Akhilesh Mehra 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Akhilesh Mehra 16 Jun 2018 · 1 min read लौकतंत्र लंगड़ा हो गव लौकतंत्र लंगड़ा हो गव अंधे हो गये पहरेदार रपट लिखाने के पैसा मांगे चमचे हो गये पत्रकार।। लोकतंत्र लंगड़ा हो गव........ जजवा हुन खुदैई न्याय मांगे इज्जत हो रही तार... Hindi · कविता 1 1 262 Share Akhilesh Mehra 6 Jun 2018 · 1 min read मैं परेशान हूँ मैं परेशान हूँ मैं परेशान हूँ इस मुल्क की सियासत से लाभ जिनको मिलना है उनको मिलता नहीं।। महलो बाले झोपढी बना रहे, झोपढी बाले तरसे आशियाने को मैं परेशान... Hindi · कविता 1 431 Share