Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Apr 2018 · 1 min read

"हम भारत के लोग"

कह रहे “हम भारत के लोग”,कह रहे हम भारत के लोग,
टूटती हम से “हम” की डोर,टूटती हमसे “हम” की डोर,
बट रहा सारा हिन्दुस्ता,बट रहा है हिन्दुस्ता,
जाति और मझहब में हर रोज,जाति और मजहब में हर रोज ।
सांस की उलझी-उलझी डोर, सांस की उलझी-उलझी डोर,
हर तरफ तकरारो का शोर, हर तरफ तकरारो का शोर,
हवा ने इतना ज्यादे जहर,हवा में इतना ज्यादे जहर,
सांस की उलझी-उलझी डोर,सास की उलझी-उलझी डोर,
कह रहे “हम भारत के लोग”,कह रहे हम भारत के लोग,
टूटती हम से “हम” की डोर,टूटती हमसे “हम” की डोर,
बट रहा सारा हिन्दुस्ता,बट रहा सारा हिन्दुस्ता,
जाति और मझहब में हर रोज,जाति और मजहब में हर रोज ।।

Loading...