भक्त रहा है, पर याद है मुझे, वो पोरष का भी पुरुषार्थ, सूली पर चढ़ कर भी जिसने शत्रु को... Hindi · कविता 275 Share MridulC Srivastava 26 Nov 2016 · 1 min read जुल्म_ए_भक्ति अधिकार,संघर्ष,तो इतिहास रहा है, किसी ने समर्थम किया है,तो कोई भक्त रहा है, पर याद है मुझे, वो पोरष का भी पुरुषार्थ, सूली पर चढ़ कर भी जिसने शत्रु को... Hindi · कविता 1 1 232 Share MridulC Srivastava 25 Nov 2016 · 1 min read सम्मान/तिरस्कार और समाज तारीफ की जो बात की और जमाने से तुलना, तो सुनो हे मित्र, क्या तुम भूल गए,गांधी को गोली मार, गोडसे की पूजा करना ।। The creator Mridul Chandra Hindi · कविता 575 Share MridulC Srivastava 30 Oct 2016 · 1 min read दशरथ मांझी को मेरा सलाम क्या कमाल की दुनिया है यारो... दशरथ मांझी जब अकेले ही पत्थर काट रहे थे तब कोई सरकारी गुलाम नही गया ..पूछने ? कोई तो पूछता "ऐसा क्यों कर रहे... Hindi · कविता 290 Share MridulC Srivastava 24 Sep 2016 · 2 min read जुमलो का ये दौर पाठको की खामोशी के कारण लौट गया था, किन्तु में ज्यादे खामोश नहीं रह पाता l प्रस्तुत है हास्य मनोरम व्यंग नमो नमो जुमलो का दौर चल पड़ा,हो रही जुमलो... Hindi · कविता 299 Share MridulC Srivastava 30 Aug 2016 · 1 min read व्यंग जीन्स क्यों बिलकुल बुरी बात.. ऐसे हंसते हैं क्या ये कोई तरीका है,? सीधा चलो इतना मटकने की जरूरत क्या ? एक पब्लिक पब से फोन आता है , 7... Hindi · कविता 275 Share