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25 May 2018 · 1 min read

खानाबदोश

कोई बात नही खुशी ना सही,
गम को ही हम तो दामन में समेट लिया करते है।

आसमां गर ना दे पनाह हमको,
हम तो है “खानाबदोश” किसी के भी दिल में गुज़र कर लिया करते है।

हवाओं में खुशबू बनकर हम तो ऐ जानिब,
उनकी साँसों में जिदगीं अपनी हम तो बसर कर लिया करते है।

र्दद को राहत कभी मिलती नही इसका है यकीं,
जहर को भी दवा समझ हम तो पी लिया करते है।

धड़कता है सीने में दिल हमारे कुछ इस तरह से,
बस तेरे नाम से घड़ी-दर-घड़ी हम तो जी लिया करते है।

लोगों को है गुरुर अपनी रियासतों और रुतबों का,
हमारा क्या यारों,
हम तो अपने फाकों पर भी फ़क्र कर लिया करते है।

#सरितासृजना

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