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18 Apr 2018 · 1 min read

परशुराम स्तुति

परशुराम स्तुति
जय परशुराम जमदग्नि सुत जय रेणुका सुख वर्धकं।
जय दैत्यवन दावानलं जय शत्रु दंभ विमर्दकं।

कर परशु चण्ड शरासनं तलवार शर भयंकरं।
सिर जूट तन मृगचर्म कर रुद्राक्ष स्रज मुनिवरं।

षष्ठावतारं विष्णु द्विजवर भाल त्रिपुण्ड्र मनोहरं।
आवेश खल प्रति अमित सज्जन हेतु अति करुणाकरं।

श्री शंभु प्रिय तपसी सहसभुज दर्प पुंज विनाशकं।
गौ देव द्विज वसुधा उधारक रक्षकं अनुशासकं।

अज ब्रह्म अक्षर शाश्वतं मनवेग गति पथ चालकं।
वासी महेन्द्राचल वसौ मम उर जगत प्रतिपालकं।

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ, सबलगढ(म.प्र.)

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