पं आलोक पाण्डेय 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पं आलोक पाण्डेय 29 Dec 2020 · 1 min read संक्रमण का खण्डचक्र ! दिव्य सनातन पूर्ण पुरातन सभ्यता का दर्पण ! यह कैसा पुनरावर्तन - विपदा का नर्तन ! पृथ्वी पानी पवन प्रकाश ; सब दूषित कलुषित आकाश ! स्वारथ में परमारथ लूटे... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 21 620 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 2 min read आर्यावर्त की गौरव गाथा आर्यावर्त की गौरव गाथा भ्रमण करते ब्रह्मांड में असंख्य पिण्ड दक्षिणावर्त सुदुर दिखते कहीं दृग में अन्य कोई वामावर्त हर विधा की नवीन कथा में निश्चय आधार होता आवर्त सभी... Hindi · कविता 4 3 648 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 2 min read उन्मादी थूकलमान ! उन्मादी थूकलमान ! घोर घृणा की आग लगी है , भारत की भाग्य वीथिकाओं में ; मुरझा रही नित कोमल कलियां, भिन्न-भिन्न कलाओं में । डरा सहमा सा जीवन वैभव... Hindi · कविता 3 389 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 2 min read मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! _________ विषमय मुखों को तोल-तोल , प्रचण्ड शौर्य हुंकारें खोल ; जहां जिहादें चढ़कर बोले , विघटन -विभेद की भाषा बोले !... Hindi · कविता 3 325 Share पं आलोक पाण्डेय 15 May 2020 · 1 min read मर रही जवानियां ! चीर संस्कृतियों का भव्य देश बंजर हो गया है , दग्ध ज्वालों में घिरे , घीस पत्थर हो गया है ! बेहूदे नग्न नर्तन होते नैतिकता के वक्ष पर ,... Hindi · कविता 3 284 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 2 min read गुप्त वंश के ब्राह्मण शासक - एक अवलोकन गुप्त वंश के शासक और ब्राह्मण - एक समीक्षा ( आप सभी सुहृदजनों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं ) _______ प्रभावती गुप्त, जो चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थी, ने अपने... Hindi · लेख 3 1 2k Share पं आलोक पाण्डेय 8 Sep 2017 · 1 min read धार में ही मिला किनारा डूबा हूँ आँसुओं में, ले दर्द का सहारा ये कम क्या मुझ पर अहसान यह तुम्हारा वे और लोग होंगे व्यथित, लहरों के संग भटके मुझको तो धार में ही,हरदम... Hindi · कविता 2 1 230 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Mar 2018 · 3 min read राष्ट्रोदय यह राष्ट्र मुझे करता अभिसींचित् प्रतिपल मलय फुहारों से , प्रतिदानों में मिले ठोकरों , धिकारों, दुत्कारों से , जो लूट रहे मुझको हर क्षण ,उन कायर कुधारों से ,... Hindi · कविता 2 539 Share पं आलोक पाण्डेय 27 Jul 2018 · 1 min read स्वतंत्रता के स्वर्ण विहान हिन्दुस्थान गीत,अगीत,अनुगीत के विधान तुम , कविता की शब्द-चारूत्ता के शोभा-धाम हो , भूधर-विपिन-लतादिक,भूति-भावित , स्मरण बारंबार , दिव्य-शक्ति कीर्तिमान हो , उपमा के , उपमान के प्रकटित नव्य विधान ,... Hindi · मुक्तक 2 301 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 1 min read पुकारती मां भारती ! पुकारती मां भारती ! हिन्दू साम्राज्य के विपुल ,ध्वंस - परिच्छेद को उघारती , उद्धृत स्मृतियों में विस्तृत भू-भाग को संवारती , निज भुजदण्ड शौर्य - भाल-सिन्धु को प्रवाहति ...... Hindi · कविता 2 4 281 Share पं आलोक पाण्डेय 14 May 2020 · 2 min read बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! नीम की डाली बैठी चिरैयां , चहक-चहक के गावे , शीतल जल में डुबकी लगा के , जीवन सन्देश सुनावे ; खुशहाली... Hindi · कविता 2 7 417 Share पं आलोक पाण्डेय 15 May 2020 · 1 min read विवश राज्य प्रवासी आज अपने देश में सहमें - दबे , बेसुध जन चले जा रहे हैं ... थके क्लांत ... भूखे व्याकुल ... भयाक्रांत ...! भावनाओं में डूबते-उतराते , सोचते विचारते ...... Hindi · कविता 2 329 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 1 min read पूज्य पिता का ध्यान करें पूज्य पिता का ध्यान करें ! शुचि धर्म सत्कर्म के शाश्वत दृढ़ प्रतिमान ; पुण्यभूमि के दीपों का तूझसे ही सम्मान ! मही-व्योम सर्वत्र दिशाओं में केन्द्रीय ध्यान ; तेरे... Hindi · कविता 2 2 241 Share पं आलोक पाण्डेय 11 Jan 2017 · 1 min read नववर्ष धरा पर कब? क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इन दिनों में यह नववर्ष हमें स्वीकार नहीं । अभी ठंड , सर्वत्र धुंध कुहासा , अलसाई अंगड़ाई... Hindi · कविता 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read स्वदेशी लोग स्वदेशी लोग उदासीन जीवन को ले क्या-क्या करते होंगे वे लोग न जाने किन-किन स्वप्नों को छोड़ कितने बिलखते होंगो वे लोग। कितने संघर्ष गाथाओं में, अपनी एक गाथा जोड़ते... Hindi · कविता 1 593 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read चिर विभूति की ओर एक दिवस ना जाने किस दृश्य को भूला ना पाया होगा 'वो' न जाने कहाँ से आया होगा। शिथिल शांत स्वरों के बीच, निरभ्र अंबर को देखे जा रहा था... Hindi · कविता 1 354 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read विध्वंस धरा पर क्यों ? तेरी यादों में जन मुरझाये हुए हैं सोच सोच कर भी सुखाये हुए हैं; क्या यही हश्र होता रहेगा देश कब तक लाल खोता रहेगा! भावनावों में जन आज खो... Hindi · कविता 1 303 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read अखंड भारत की ओर आघातोँ की राहोँ मेँ सुन्दर मुस्कान बढाता जा, राष्ट्रदूत हे वीर व्रती भारत को भव्य सजाता जा, सुस्थिरता को लाता जा । अगणित कर्तव्योँ के पुण्य पथ पर शील, मर्यादाओँ... Hindi · कविता 1 352 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Jan 2017 · 1 min read गौरव उत्थान भारतभूमी की भारत भू वीरोँ का गौरव वीरोँ का स्थान ऋषि मुनि यति तपस्वी योगी करते पुण्य सुखद विश्राम । जहाँ सत्यशोधक लोग बढ़े पूर्ण अहिँसा का स्थान, दया दान करुणा की... Hindi · कविता 1 192 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Jan 2017 · 1 min read शक्ति - पुँज धन -धान्य संपदा यौवन जिनके भूतल में समाये जन्मभूमि के रक्षक जिनने अनेकों प्राण गवाये। जिनके आत्म- शक्ति धैर्य से अगणित अरि का दमन हुआ देखा जग अकूत शौर्य तप,... Hindi · कविता 1 244 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read वीरों की यादें धरा के भव्य सुत तू राष्ट्र रक्षक दूत तू कहाँ करता विश्राम तू स्वाभिमानी बलवान तू; अनन्त कोटि जननायक तू मानवता के लायक तू अरिमर्दन यतींद्र तू हे वीर! व्रती... Hindi · कविता 1 454 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read मंगलमय पुकार करूँ यदि जीवित रहूँ माते, तेरा ही श्रृंगार करूँ अर्पण करूँ सर्वस्व तूझे, हर त्याग से सत्कार करूँ; हो त्याग ऐसा वीरों सी, कलुषित विविध विकार हरूँ पुष्पित - पल्लवित कर... Hindi · कविता 1 501 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read प्राण कहाँ ! हे मेरे भारत के लोग कैसा दुःखद ये संयोग; सह रहे जो आजतक वियोग, क्या मिल पायेगा कोई सफल योग ! नहीं सफल योग मुस्कान कहाँ जीवन जीने की जान... Hindi · मुक्तक 1 272 Share पं आलोक पाण्डेय 19 Jan 2017 · 1 min read भारत भूमण्डल के मंगलस्वरूप ! संसार की सार आधार हो, स्थूल, सूक्ष्म पावन विचार हो दिव्य शांति सौम्य विविध प्रकार जिनसे सर्वत्र क्लांत , क्रंदन की प्रतिकार ! करूणावरूणालया कल्याणकारिणी मनःशोक निवारिणी लीलाविहारिणी तत्वस्वरूपिणी दुःख... Hindi · कविता 1 455 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read आज मेरा मन डोले ! आकुल-व्याकुल आज मेरा मन , ना जाने क्यों डोले..... विघटित भारत की वैभव को ले ले भाषा इंकलाब की बोले आज मेरा मन डोले ! कष्टों का चित्रण कर रहा... Hindi · गीत 1 314 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read कष्ट भरा गणतंत्र जिस मिट्टी को सींचा जिसने लहू से बलिदानी , बचा गये सभ्यता बहु से नयन - नीर भरी , व्यथित ह्रदय , सोच रहा तन मन से कुछ पल कर... Hindi · कविता 1 351 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Feb 2017 · 1 min read तेरी याद सदा आती है तेरी याद सदा आती है.... मुझको तू हरदम भाती है... रहता हूँ शांत भरोसों से ..... पर विकट व्यथित हूँ झरोखों से... है बहुत अधीर है वीर ह्रदय वीरों की... Hindi · कविता 1 494 Share पं आलोक पाण्डेय 10 Mar 2017 · 1 min read आ जा चित्तवन के चकोर स्वर्णिम यौवन का सागर-अपार टकरा रहा तन से बारंबार विपुल स्नेह से सींचित् ज्वार रसमय अह्लादित करता पुकार अन्तःस्थल में उठता हिलोर आ जा ! चित्तवन के चकोर ! सुरभित-... Hindi · कविता 1 553 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Mar 2017 · 2 min read वीरों नववर्ष मना लें हम है तिमिर धरा पर मिट चुकी आज भास्वर दिख रहे दिनमान , शस्य - श्यामला पुण्य धरा कर रही ; वीरों तेरा जयगान ! शुभ मुहुर्त्त में,महादेव को, सिंधु का... Hindi · कविता 1 393 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Mar 2017 · 1 min read मंगल नववर्ष मनाएंगे गाँव-गाँव में शहर-शहर में, कैसी छायी उजियाली है; खेतों में अब नव अंकुर , नव बूंद से छायेगी हरियाली है | बहुत कुहासा बीत चुका अंतर्मन का ठिठोर मिटा, नवचेतन... Hindi · कविता 1 285 Share पं आलोक पाण्डेय 26 Mar 2017 · 1 min read काहें ! भूल गयले रे भाई ! काहें भूल गयले रे भाई ! अब आपन नया साल के मनाई ! काहें भूल गयले रे भाई ! जीवन के सौम्य - श्रृंगार के प्रकृति के बसंत-बहार के भारत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 504 Share पं आलोक पाण्डेय 16 May 2017 · 6 min read गौ - चिकित्सा गर्भ समस्या... गौ - चिकित्सा .गर्भ समस्या । - गौ - चिकित्सा .गर्भ समस्या ।गर्भ सम्बंधी रोग व निदान=======================१ - गर्भपात रोग==============कारण व लक्षण - यह एक प्रकार का छूत का रोग... Hindi · लेख 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 25 May 2017 · 2 min read वीरव्रती बंटी तू मानवता के मूर्त्तमान, हे धर्मवीर ! तुझसे सम्मान प्रकृति के सदय पोषक तू, कंपन-व्यथन के अवशोषक तू | नित भिडे धरा पर शोषक से तू ; कवलित कर दे... Hindi · कविता 1 452 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jun 2017 · 2 min read आर्त्त गैया की पुकार कंपित! कत्ल की धार खडी ,आर्त्त गायें कह रही - यह देश कैसा है जहाँ हर क्षण गैया कट रही ! आर्त्त में प्रतिपल धरा, वीरों की छाती फट रही... Hindi · कविता 1 347 Share पं आलोक पाण्डेय 10 Jun 2017 · 1 min read ये देशद्रोही कौन हैं ! अभि कल तक जो देशद्रोह फैलाते मानवता पर गौण हैं, सेना को अपमानित करी,लोगों को कटवाया वर्षों से गोवध करने वाले आज मौन हैं; पहचान ! भारत ये कौन हैं... Hindi · कविता 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 12 Jun 2017 · 1 min read धरा का तु श्रृंगार किया है रे ! तू धीर, वीर ,गंभीर सदा जीवन को उच्च जिया है रे, तु दुःखियों को सींचित् कर श्रुति स्नेह से कैसा ,ह्रदय रक्षण किया है रे ! तु भाग्य विधाता से... Hindi · कविता 1 426 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Jun 2017 · 1 min read योग दर्शन वृहत्तर भारत के अमर वंश की, उच्चत्तम यही कहानी है - ज्ञानी,ध्यानी,व्रती वीरों की योगमय रही जवानी है.. वसुधा सींचित् होती रही पुण्यों से मानवता की बेमोल निशानी है; ऋषि... Hindi · कविता 1 288 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Jun 2017 · 1 min read स्वर्णिम भारत की बेटियाँ संसार की सार अाधार हो तुम जीवन की हर सत्कार हो तुम मंगल शांति सुविचार हो तुम हर वीर मन की पुकार हो तुम प्रतिपल मन कहता हे बेटी जंजीरों... Hindi · कविता 1 416 Share पं आलोक पाण्डेय 5 Jul 2017 · 1 min read आ जाना मेरे पास प्रिये ! अभि कल तक तुमने यूं ही प्यार किया , अहो विलक्षणी ! तुने कैसा श्रृंगार किया, रूपसी! तु मुस्कुराकर यों ही विसार ली, पाँव , चमकती दुनिया में कैसे पसार... Hindi · कविता 1 319 Share पं आलोक पाण्डेय 7 Sep 2017 · 1 min read ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा महासमर की बेला है वीरों अब संधान करो, शत्रु को मर्दन करने को, त्वरित अनुसंधान करो | मातृभू की खातिर फिर लहू बहाना होगा; ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा|... Hindi · कविता 1 421 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Sep 2017 · 1 min read कहो सत्य कथा विस्तृत ! अहो बन्धु ! कहो सत्य कथा विस्तृत शुद्ध-भाव,उन्नत विचार लेकर हूँ प्रस्तुत योगिराज की ध्यान सुना दो या सुना दो जयघोष, हिमालय सा अटल, हिमगिरी की गंगा सा निर्मल अहा... Hindi · कविता 1 568 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Dec 2017 · 2 min read आहत ग्रामवासिनी मर्माहत कल ! उम्र बीत गयी ज्यों दासता के तले, मरकर यों ही ना दु:ख भूलाया कभी , मरना , है जीवन की एक दृढ कड़ी देखा एक मरा है , अभी-अभी !... Hindi · कविता 1 391 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jul 2018 · 1 min read जीवन की धार समझ जीवन की धार समझ ================== रूप चमका- चमका के यों ही ज्यों मतंग मलंग घुमत ह्वै फटी गुदरीया , लुटी डुगरिया मनवा फिरंगी बन भनत चलत ह्वै । तन ऐंठे-ऐंठे... Hindi · कविता 1 289 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2018 · 2 min read रक्तिम - भँवर ?रक्तिम - भँवर? -------------------- --------------------- भर - भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों... Hindi · कविता 1 504 Share पं आलोक पाण्डेय 31 Dec 2018 · 1 min read धरणी नववर्ष क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इस राहों में यह नववर्ष कभी स्वीकार नहीं । अभी ठंड है सर्वत्र कुहासा , अलसाई अंगड़ाई है,... Hindi · कविता 1 298 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read रसिक मित्र कुछ हैं मेरे रसिक मीत कुछ जिन्हें भाता संगीत कुछ अन्याय से होते विभीत स्वभाव से कुछ हैं विनीत| देख ललनाओं का सौम्य श्रृंगार मिलता!सुकून इन्हें शांति और प्यार नवयौवना... Hindi · कविता 1 237 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read माँ तूझे भूला ना पाया ! माँ! एक दिवस मैं रूठा था बडा ही स्वाभिमानी बन , उऋण हो जाने को तुमसे भी विरक्त हो जाने को, त्यागी बन जाने को ! घर त्याग चला कहीं... Hindi · कविता 1 343 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read नवल प्रभात बीति रजनी तम से कोसों दूर दीप्त एक स्वच्छ सुदृढ , सुह्रद उदय नवल प्रभात धरा पर आती स्वर्णिम रश्मियाँ तप-त्याग प्रखर-पुँज की अनंत शक्ति को करती समाहित सौम्यता, सारगर्भित... Hindi · कविता 1 256 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read विक्षोभ विक्षोभ ——————– स्तब्धित दिशाएँ बेकली हवाएँ व्यथित अंबर कह रहा आज – बेहद निर्मोही , बडी निर्दयता से ‘ कैसी ‘ – मिट रही , क्यों कोई मिटा रहा लाज... Hindi · कविता 1 418 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read पूछ रहा मूझसे स्वदेश ! पूछ रहा मुझसे हिमालय, पूछ रहा वैभव अशेष, पूछ रहा क्रांत गौरव भारत का, पूछ रहा तपा भग्नावशेष ! अनंत निधियाँ कहाँ गयी, क्यों आज जल रहा तपोभूमि अवशेष; कैसे... Hindi · कविता 1 155 Share Page 1 Next