Tag: मुक्तक
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मरने पर बनते ताजमहल
Kavi DrPatel
अंगार वीर ने उगले है
Kavi DrPatel
श्रीनगर में 8 सैनिकों के शहीद होने पर
Kavi DrPatel
" सोंच रहा हूँ क्या दे दूँ जो दिल से दिल की राह खुले "
Kavi DrPatel
.? उसे कैसे भुला दूँ मैं , दिया उपनाम है मुझको ?
Kavi DrPatel
.? बसंती ओढ़कर चूनर , धरा ससुराल जाती है "
Kavi DrPatel
" जिनके खून पसीने से यह सारी दुनिया चलती है "
Kavi DrPatel
"कभी पागल बना देती , कभी काबिल बना दे वो "
Kavi DrPatel
" तोड़ दो हाथ उनके , जो खतरा बनें "
Kavi DrPatel
"सबक गीता से कुछ लेकर , सजाता जिंदगी अपनी "
Kavi DrPatel
" कलम की कोर से काजल , लगाता हूँ मैं कविता को "
Kavi DrPatel
" बाँध लेना जुल्फ की जंजीर से "
Kavi DrPatel
पायल की रुनझुन से मुझे जगाती है ।
Kavi DrPatel
न हो बेनूर ये कोहनूर बस इतनी कृपा करना
Kavi DrPatel
मैं नीर भरी दुख की बदली महादेवी की पीड़ा लिख दूँ
Kavi DrPatel
जान बेजान थी मुस्कुराने लगी ।
Kavi DrPatel
प्रथम कविता प्रणय की जब किसी कवि ने कही होगी ।
Kavi DrPatel