Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Dec 2017 · 2 min read

: ?? हाथठेला ??

लघुकथा: ?? हाथठेला ??
बेरोजगारी क्या होती है और कैसे परीक्षा, साक्षात्कार देते-देते राजू को दिन में तारे नज़र आने लगे और राजू को रोज-रोज के घरवालों के ताने, आस-पास पड़ोस के लोगों के ताने सुनकर तंग आ गया था। राजू अभी भी माँ – बाप पर बोझ बने कोई काम धंदा न करते हुए आवारा घुमते-फिरते हुयें मुक्त की रोटियां खां जा रहा था। बहुत सोच विचार कर अपने दोस्त से उधार रूपये लेकर हाथठेला खरीद कर लाया। हाथठेला में फल एवं सब्जियां बेचने लगा। घरवालों को बहुत राहत हो गयी घर में राशन आने लगा और सबको समय पर भोजन मिलने लगा।
राजू सुबह उठकर फल एवं सब्जियां खरीद कर लाया और शीघ्रता से जहाँ सभी अन्य फल एवं सब्जियां विक्रय करते हैं उस जगह जाकर अपना भी हाथठेला लगाकर फल एवं सब्जियां बिक्री करने लगा । एक दिन नगरपालिका का फरमान हो गया चौराहे पर अगर हाथठेला लगाकर फल एवं सब्जियां बिक्री करने वाले को हटाया जायेगा। अगर नहीं हटाया गया तो आपके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी। लेकिन चार-पांच आदमी आते हैं, फल एवं सब्जियां को अपने हाथों से उठाकर जमीन पर रख देते हैं, हाथठेला को लोहे की राड़ व हथोड़े से ठोक – ठोककर पटियां उधेड़ देते हैं, हाथठेला को तहस-नहस कर देते हैं। राजू दोनों हाथ जोड़कर यह सब नजारा देखकर बहुत जोर- जोर से रोता है लेकिन उस शोर में उसके आँसु किसी को दिखाई देते नहीं। राजू असहाय होकर रह जाता है। राजू के सामने कैसे हाथठेला के रूपये दिये जाये यह सवाल गुंजता है। यह बेरोजगार पर कौनसा कानून है । पहले ही बेरोजगार बड़े हिम्मत के साथ अपना स्वयंरोजगार अपनाकर मेहनत कर अपना व परिवार का पेट पाल रहा है और उसके ही मजदूरी में सहायक हाथठेला को तहस-नहस करना कौनसा कानून है? कौन है जो स्वरोजगार को भी जीने नहीं दे रहे हैं, बहुत से प्रश्न राजू के सामने खड़े हैं? अब बेरोजगार क्या करें।
@कापीराइट
राजू गजभिये

Loading...