डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 20 Sep 2019 · 1 min read *"ये वक्त"* *"ये वक्त"* वक्त ही तो तुम्हे -मुझको, अगढ़ से सुगढ़ बनाता है। यही वो वक्त है जो हमको, अपने-परायों से मिलता है। समय ही है जो चलता जाता है, रुकता... Hindi · कविता 1 437 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 16 Sep 2019 · 1 min read *"तुम्हे पैगाम"* *"तुम्हे पैगाम"* चाहत किसे है कितनी, नही ये बात कहने की। कहने को बहुत कुछ है, पर बातें तमाम नही करते।।१।। अंतरंग पलों को हम यूँ, चौराहों पे आम नहीं... Hindi · कविता 1 278 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 11 Sep 2019 · 1 min read हिंदी राष्ट्र बनायें *"हिंदी राष्ट्र बनायें"* हिंदी सुने - सुनाएं हम। हिंदी राष्ट्र बनाएं हम।। हिंदी के गुण गायें हम। हिंदी पर इतरायें हम।।०।। हिंदी को अपनायें हम।।१।। थोड़े कष्ट उठायें हम। थोड़े... Hindi · कविता 1 1 361 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 8 Sep 2019 · 2 min read स्वयं सहारा *स्वयं सहारा* सदा रहा है - दिया तले अंधियारा, किन्तु दीपमाल दीपित उजियारा।। स्वयं उठो और बढ़ते जाओ, बन निज का स्वयं सहारा।। निज विचारों की काट छांट कर, कब... Hindi · कविता 1 338 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 7 Sep 2019 · 1 min read मेरा चाँद "मेरा चाँद" करीब से दीदार का, स्वप्न न अधूरा हो। चाँद पे जाने का ख्वाब, न जाने कब पूरा हो।। वक्त ऐंसा गुजरा नही, जो तुझे न घूरा हो। कुछ... Hindi · कविता 1 1 250 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 28 May 2019 · 1 min read मैं तैयार हूँ मैं तैयार हूँ, विचरने को संसार मे, खो जाने को प्यार में, समाने को व्यवहार में, प्रकृति के आर पार में। डॉ. कमलेश कुमार पटेल "अटल" Hindi · कविता 2 227 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 13 Oct 2018 · 1 min read प्रेम बयार लप-डप ध्वनि ध्वनित उर मेरा, कोई तोड़ नहीं है प्रिय तेरा। हर स्पंदन कोमल गीत लगे, तन जलता, मन दीप जले।। डॉ. कमलेश कुमार पटेल "अटल" Hindi · कविता 1 244 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 14 Sep 2018 · 2 min read आशा के दीप “आशा के दीप” मस्तिष्क छोड़ हिय में वापस आजाओ। निज आदर्शों का कुछ तो बोझ हटाओ।। हिय तारों में, फिर झंकार जगाओ। और ऊर्जा ले आशा के दीप जलाओ।।०।। मुझे... Hindi · कविता 1 1 252 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 9 Sep 2018 · 1 min read "प्रभात छौंक" "प्रभात छौंक" सुबह उठी श्रीमती, तीब्र थी बहुत गति। कुछ बुद - बुदा रही, प्रभात गान गा रही।। मिर्चियों का छौंक दे, सोतो को जगा रही। कुक्कुट सी बांग दे,... Hindi · कविता 1 1 483 Share डॉ.कमलेश कुमार पटेल "अटल" 8 Sep 2018 · 1 min read अपने ही व्यवहार से *अपने ही व्यवहार से* क्षुब्ध हूँ, अपने ही व्यवहार से, है बेचैनी, छोटी सी तकरार से।। शांत रहता हूँ, भीरु समझते हैं, उदार रहने में,धीरू समझते हैं। उग्रता में, वे... Hindi · कविता 1 1 399 Share