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28 Dec 2017 · 1 min read

"मुक्तक"

“मुक्तक”

तलवारों की क्या कहें, जबतक रहती म्यान।
तबतक जग सुंदर लगे, हाथ रहें बेध्यान।T
एक बार निकली अगर, म्यानों से करवाल-
रक्त चखे बिन कब गई, कब म्यान कर ध्यान।।-1

चंद्रहास रण की चमक, चाँद चमक आकाश।
दोनों के आकार सम, एक सरीखे ताश।
मर्यादा अनमोल है, दोनों के परिधान-
तेज धार जबजब हुई, तब तब हुआ विनाश।।-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

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