Laxmi Narayan Gupta 89 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Laxmi Narayan Gupta 18 May 2024 · 1 min read ह्रदय है अवसाद में मेरे दाये हाथ की हथेली पर उभरा शुक्र मुस्कराता है ......तुम्हारी याद में । चैत्र मास से ज्येष्ठ माह के अंत तक सुबह की पहली किरण लगता है शुक्र अषाढ़... 11 Share Laxmi Narayan Gupta 18 May 2024 · 1 min read लगते नये हो भूले बिसरे गीतों की तरह मधुरिम हो गए हो याद करता हूँ जब जब लगते नए हो । वही मोहल्ला मोहल्ले की गलियाँ मंदिर की देहरी पर फूल और फुलझरियाँ... 6 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Apr 2024 · 1 min read मेरे पिंजरे का तोता जाने कब जागे कब सोता मेरे पिंजरे का तोता | हरे भरे पेड़ों पर बसता पेड़ों के संग रंग की समता लाल लाल कंठी वाला वो उड़ आकाश दिखाता क्षमता... 34 Share Laxmi Narayan Gupta 1 Mar 2024 · 1 min read पता नहीं किस डरसे बदरा बरसे सिसके सरसों हुई दोहरी सिर रखने काँधे को तरसे । कृषक बिचारा हिम्मत हारा दौड़ा खेतों लुटती दुनिया दरसे । पीली सरसों आग समझकर उसे बुझाने बादल आए... 56 Share Laxmi Narayan Gupta 27 Feb 2024 · 1 min read मैं मैं नहिंन ...हम हम कहिंन देव भाषा में अहम् का विस्तार आवाम से चलकर वयम् तक । हिन्दी के "मैं" को चाहिये उसकी जगह "हम" का प्रस्थापन समावेसी संबोधन का हक । "मैं" के मायने... 57 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Feb 2024 · 1 min read बतायें कौन-सा रस है ? बदलती उम्र के साथ तुम्हारे प्रति मेरी मादकता वात्सल्य में बदलती जा रही है अपने बेटू की याद आ रही है । मेरे मन में बहुत दिनेों से तुम्हारे सिर... 63 Share Laxmi Narayan Gupta 6 Feb 2024 · 1 min read विरासत की वापसी कर्तव्य पथ पर जो अडिग रह बस उसी को धर्म माने भारतीय संस्कृति उसे ही आर्यावर्त का राम जाने । कुरुक्षेत्र या सत-असत रण कर्तुम अकर्तुम सीख देता आर्य संस्कृति... 56 Share Laxmi Narayan Gupta 2 Feb 2024 · 1 min read शरीर काया को छतरी समझ, प्राण शक्ति को ओम । जिसकी धड़कन नाद बन, विचरण करती व्योम ।। विचरण करती व्योम, जहाँ अक्षर की छाया कोई न जाने वहाँ, कौन ने... 51 Share Laxmi Narayan Gupta 11 Jan 2024 · 1 min read सांस्कृतिक संक्रांति ठण्ड से छुई-मुई धूप बासंती हुई सूर्य की नजदीकियों से धरा फिर हर्षित हुई । जनमन में राम फिर से जागे संक्रान्ति आई धर्म संस्कृति जागरण ने कोहरे से मुक्ति... 87 Share Laxmi Narayan Gupta 7 Oct 2023 · 1 min read क्षणिका सी कविताएँ (1) अहम् अहंकार अर्थी शब्द से 'अ' और ' म' का हलन्त हटाकर कहो पास आकर वह शब्द जो मैं सुनना चाहता हूँ और तुम कहना नहीं चाहते । (2)... 106 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Jul 2023 · 1 min read रेल गाड़ी (बाल कविता) दोहरी हैं जहां पर पटरी और जहां विद्युत की कटरी चले नहीं अब छुक छुक करते भाप यान सब हुए कबाड़ी | बिजली पावर खींचे गाड़ी || रेल गाड़ी रेल... 97 Share Laxmi Narayan Gupta 14 Jun 2023 · 1 min read धरती माता धरती धर ती कितना बोझा कभी नहीं हमने ये सोचा | भेदभाव के बिना सभी को पाला ज्यों घर की अम्मा ने किसको पालू किसको छोडूँ कभी न सोचा धरती... Poetry Writing Challenge 190 Share Laxmi Narayan Gupta 14 Jun 2023 · 1 min read अदूरदृष्टि कहीं बाढ़ की विभीषिका है सूखे के हालात कहीं । स्वप्रेरित सुचिता होती तो होते ये आपात नहीं । कैसे लूटें देश, भरें घर सबकी थी रणनीति यही | बाढ़... Poetry Writing Challenge 2 109 Share Laxmi Narayan Gupta 14 Jun 2023 · 1 min read निहितार्थ विद्यार्थी काल की पुस्तक पुस्तक के दो पन्नों के बीच रखे सूखे गुलाब को हर जन्मदिन की तरह इसवार भी पर अंतिम बार निहार कर कर दिया उसको हर हर... Poetry Writing Challenge 251 Share Laxmi Narayan Gupta 13 Jun 2023 · 1 min read जाने क्यों कलम रुकी है जाने क्यों ? अधर मौन हैं जाने क्यों ? सत्य झूठ है सब कुछ सम्मुख फिर भी चुप है दर्पण क्यों ? रहा हितैशी जन मन का... Poetry Writing Challenge 163 Share Laxmi Narayan Gupta 13 Jun 2023 · 1 min read राम कृष्ण के देश में मैं कायर हूँ जेल जाने के भय से देश द्रोहियों के हौंसले बढ़ाने वाले देश,भाषा, संस्कृति को चूना लगाने वाले कानूनों का विरोध करने के लिए कानून हाथ नहीं लेता... Poetry Writing Challenge 88 Share Laxmi Narayan Gupta 26 May 2023 · 1 min read वे पढ़े लिखे लोग v/s ये लिखा पढ़े लोग आज के समय के उन पढ़े लिखे लोगों से बिल्कुल अलग होते हैं सनातनी लिखा पढ़े लोग | ये सच्चे संवेदनशील सहिष्णु, पढ़ते हैं सनातन और सत्य से अटा और... 357 Share Laxmi Narayan Gupta 29 Mar 2023 · 1 min read विशेष प्रार्थना सरस-वती माँ सरस्वती नौ रूपों में शामिल तुम भी ज्ञान भले ही कम देना पर हो विवेक कम नहीं कभी । माँ सरस्वती.......। तन रूप वीणा झंकृत हो स्वर लहरी... Hindi 205 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Mar 2023 · 1 min read अपना तो ये ही स्वारथ है अपना तो ये ही स्वारध है शायद फिर कोई आया है इस मकान के अंदर रहने । पहले से ही यहाँ पड़े है अनछुये कपड़े और गहने । कोई भी... Bhojpuri 159 Share Laxmi Narayan Gupta 18 Feb 2023 · 1 min read नौका विहार प्रेम की नौका कविता की नदी में बहने के लिये होती है दूसरा तट छूने के लिये नहीं । फिर भी नाव के साथ जुडे़ चप्पू तुम नदी को प्रपात... Hindi 164 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Jan 2023 · 1 min read मेरे बसंत मन तुलसी के घरौंदे में पतझड़ बिखरा है तुम्हारा खुश मिज़ाज न होना हर किसी को अखरा है । सकारात्मक उर्जा का स्रोत होता है तुम्हारा कुछ कहते रहना हँसमुख प्रफुल्लित... Hindi 153 Share Laxmi Narayan Gupta 19 Jan 2023 · 1 min read कुण्डलियाँ (1) तृष्णा को पाले हुए, बीते सत्तर साल । जारी उसका निखरना, मल मल रंग गुलाल ।। मल मल रंग गुलाल, मांग में भर भर मेंहदी । है तो कटि... Hindi 217 Share Laxmi Narayan Gupta 15 Jan 2023 · 1 min read पहाड़ा छंद लिख दूँ या रहने दूँ .... निलय के माथै को चूमने की बात का अर्थ ओ समर्थ तुम जानते हो मानते भी हो । तुम्हारा सूरज पर थूकना तुम्हारे माथे... Hindi 108 Share Laxmi Narayan Gupta 12 Jan 2023 · 1 min read चिन्तन दीर्घ जीवन कामना, क्यों करूँ अपने लिए क्या किया इस देह ने, परमार्थ -देश के लिए भारती की गोद में, आज अबतक जन्म से स्वार्थमय जीवन जिया, मात्र निजिता के... Hindi 141 Share Laxmi Narayan Gupta 8 Jun 2021 · 1 min read पानी न बरसने की पीड़ा वर्षा की राह जोहते लोग बेमन से तीज त्योहार मना रहे हैं पिछली अवर्षा से प्रभावित गाँव-शहर आज अभी तक पानी नहीं, पसीने से नहा रहे है । कलमुँहे बादल... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 301 Share Laxmi Narayan Gupta 5 Jun 2021 · 1 min read पावस बहुत रुलाती हो पावस बहुत रुलाती हो, तरसा तरसा कर आती हो…. पीली चमड़ी वाली गर्मी, होजाती जब बहुत अधर्मी झुलसाती धरती का आँचल बिन पानी रीते सब बादल । पावस हड़काओ सूरज... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 1 432 Share Laxmi Narayan Gupta 4 Jun 2021 · 1 min read सावन में सावन की रिमझिम से गीली चुनरिया चिपकी है जैसेकि चिपकें सवरिया । बरसो भले ही, पर कड़को न बदरा अकेली हूँ घर में, मैं उनकी दुलरिया । सावन में तन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 1 329 Share Laxmi Narayan Gupta 28 Oct 2020 · 1 min read वर्ण धनुष शीर्षक : दर्पण पी कर पचाले तब जानूँ । उगलता क्यूँ सीधी तस्वीरों को मुँह देखी करके । दर्प में भूल मत तेरी पीठ पर लगा रोगन चमकाता तुझको दर्प... Hindi · लेख 337 Share Laxmi Narayan Gupta 27 Oct 2020 · 1 min read भारत जानता है विश्व भारत की अहमियत जानता है । विश्व भी पाकको आतंकी जानता है । हम पड़ौसी धर्म में ही मशगूल रहे कैसे निपटना अब भारत जानता है । मित्र होना... Hindi · लेख 2 348 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Oct 2020 · 1 min read वास्तविकता हम दिन नहीं काट रहे दिन हमें काट रहे हैं । दिन प्रतिदिन दिन हमे काट रहे हैं । सम्मिलित परिवार से धार्मिक आस्थाओं से और सबसे महत्वपूर्ण हमको मानवता... Hindi · मुक्तक 2 277 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Oct 2020 · 1 min read भानु रथ रुके न एक ही गाँव दिनभर मेहनतकश मेहनत कर करे प्रतीक्षा आए शाम । ढले शाम, हो रात आगमन मन भर कर करने विश्राम । यो ही नित्य चले है नश्वर दिन के बाद रात... Hindi · कविता 293 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Oct 2020 · 1 min read पारिजात बनें कोरिसिया स्पेकिओस के पुष्प प्रियदर्शी होते हैं सीरत रहित सुंदर महिला की तरह । कोरिसिया स्पेकिओस के फूल होते हैं पेटू, स्वार्थी करोड़पतियों, ढोंगी समाजसेवियों की तरह । ये पुष्प/फूल... Hindi · लेख 252 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Aug 2020 · 1 min read मुक्तक कहमुकरी विधा द्वार बजा उठ सांकर खोली बैरी ने घुस सेज उकेली+ खिंचता चीर हाथ से रोका थे सखि साजन? ना वत झोंका । सावन सूखा आंखें भदवा विधवा लगती... Hindi · मुक्तक 3 502 Share Laxmi Narayan Gupta 22 Aug 2020 · 1 min read वर्ण पिरामिड कविता विधा गणेश श्री श्री जी विविध नामधारी चूहा सवारी जय गजानन करें हम नमन Hindi · कविता 4 1 339 Share Laxmi Narayan Gupta 19 Aug 2020 · 1 min read चन्दा मामा चन्दा मामा जादूगर हो ? ऐसा कैसे कर पाते हो ? धीरे धीरे छुपते पहले फिर बैसे ही हो जाते हो । मामा बोले सुनो भानजे बेटा जब भी माँ... Hindi · कविता · बाल कविता 2 1 420 Share Laxmi Narayan Gupta 11 Aug 2020 · 1 min read हरि (कृष्ण) स्मरण (1) हरियाली हरी की कृपा, यदि चाहो चहुँ ओर। भजिए हरी को अहर्निश, बिना कसर बिंन कोर॥ बिना कसर बिंन कोर, काम सब चलाने दीजे । जहां दिखे अवरोध, ध्यान... Hindi · कुण्डलिया 309 Share Laxmi Narayan Gupta 10 Aug 2020 · 1 min read सेल प्रेम का मौसम निकल जाने के बाद तुमने एक पर एक फ्री की तर्ज पर मेरा मूल्यांकन किया व्यापारियों की तरह नया स्टाक लाने की गर्ज पर । यह बात... Hindi · कविता 4 497 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Aug 2020 · 1 min read छ: दीपक “शांति” का दीपक बुझे नहीं, यह जरूरी आजकल जला लेंगे शेष दीपक, हैं बुझे जो आजकल । “उत्साह” दीपक जले को, वे बुझाते फूंक कर चोरियों में नामजद जो, खुले... Hindi · दोहा 476 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Aug 2020 · 1 min read शहरों से अच्छे देहात बात बात से निकली बात शहरों से अच्छे देहात गांव की सरहद के अंदर , शुद्ध घी व दूध निखालिस । दूध दोह पशुओं के मालिक, नहीं छोड़ते हैं लावारिस... Hindi · कविता 1 4 229 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Jul 2020 · 1 min read वही करोना का रोना ताल किनारे महुआ महकी कूप किनारे चम्पा गमकी आम्र खेत में दिखे न झूले वर्षा फिरती बहकी बहकी सावन मास उदासी बहना हाथ लिए राखी सा गहना कैसे जाऊँ?, भाई... Hindi · कविता 3 10 291 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Apr 2020 · 1 min read कलम उसके हाथ में कलम थी जादुई छड़ी की जगह दुपट्टा लहरा रहा था सफेद पंखों की जगह वह परी नहीं थी पर लग रही थी परी की तरह अपने हाथ... Hindi · कविता 2 544 Share Laxmi Narayan Gupta 13 Jan 2020 · 1 min read बगुला राजनीति सत्य के लिए आतंक के विरुद्ध लड़नेवाले जटायु कुल के अघोरी गिद्ध गद्दी के लिए हैव हैवनोट (अंग्रेजी शब्द} लड़ाने के लिए नीड़ को घेरे हुए हैं | गांधी के... Hindi · कविता 2 285 Share Laxmi Narayan Gupta 25 Aug 2019 · 1 min read गज़ल महक अलग होती है, दिली प्यार की भूले नहीं भूलते, हार प्यार की । देखिये गुजर गई, जिन्दगी तमाम जी रहा हूँ जिंदगी, मिली उधार की । खड्ग की भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 242 Share Laxmi Narayan Gupta 3 Mar 2019 · 1 min read अंक गणित मेरे तुम्हारे संबंध आंकड़ों की भाषा में छतीस जैसे नहीं हैं तैतीस भी नहीं हैं । हम इससे खुश हैं अंक बारह और इक्कीस और ऐसे ही अन्य अंकों की... Hindi · कविता 301 Share Laxmi Narayan Gupta 10 Dec 2018 · 1 min read दिसम्बर जनवरी में धूप जाड़े की कि जैसे भीड़ भाड़े की । रात जाड़े की कि ज्यों मलखम अखाड़े की । हवा जाड़े की कि ज्यों कंबल कबाड़े की । पढ़ाई जाड़े का... Hindi · कविता 2 215 Share Laxmi Narayan Gupta 11 Nov 2018 · 1 min read माँ की महिमा ज्ञानवती होती है माता, मन की भाषा पढ़ लेती है । संतानें कब क्या चाहती, अनुभूति से तड़ लेती है । इतने गहरे मनोज्ञान को, कैसे मैं कविता में बांधूँ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 34 548 Share Laxmi Narayan Gupta 4 Sep 2018 · 1 min read आस्तीन के साँप धुआँ उठा हैं, सुलग रहा कुछ छुपे हुए अंगारों से । वर्षा फिर से मेहरबान है वामांगी गद्दारों से । हवा देखिये मेघ देखकर उन्हें उड़ाने को निकली । नहीं... Hindi · कविता 1 1 572 Share Laxmi Narayan Gupta 17 Aug 2018 · 1 min read नमन अटल तन नहीं होता अटल होता है व्यक्तित्व व्यक्तित्व पलता है विवेकशील चिंतन से तर्कशील मनन से व्यष्टि के हवन से ॥ अटल व्यक्तित्व की धनी हस्तियाँ होती हैं गिनी-चुनी... Hindi · कविता 247 Share Laxmi Narayan Gupta 2 Aug 2018 · 1 min read सच्चाई नहीं कोई भी सर्वेसर्वा सब की हैं सीमायें । जब जानें श्रावण भादौ में बादल नहीं छायें । चुकता हो चुकती है किरणें बादल से लड़-भिड़ कर आठ माह के... Hindi · कविता 333 Share Laxmi Narayan Gupta 18 Jul 2018 · 1 min read कुण्डलियाँ कद काठी में वे बड़े, ऊपर से धनवान । धनवानों का खासकर, अफसर रखते ध्यान ॥ अफसर रखते ध्यान, कहें जो वे करते हैं । नीरव जैसे संत, इन्हींके बल... Hindi · घनाक्षरी 1 480 Share Page 1 Next