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12 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

बीते लम्हे वो और , गुज़रे हुए दिन ,
ख़ुद की साँसों में हम , बसाते रहे,
तुझसे माँगा नहीं था , तुझको कभी ,
फिर भी ख़ुद को तुझ पे, लुटाते रहे ।

Language: Hindi
257 Views

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