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हिंदी है भारत की बिंदी ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
Jitendra Anand
ऑगन में भी चहके - महकें ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
Jitendra Anand
मेरे स्वर संगम सँग वीणा अंतरमन ने ( गीत) जितेंद्रकमलआनंद
Jitendra Anand
रंग सारे छोडकर ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
Jitendra Anand
खोलो उर के द्वार बंद ऑखों को खोलो ( गीत )
Jitendra Anand
कविता : हुआ अपेक्षित है आवश्यक
Jitendra Anand
इस स्थावर जंगम जगत् का जो मूल तत्व( घनाक्षरी)
Jitendra Anand
परमब्रह्म हैं जो परमपुरुष जिनसे ( घनाक्षरी)
Jitendra Anand
हरि- नारायण,विष्णु जो कृष्ण के स्वअंश हैं( घनाक्षरी)
Jitendra Anand
जग गया भारत : जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट १६२)
Jitendra Anand
मंजरी को चाहता हूँ ( गीत ) पोस्ट -२३जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६५)
Jitendra Anand
घनाक्षरी:: मेरे लिए कुछ भी न दूर और : जितेंद्र आनंद( पो १६३)
Jitendra Anand
मुक्तक: हर सुबह एक नई प्यास: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६२)
Jitendra Anand
हम मानव हैं हरित धरा के :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १५९)
Jitendra Anand
हरषाती धूप : जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट १६१)
Jitendra Anand
यह ब्रह्मही है आत्मा ,आत्माही है: जितेन्द्र कमल आनंद ( पो १४२)
Jitendra Anand
सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं:: जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट१४०)
Jitendra Anand
फिर एक ग़ज़ल --- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट १४०)
Jitendra Anand
स्वप्नवत् हो भ्रांतियॉ जिसके :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१३९)
Jitendra Anand
युग निर्माण करें सब मिलकर::-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १३८)
Jitendra Anand
प्रिये लेखनी , सखी -- संगिनी :-- जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट १३७)
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नीरसमें भी रसमिलता है :-- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१३६)
Jitendra Anand
१३५ : अंतस जब दर्पण बन धुँधलाता यादों को -- जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट१३५)
Jitendra Anand
मुक्तक: हर सुबह एक नई आस लिए होती है:- जितेंद्रकमलआनंद( १३२)
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ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो: जितेंद्र कमल आनंद ( १३१)
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काव्य से अमृत झरे,वेदका वह सार दें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पो १३०)
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जो पिता से प्यार करतीं वो हमारी वेटियॉ: जितेंद्र कमल आनंद ( पो १२९)
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भक्ति- योग से राज- शक्ति का जब हो भण्डारन बाला ( पोस्ट १२८)
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समय बदलते सूखी धरती मुस्काती :: जितेंद्र कमल आनंद
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घूँट सुरा का तीखा होता प्यालों में : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२६)
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२५)
Jitendra Anand
यज्ञ के लिए भी पंच गव्य जो प्रदान करें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पोस्ट१२४)
Jitendra Anand
सुरभि,सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला :: जितेंद्रकमलआनंद (१२३)
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परहितार्थ हम जैसा करते सत्य उसी को:-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२२)
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बाद| तुम्हारे जाने के कल::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट १२१)
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बनें सभी सत्पथ अनुगामी ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११९)
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उड़ चला हंस फिर विश्वास पा कर": जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११९)
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सुंदर हो सपने कैसे साकार लिखो :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ११८)
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मुक्तक ::: बना रहे सम्बंध प्यारका::: जितेन्द्र कमल आनंद ( ११७)
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जगतमें हो कोई न उदास :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११६)
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अनेक एक हो जाते हैं( शेष भाग) जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट११५)
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अनेक एक हो जाते हैं ! -----जितेन्द्र कमलआनंद ( ११३)
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कवि रामकिशोर वर्मा जी!
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याद रखो ! शक्ति का जहॉ होता है दुरुपयोग: जितेंद्र कमल आनंद ( ११२)
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मन सुमन को चाहिए लब मुस्कराते: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट११२)
Jitendra Anand
रस लीजिए आध्यात्मिक साहित्यिक : जितेन्द्रकमल आनंद (१११)
Jitendra Anand
बीज बोये आपनेजो महराजयोगके :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११०)
Jitendra Anand
जीवितरहने की स्पृहा ही तेरा है बंधन:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०९)
Jitendra Anand
स्वयंकोविश्वरूप संशयमुक्तजानकर:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०८)
Jitendra Anand
कुछ कह न सका अथरों से तभी:: जिते द्रकमलआनंद( पोस्ट१०७)
Jitendra Anand