अमृता मनोज Language: Hindi 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अमृता मनोज 8 Aug 2018 · 1 min read सहेलियाँ मेरी कलम से... friendship day special * बचपन वाली सहेलिया* दिन बीते, समय गये.. बचपन गये, बचपने गये.. गई हँसी और ठिठौलीयाँ सारी... संगी गये ,साथी गये... बस यादों मे... Hindi · कविता 1 442 Share अमृता मनोज 8 Aug 2018 · 1 min read एक था बचपन बचपन की याद मे लिखी मेरी कविता✍ ?एक था बचपन? बचपन के दिन भी क्या दिन थे, कभी खेला,तो कभी मौज मेलों के दिन थे?? जब छोटे बच्चे थे तो... Hindi · कविता 1 350 Share अमृता मनोज 14 Apr 2018 · 2 min read मै पुरूष बोल रहा हूँ # मैं पुरूष बोल रहा हूँ# मैं पुरूष बोल रहा हूँ.. दिल का मर्म खोल रहा हूँ.. मैं पुरूष बोल रहा हूँ.... बचपन से सब यही सिखाते.. लडके आँसू नही... Hindi · कविता 207 Share अमृता मनोज 4 Oct 2017 · 2 min read अनाथ ##अनाथ## जन्म तो मैंने भी लिया था *माँ* के कोख से... आसमान से ना आ टपकी थी.... फिर जाने क्यो रुठी माँ मुझसे... और किसी "अनाथालय" मे जा पटकी था...... Hindi · कविता 1 3k Share अमृता मनोज 25 Sep 2017 · 1 min read बेटी #बेटी# माँ मै हू एक नन्ही किरण तेरे कोख की.. मै ही तो हू तेरा वजूद.. तूझमे ही तो मै हू समाई,तू ही तो है मेरी परछाई.. फिर कैसे सोच... Hindi · कविता 506 Share अमृता मनोज 20 Sep 2017 · 2 min read डरता बचपन? सहम जाता हूँ माँ जब "आँचल" से तेरे दूर होता हूं.. एक रूह सी काप उठती दिल मे जब आँखों से तेरे ओझल होता हूँ... अपने दिल की धडकनों को... Hindi · कविता 307 Share अमृता मनोज 20 Sep 2017 · 1 min read सूना आँगन सूनी कोख उसके गम को क्या कहेगें सीने पर रखा पत्थर है.. नीत झर झर बहते आँसू है सूना आँगन है सूनी कोख.. दिल मे छूपी एक न्नही परी खिलखिला कर हँसती... Hindi · कविता 1 407 Share