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4 Mar 2018 · 1 min read

ग़ुरबत उसकी

ग़ुरबत थी उसकी कुछ अपनी ।
निग़ाह यार क्यों बदल गया ।
रंग लगे थे फीके फीके सभी ,
हर रंग बैरंग उसे कर गया ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@..

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