Bikash Baruah 100 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read हाईकू (क) कुछ नहीं मेरे पास सिर्फ जज्बों का सौगात आज की बेतुकी बात । (ख) जिंदगी लगती मौत दिल पर करती आघात दिन भी लगती रात । (ग) जख्म पर... Hindi · हाइकु 292 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read दिल धड़कने धड़क ने से बनती नहीं है दिल, दिल को पूर्ण करती है जज्बातों की गठरी , जैसे आकाश की शून्यता पुरी करती है सूरज, चाँद, सितारें और बादलो की... Hindi · कविता 622 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read प्रकृति उफ ये बारिश रुकने का नाम कमबख्त नही लेता, न जाने कितने दिनो से लोग घर से बाहर या बाहर शिविर से घर आ या जा नही कर पा रहे,... Hindi · कविता 452 Share Bikash Baruah 18 Aug 2017 · 1 min read अजीब सपना मैं बैठा था घर में अकेला कोई पास नहीं था मेरा , तभी अचानक एक सपना आया मुझे अपने जाल में फंसाया; सपना मुझे ले गया वहाँ, जहाँ सब कुछ... Hindi · कविता 250 Share Bikash Baruah 17 Aug 2017 · 1 min read निडर बन तू उठ मेरे भाई निडर बन,कर लड़ाई, रोक न ले कदम तू तेरे हाथो है देश की लाज बचाले इसकी सर की ताज, वर्ना कहेंगे बुजदिल तुझे खुन में न... Hindi · कविता 1k Share Bikash Baruah 14 Aug 2017 · 1 min read नाउम्मीदि क्या पाया कुछ भी तो नही क्या खोया कुछ भी तो नही, जिन्दगी गुजर रही है बस यूंही उम्मीद या मंजिल कुछ भी नही । लााखो कोशिशे की जिंदगी संवारने... Hindi · कविता 362 Share Bikash Baruah 13 Aug 2017 · 1 min read आशा और कोशिश आशा की उड़ान सभी भरते है मगर हर कोई मंजिल तक पहुंचते नहीं, रह जाते है जो दूर मंजिल से अपनी कर नही पाते वे जीवन में कुछ भी, फिर... Hindi · कविता 1 440 Share Bikash Baruah 11 Aug 2017 · 1 min read त्रिरंगा बहुत धुम मची है आज बाजारों में त्रिरंगे वीक रही है ऊँची कीमत पे , शायद देश तरक्की की ऊंचाइयां छु रही है , तभी तो इतनी ऊंची कीमत पर... Hindi · कविता 253 Share Bikash Baruah 10 Aug 2017 · 1 min read फूल दामन में काँटे लिए खिलते और मुस्कुराते, सबक जिंदगी का हमें सिखलाते, न कोई वह साधु-महात्मा न कोई राजा कहलाते, दुनिया में खुशबु बिखेरती वह तो फूल कहलाते । पलभर... Hindi · कविता 501 Share Bikash Baruah 8 Aug 2017 · 2 min read वह बूढ़ी मैं बस में बैठा था । अचानक कुछ लोग एक बूढ़ी को पकड़कर बस में चढ़ा दिया । बूढ़ी काफी गुस्से में थी । बस में ज्यादा भीड़ न थी,... Hindi · लघु कथा 326 Share Bikash Baruah 8 Aug 2017 · 1 min read एक सबक तुम भयभीत न होना मेरे दोस्त काली बादलों के छाने से, आंधी-तूफानों की आहट से, ये महज रोड़ें हैं रास्तों के कदम जिन पर तुम्हें रखना हैं, पीछे नहीं तुम... Hindi · कविता 275 Share Bikash Baruah 8 Aug 2017 · 1 min read एक सपना एक सपना देखा था उन्होंने देश को राम राज्य बनाने का, पर सपना तो सपना ही रह गया देशसेवा के बदले वह अपना सीना गोलियों से छल्ली कर गया; आज... Hindi · कविता 240 Share Bikash Baruah 8 Aug 2017 · 1 min read भूल बैठे हैं जाने क्या माजरा हैं क्यों लड़ाई की बातें सभी कर रहे हैं, क्या मिला है क्या मिलेगा युद्ध से हल नहीं निकलेगा, क्या करोगे जमीन जीतकर जीतना हैं अगर दिल... Hindi · कविता 310 Share Bikash Baruah 7 Aug 2017 · 1 min read क्या चाहता है कवि ? क्या चाहता है कवि ? कि बहुत कुछ चाहते है कवि, जब भी मंच पर खड़े हो कविता पाठ करने को , मिले उसे महफिल ऐसी हो जिस में श्रोता... Hindi · कविता 594 Share Bikash Baruah 7 Aug 2017 · 1 min read हौसला पतझड़ बेशक कुम्हला सकती है फूलों को, मगर गुलशन पुरी तरह उजड़ नहीं जाती; बहार एकबार फिर आती है फूल खिलते है बाग में, सजते है गुलशन फिरसे हौसला उसकी... Hindi · कविता 272 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read वर्तमान यांत्रिक युग के लोग हम, दिमाग ज्यादा दिल है कम; बटन दबाकर सब कुछ करते, महल बनाते घर उजाड़ते ; आसमान में उड़ना सीखकर, भूल गया अब चलना जमीन पर;... Hindi · कविता 391 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read दोस्ती दोस्ती इबादत की तरह दोस्त खुदा की तरह मिलना मुश्किल दोनो ही मगर मिल जाए तो तुम उन्हें खोना नहीं, क्योंकि मुसीबत में याद करते हम सिर्फ उन्हें ही । Hindi · कविता 228 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read वजूद जब कभी कुछ सोचा चाहा कुछ करने को, लाखों अर्चनें खड़े हुए पथ मेरे रोकने को, समझ कंकड़ मुझे सब हर कोई फेंक देते कुएँ-तालाब में, आँखो में चुभ जाता... Hindi · कविता 446 Share Bikash Baruah 6 Aug 2017 · 1 min read आओ विद्रोह शुरु करें आओ विद्रोह शुरू करें उन देशवासियों के खिलाफ, जिन्हें नाज होता हैं विदेशी बोली बोलने में, विदेशी ढंग अपनाने में, कुसंस्कारों को नई रंग देने में, रहकर अपने ही देश... Hindi · कविता 264 Share Bikash Baruah 3 Aug 2017 · 1 min read खानाबदोश आसमान में उड़ते परिंदों की तरह इस जगह से उस जगह आशाओं की उड़ान भरते हुए अनगिनत ख्वाबों को अपने आँखों में सजाए हुए चलते रहते हैं हरदम, न कोई... Hindi · कविता 583 Share Bikash Baruah 2 Aug 2017 · 1 min read मन मन शांत रहे कैसे जब देखूं अशांत जन जीवन, मरघट बन चुका यह धरती सुनहरी नहीं कोई दोस्त ने कोई परिजन; नजर दौराऊँ जहां तक पाऊँ हर तरफ मैं व्यापार... Hindi · कविता 338 Share Bikash Baruah 2 Aug 2017 · 2 min read क्षुधा रात का वक्त,रास्ता एकदम सुनसान था। आकाश को छूती स्ट्रीट लाइटें अपने-अपने कर्म में व्यस्त थी। दूर गगन में तारे टिमटिमा रहे थे और चांद अपनी रफ्तार से आगे बढ़... Hindi · लघु कथा 445 Share Bikash Baruah 2 Aug 2017 · 1 min read ओस की बुन्दे सितारों की है चमक मोती सा है लगता मोल नहीं कोई अनमोल है सुंदर भेंट है कुदरत का, कैसे बखान करूँ उसकी जुगनू की तरह है लगता कभी आकाश में... Hindi · कविता 1 1 507 Share Bikash Baruah 31 Jul 2017 · 1 min read कुर्सी चार पैरों की बनी हुई एक निर्जीव वस्तु, जो देखने में अति साधारण एक अंश है हमारे आम जीवन की, मगर आज कुर्सी की अहमियत दुनिया में बढ़ती नजर आ... Hindi · कविता 460 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read चौबीस मार्च, 2004 की चोरी अखबार में आई है खबर किसीने चोरी की है गुरुदेव की नोबेल पुरस्कार, जो स्मृति थी उनके योगदान की एक यादगार था उनके महानता की, अपने गुलाम देश के लिए... Hindi · कविता 314 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read ताजमहल कब्र पर महल बनाकर भी कोई किसी की जान बचा नही सकता, कुदरत का कानून कभी बदला नही और न कोई बदल सकता; क्या बादशाह क्या फकीर क्या अक्लमंद क्या... Hindi · कविता 401 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read अगरबत्ती बदन पर शोला दहकाति जलकर फना हो जाती, फिर भी जूबाँ से कभी उफ निकलती नहीं ; किसी से कभी शिकवा न करती ऊंच-नीच का भेद न रखती , सभी... Hindi · कविता 533 Share Bikash Baruah 30 Jul 2017 · 1 min read मेरा प्यारा असम चारो ओर है हरियाली छाई जहाँ पहाड़ों से निर्झर बहती तरह तरह के जाति-जनजाति भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृति फिर भी अटूट एकता यंहा की , धन्य हुआ यंहा जन्म लेकर... Hindi · कविता 1 2 7k Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read दोराहे श्मशान और कब्रिस्तान के दोराहे में खड़ा हुँ मैं कन्धो पर अपनी ही बेजान लाश को उठाए अजीब उलझन में हुँ, सोच रहा हुँ अब अपनी लाश का क्या करुँ,... Hindi · कविता 647 Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read मुस्कुराहट ठंड में कंबल ओढ़े सड़क पर बैठे हैं न छत न दीवार ना ही तन को ढकने लायक कपड़ा, भूख से हरदम लड़ते आँखो से आँसू नहीं खून टपकते रहते,... Hindi · कविता 214 Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read पहाड़ आँखे खूली है फिर भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा चारों तरफ है अंधेरा मानो सामने एक पहाड़ हो और उस ओर से रोशनी आ नही पा रहा, यह पहाड़... Hindi · कविता 338 Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read मौत हर गली कूचे में सड़क पर या किनारे बंगलों या मकानों में बहुत सस्ते में यह आज बिकती या मिलती है, क्योंकि जिंदगी आजकल बहुत महंगी हो गई है, इसे... Hindi · कविता 255 Share Bikash Baruah 29 Jul 2017 · 1 min read खाली-खाली सब कुछ है खाली-खाली, खाली मकान खाली घर खाली मन खाली शरीर खाली जग के सब नारी नर, फिर भी सब छुपाते खालीपन क्योंकि सबको सबसे है जलन, खाली से... Hindi · कविता 342 Share Bikash Baruah 27 Jul 2017 · 1 min read देशप्रेम प्रेम देश से करते गर देश की हालत न होती ऐसी झूठी भक्ति झूठा प्रेम दिखाकर देश की करती ऐसी की तैसी, फिर भी उम्मीद है सब को बेहतर होंगे... Hindi · कविता 252 Share Bikash Baruah 27 Jul 2017 · 1 min read देशप्रेम प्रेम देश से करते गर देश की हालत न होती ऐसी झूठी भक्ति झूठा प्रेम दिखाकर देश की करती ऐसी की तैसी, फिर भी उम्मीद है सब को बेहतर होंगे... Hindi · कविता 267 Share Bikash Baruah 5 Jul 2017 · 1 min read नारी सुबह की किरन से पहले धरती को जो चमकाए, हाथों से मोती बिखेरने वह दौड़ी चली आए; भाग बनाए वह सबके और दबी कुचली जाए, दिखावा झूठी हमदर्दी की हरपल... Hindi · कविता 233 Share Bikash Baruah 5 Jul 2017 · 1 min read नारी हुँ पर माँ नहीं माँ की गर्भ से जनम लेने वाली मैं एक नारी हुँ, पिता की लाडली कहलानेवाली दुलारी हाँ मैं नारी हुँ, मगर विवशता है मेरी नारी की असली अस्तित्व 'माँ'की पहचान... Hindi · कविता 361 Share Bikash Baruah 4 Jul 2017 · 1 min read जाति-धरम किस जाति से रिश्ता था जनम से पहले कौन-सा धरम होगा तुम्हारा मृत्यु के बाद उलझन है यह अजीब सा क्या जवाब दे पाएगा बना बैठा है आज ठेकेदार जो... Hindi · कविता 554 Share Bikash Baruah 1 Jul 2017 · 1 min read आकाश सब कुछ समा जाते मगर वह किसी में समा नहीं पाते, हर कोई उसे छुना चाहते वह किसी को छु नहीं पाते, कैसी विडंबना है देखो इतना विशाल है मगर... Hindi · कविता 354 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read बाढ़-पीड़ित और क्रिकेट प्रेमी दो कतारों में सड़क पर लोग दौड़ रहे हैं, एक कतार में बाड़-पीड़ित दूसरे में क्रिकेट प्रेमी हैं; भाग रहे हैं बाड़-पीड़ित रोटी और कपड़ों के लिए, दौड़ रहे है... Hindi · कविता 202 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read एक दर्जी हाथ में सूई लिए एक दर्जी कोशिश कर रहा है सूई में धागा डालने की, बहुत कपड़े पड़े हुए है सीने के लिए, कुछ अमीरों के कुछ गरीबों के, दुल्हन... Hindi · कविता 735 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read एक दर्जी हाथ में सूई लिए एक दर्जी कोशिश कर रहा है सूई में धागा डालने की, बहुत कपड़े पड़े हुए है सीने के लिए, कुछ अमीरों के कुछ गरीबों के, दुल्हन... Hindi · कविता 533 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read घर मुझे मालूम नहीं जहाँ मैं रहता हूँ वह घर है या मकान! यों तो लोग रहते है पर एक दूजे से अनजान, सब कुछ है फिर भी लगता है सब... Hindi · कविता 450 Share Bikash Baruah 30 Jun 2017 · 1 min read पंखा न जाने कितने दिनों से अविराम गति से वह घूर्णन क्रिया में लीन अपने कर्तव्य को निष्ठा से लगातार पालन कर रहे है और हमे कर्तव्यनिष्ठा का पाठ सिखाने की... Hindi · कविता 526 Share Bikash Baruah 29 Jun 2017 · 1 min read कविता क्या है कविता कवि की मजबूरी या एक सोच सृष्टि या विनाश की या फिर एक कोशिश मानवीयता कायम रखने की । Hindi · कविता 400 Share Bikash Baruah 29 Jun 2017 · 1 min read भूख पेट की अँतरियों पर जब बल पर जाता है रेगिस्तान की सूखी रेत की तरह जब होंठ सूख जाते है चलते चलते जब पैरों में छाले पर जाते है तब... Hindi · कविता 544 Share Bikash Baruah 27 Jun 2017 · 1 min read बदबू बदबू आ रही है आज मानव शरीर से उसके पसीने की नही उसके पाप कर्मों की उसके शरीर में बहते गंदे खून की उसके दिमाग में पल रही अनगिनत जहरीले... Hindi · कविता 527 Share Bikash Baruah 27 Jun 2017 · 1 min read कोयला कोयला काला है उससे नफरत करते सभी सामने भी उसके जाते नही काले पर जाने के डर से मगर उसी कोयले से चूल्हे जलते है घरों के यह लोग भूल... Hindi · कविता 333 Share Bikash Baruah 27 Jun 2017 · 1 min read आदमी आदमी आदमी से परेशान खो दिया इंसानों ने सोचने की ताकत जुल्मों की जंगलों में भटक रहे हैं आदमी देखो कितना लाचार और बेबस हैं आदमी Hindi · कविता 219 Share Bikash Baruah 27 Jun 2017 · 1 min read शरीर गली के चौराहे पर फटे पुराने पोशाक में खड़ी है अपने साथ शरीर को लेकर, न कोई दिशा न मंजिल फिरभी खड़ी है वह शरीर के ईंधन के लिए। Hindi · कविता 263 Share Previous Page 2