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अनुभूत सत्य .....
विमला महरिया मौज
देश काल और परिस्थितियों के अनुसार पाखंडियों ने अनेक रूप धारण
विमला महरिया मौज
उगते विचार.........
विमला महरिया मौज
अगर आप में व्यर्थ का अहंकार है परन्तु इंसानियत नहीं है; तो म
विमला महरिया मौज
प्रकृति को त्यागकर, खंडहरों में खो गए!
विमला महरिया मौज
मन काशी मन द्वारिका,मन मथुरा मन कुंभ।
विमला महरिया मौज
पति-पत्नी, परिवार का शरीर होते हैं; आत्मा तो बच्चे और बुजुर्
विमला महरिया मौज
कुछ लोग बड़े बदतमीज होते हैं,,,
विमला महरिया मौज
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
अगर कोई आपको मोहरा बना कर,अपना उल्लू सीधा कर रहा है तो समझ ल
विमला महरिया मौज
माँ!
विमला महरिया मौज
सांच कह्यां सुख होयस्यी,सांच समद को सीप।
विमला महरिया मौज
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
हिम्मत है तो मेरे साथ चलो!
विमला महरिया मौज
चुगलखोरी एक मानसिक संक्रामक रोग है।
विमला महरिया मौज
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
विमला महरिया मौज
आवश्यकता पड़ने पर आपका सहयोग और समर्थन लेकर,आपकी ही बुराई कर
विमला महरिया मौज
किसी गैर के पल्लू से बंधी चवन्नी को सिक्का समझना मूर्खता होत
विमला महरिया मौज
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विमला महरिया मौज
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
विमला महरिया मौज
जैसी नीयत, वैसी बरकत! ये सिर्फ एक लोकोक्ति ही नहीं है, ब्रह्
विमला महरिया मौज
खुद ही खुद से इश्क कर, खुद ही खुद को जान।
विमला महरिया मौज
अवसरवादी, झूठे, मक्कार, मतलबी, बेईमान और चुगलखोर मित्र से अच
विमला महरिया मौज
छीना झपटी के इस युग में,अपना स्तर स्वयं निर्धारित करें और आत
विमला महरिया मौज
आचार, विचार, व्यवहार और विधि एक समान हैं तो रिश्ते जीवन से श
विमला महरिया मौज
अगर आपमें मानवता नहीं है,तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क
विमला महरिया मौज
प्रेम
विमला महरिया मौज
रोजगार रोटी मिले,मिले स्नेह सम्मान।
विमला महरिया मौज