Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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पन्नों पे जो लिखा उन्हें, कलम नशीला हो गया
Shanky Bhatia
एक ख्वाब गुज़रा आज बड़े करीब से
Shanky Bhatia
हमारी ग़ज़लों से नशा, हर हसीं को होता है
Shanky Bhatia
हाँ तेरी नजरों में खुद को गिराना पड़ गया
Shanky Bhatia
अब उम्र भर आंसू का, फरमान हुआ तो क्या हुआ
Shanky Bhatia
ये ज़माना अभी बेखबर ही रहे तो बेहतर है
Shanky Bhatia
गालों पर हल्का सा उभरता ये गुलाल कैसा है
Shanky Bhatia
अब हमको भी लगने लगा कि आए इश्क के बाज़ार में हैं
Shanky Bhatia
पलकें झुकाकर, ज़ुल्फ़ों को संवारा उसने
Shanky Bhatia
हमारी बातों में, ज़िक्र आपका, सालों साल होना तो लाज़मी है
Shanky Bhatia
मैं तन्हा रात काली स्याह देखती रही
Shanky Bhatia
उसकी मासूमियत को हम आँखों से पढ़ लेते हैं
Shanky Bhatia
नज़रें झुक गयी जबसे तुम्हारी अज़मत जानी है
Shanky Bhatia
कुछ तो बात हम में भी है
Shanky Bhatia
उनकी महक से मौसम भी बहकने लगा
Shanky Bhatia
आपके होठों पे इक मुस्कान बिखर जाए तो अच्छा
Shanky Bhatia
वो चाहते हैं उनके शब्दों को महसूस करें हम
Shanky Bhatia
उनकी नेहा के रंग
Shanky Bhatia