मुक्तक
बीते लम्हे वो और , गुज़रे हुए दिन ,
ख़ुद की साँसों में हम , बसाते रहे,
तुझसे माँगा नहीं था , तुझको कभी ,
फिर भी ख़ुद को तुझ पे, लुटाते रहे ।
बीते लम्हे वो और , गुज़रे हुए दिन ,
ख़ुद की साँसों में हम , बसाते रहे,
तुझसे माँगा नहीं था , तुझको कभी ,
फिर भी ख़ुद को तुझ पे, लुटाते रहे ।