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2 May 2018 · 1 min read

कैसे कहु

कैसे में कहु तुझसे ।
कुछ बाते मुझमे ही दब सी रह गयी ।।
जिक्र ना कर सका जिन बातों का ।
अब चहरे की रंगत बया कर रही ।।
पर बयां नही हुआ लफ्जो से ।
ये के सा सितम मुझपर है छा गया ।।
कैसे में कहु तुझसे ।
कुछ बाते मुझमे ही दब सी रह गयी

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