Ranjana Mathur Tag: मुक्तक 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ranjana Mathur 25 May 2019 · 1 min read दो मुक्तक मुक्तक (1) हुई सत्य की जीत है चहुंओर है हर्ष। होगा पुनः प्रारंभ अब भारत का उत्कर्ष। दुर्भावनाओं के व्यंग्यवाण बहुत झेले, किन्तु उस सत्पुरुष ने नहीं छोड़ा संघर्ष। ??????????????????... Hindi · मुक्तक 1 198 Share Ranjana Mathur 25 Apr 2019 · 1 min read मुक्तक (1) मात्राभार - 24 मत देने का आपका, बहुत बड़ा अधिकार। बुद्धि और विवेक संग, चुनें योग्य सरकार। यदि चयन में आपने, कर दी लापरवाही। तो मूरख राजा बनें, होगा... Hindi · मुक्तक 276 Share Ranjana Mathur 31 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक (1) जिसका बहुमत उसी की *सत्ता दिखलाए वह अपनी प्रभुत्ता उससे पंगा लिया तो जैसे आ पड़ा मधुमक्खी का छत्ता। (2) अतुल *सुंदरी थी पद्मावती थी वह पतिव्रता नारी सती... Hindi · मुक्तक 497 Share Ranjana Mathur 31 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक मुक्तक जिसका बहुमत उसी की *सत्ता दिखलाए वह अपनी प्रभुत्ता उससे पंगा लिया तो जैसे आ पड़ा मधुमक्खी का छत्ता। (2) अतुल *सुंदरी थी पद्मावती थी वह पतिव्रता नारी सती... Hindi · मुक्तक 215 Share Ranjana Mathur 13 Feb 2019 · 1 min read बसंत पर मुक्तक ??? पात पुराने बिछुड़े डाली- डाली नव पल्लवों ने बिखेरी हरियाली हुई पद आहट ऋतुराज वसंत की कुहू कुहू बोले कोयलिया काली । ??? छायी खेतों में सरसों पीत प्रकृति... Hindi · मुक्तक 1k Share Ranjana Mathur 20 Jan 2019 · 1 min read उपकार दुख ही है जिनका संसार, जो जीवन से जाते हार। कभी न उनसे कटु बोलना, कर देना इतना उपकार। ओ दुनिया का पालनहार, करना हम पर यह उपकार। सत्कर्मों की... Hindi · मुक्तक 452 Share Ranjana Mathur 3 Oct 2017 · 1 min read ? हृदय की वीणा के सुर ? न मुझमें कुछ मेरा प्रियतम, न तुझमें कुछ तेरा। दो श्वासें एकसार हो गईं, वीणा ने सुर साथ बिखेरा। विवाह की पावन वेदी पर, थामा था तुमने हाथ मेरा। आओ... Hindi · मुक्तक 303 Share Ranjana Mathur 1 Oct 2017 · 1 min read ?किरणें लाई हैं संदेशा ? प्रथम रश्मि आ गई रवि की'हमको यह समझाने। भूल पुराना सोच नया तू, मैं आई नव मार्ग दिखाने। दुखड़ा छोड़ दे बीते कल का सोच नया कुछ अगले पल का।... Hindi · मुक्तक 263 Share Ranjana Mathur 17 Sep 2017 · 1 min read जाग रे मुसाफिर - मुक्तक ??? "जाग मुसाफिर हुआ सवेरा, हो गयी भोर हर अंधेरा, यहाँ न कोई टिका है कभी ये दुनिया इक रैन बसेरा। ??? क्या तेरा और क्या है मेरा। इक दिन... Hindi · मुक्तक 365 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2017 · 1 min read ____ * स्वावलंबन * _____ किसी की भी चाहत अधिक न करो। अपने रास्ते खुद तय करो।। इस संसार की यही रीत है। कोई किसी का नहीं इस जहाँ में।। इसलिए जहाँ तक हो सके... Hindi · मुक्तक 598 Share