Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Dec 2017 · 4 min read

हौंसला

हौसला
प्रत्येक ब्यक्ति ने जीवन में कभी ना कभी इस शब्द को अवश्य ही सुना होगा और अनेक रूप में इस शब्द को अपने जीवन में उपयोग भी किया होगा | पढने में यह शब्द इतना महत्वपूर्ण न लगे किन्तु मेरे अपने जीवन में इस शब्द का एक विशेष महत्व है अपने ५८ वर्ष की जीवन यात्रा में जो कुछ भी अच्छा या बुरा धटित हुआ, इस शब्द के कारण मेरा जीवन कभी भी डगमगाया नहीं यदि अतिश्योक्ति ना माना जाये तो में ये कहूँगा की जबसे मैंने होश सभाला था तब से लेकर वर्ष के आज ५९ के पढाव तक मैंने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया किन्तु अपना हौसला नहीं खोया उसीका परिणाम हे की मैंने अपने जीवन में हर वो मुकाम हासिल किया जो मैंने चाहा |
पाठको को मेरा उददेश्य यहाँ सिर्फ यह बताना है की इस छोटे से शब्द हौसला को किसी भी किताब में कोई विशेष स्थान नहीं मिला है जबकि मेरे अनुभव के अनुशार हौसला प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आनेवाली हर परेशानि की उपयुक्त चाबी है | हौसला रखने वाला व्यक्ति अपने किसी भी कार्य में कभी असफल नहीं हो सकता है उसे सफलता हासिल करने के लिये कई बार कोशिस करनी पड़े किन्तु निश्चित रूप से उसे सफलता मिलेगी ऐसा मेरा विश्वास है | अब प्रश्न ये उठता है के हमें हौसला मिलेगा कैसे यह कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु तो है नहीं जो पैसे दे कर खरीद लिया जाये और नाही यह कोई शैली है जिस पर अमल करके इसे हासिल कर लिया जाये | यदि आप हौसलावान बनना चाहते है, बल्कि यदि मै आप से कहूँ कि आप अपनी आने वाले पीढ़ी को हौसलावान बनाना चाहते है तो हर माता पिता को अपने बच्चों को विशेष रूप से तैयार करना होगा और यह तैयारी बच्चे के अपने पैरो पर खड़े होने की प्रक्रिया के साथ ही सुरु हो जाती है ज्योंही बच्चा अपने पैरो पर खड़े होने की कोशिस करता है माता पिता उसके लिए वाकर ले कर आ जाते है और बच्चे को वाकर में बिठा देते है और यही से बच्चे में गिरने का डर पैदा होना शुरू हो जाता है क्यूँ की बच्चे में हौसला तो तभी पैदा होगा जब बच्चा गिरेगा और गिरने के बाद खड़े होने की कोशिस करेगा फिर गिरेगा और फिर उठने की कोशिस करेगा अब आप समझ गये होंगे की किस प्रकार माता पिता अनजाने में ही आने वाले पीढ़ी के हौंसले की तरफ उठनेवाला पहला कदम ही रोक देते है ऐसे बहुत से उदहारण जीवन में मिलेंगे जो माता पिता और नाते रिश्तेदारो के द्वारा बच्चे को आव्य्शकता से अधिक सुरक्षा प्रदान करने की भावना के कारण बच्चों में पैदा होने वाली होसले की प्रक्रियाओ को खत्म कर देते है और आगे चल कर यही आदते बच्चे में डर और हीन भावना पैदा करती है |
मन्युष्य के जीवन में जितनी सुविधाये विकसित हो रही है यदि उनका सही मात्रा में उपयोग किया जाये तो हमारी आने वाली पीढ़ी बहुत ही हौसलावान साबित हो सकती है | नई पीढ़ी के उंदर हौंसले कि कमी ने आज हमारे समाज को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहा कोई किसी की मदद करनेकी की हिम्मत नहीं दिखता है, पडोस के माकन में यदि चार लोग आ कर के गुंडा गर्दी करते है तो हम अपने दरवाजे और खिडकिया बंद कर लेते है, इसी प्रकार सड़क पर यदि कोई हादसा हो जाता है तो वहां घायल की मदद करने के स्थान पर वहां से मुह फेर कर निकल ने की कोशिस कर ते है, किसी दफ्तर में कार्यरत यदि कोई अधिकारी हमारे किसी कम को करने के बदले में हमसे कोई नाजायज मांग करता है तो हम उसका विरोध करने की जगह उसकी मांग को पूरा करने की सोचते है और यह सब सिर्फ इसी लिये होता है क्युकि हम विरोध करने का हौसला नहीं रखते है और हमारे व्यक्तिव में हौंसले की कमी है बल्कि यह कहना उचित होगा की हमारे अंदर हौंसला हे ही नहीं | समाज के अधिकतर व्यक्तियों में हौंसले की कमी होने का ही परिणाम है की आज हमारा समाज लगातार बुरइयो को अपनाता जा रहा है और अच्छाईया लगातार समाज से खत्म होती जा रही है यहाँ यह बताना आवश्यक हे कि यदि हम एक स्वस्थ और सुन्दर समाज के निर्माण की कल्पना करना चाहते है की तो समाज के हर व्यक्ति को इस की सुरुआत सबसे पहले अपने से ही करने होगीं क्यू की अपने अंदर हौंसला बढ़ाने के लिए किस अन्य व्यक्ति की जरुरत नहीं है जब की आने वाले पीढ़ी को यदि हम हौनसलावान बनाना चाहते है तो उसकी शुरुआत भी अपने घर से ही करनी होगी और इसके लिये प्रत्येक स्त्री और पुरुष को सिर्फ एक निर्णय लेना है |
जय हिंद जय भारत

विजय बिजनौरी

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 723 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from विजय कुमार अग्रवाल
View all

You may also like these posts

- तेरा ख्याल -
- तेरा ख्याल -
bharat gehlot
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हालातों में क्यूं हम
हालातों में क्यूं हम
Shinde Poonam
पहले जैसा गाँव नहीं है
पहले जैसा गाँव नहीं है
Kavi Devendra Sharma Dev
मेरा घर
मेरा घर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
" इम्तिहान "
Dr. Kishan tandon kranti
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल
गौभक्त और संकट से गुजरते गाय–बैल
Dr MusafiR BaithA
किसी की यादों में जलती हुई हुईअग्निपरी
किसी की यादों में जलती हुई हुईअग्निपरी
कार्तिक नितिन शर्मा
आपको व आप के पूरे परिवार को नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई एवं बहु
आपको व आप के पूरे परिवार को नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई एवं बहु
Vishal Prajapati
ଅଦିନ ଝଡ
ଅଦିନ ଝଡ
Bidyadhar Mantry
दर-बदर की ठोकरें जिन्को दिखातीं राह हैं
दर-बदर की ठोकरें जिन्को दिखातीं राह हैं
Manoj Mahato
आज विदा हो जाओगे तुम
आज विदा हो जाओगे तुम
Jitendra kumar
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
"आए हैं ऋतुराज"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जब से वो मनहूस खबर सुनी
जब से वो मनहूस खबर सुनी
Abasaheb Sarjerao Mhaske
अच्छा खाना
अच्छा खाना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
उलजी सुलजी डोरी से, नारी को लड़ते देखा
उलजी सुलजी डोरी से, नारी को लड़ते देखा
Anil chobisa
तन पर कपड़े
तन पर कपड़े
Chitra Bisht
sp28 बिना बुलाए कहीं न जाना
sp28 बिना बुलाए कहीं न जाना
Manoj Shrivastava
इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति को उसके अलावा कोई भी नहीं हरा
इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति को उसके अलावा कोई भी नहीं हरा
Devesh Bharadwaj
Thoughts are not
Thoughts are not
DrLakshman Jha Parimal
*है गृहस्थ जीवन कठिन
*है गृहस्थ जीवन कठिन
Sanjay ' शून्य'
एक अजन्मी पुकार
एक अजन्मी पुकार
R D Jangra
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया
Jyoti Roshni
कोई भी दीपक दूसरे दीपक को जलाते समय अपना प्रकाश नही खोता है
कोई भी दीपक दूसरे दीपक को जलाते समय अपना प्रकाश नही खोता है
ललकार भारद्वाज
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
Jp yathesht
मैं ढूँढता चला आंऊगा किसी बहाने से
मैं ढूँढता चला आंऊगा किसी बहाने से
VINOD CHAUHAN
इस बार मुकाबला दो झुंडों के बीच है। एक के सारे चेहरे एक मुखौ
इस बार मुकाबला दो झुंडों के बीच है। एक के सारे चेहरे एक मुखौ
*प्रणय प्रभात*
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"प्रयास"
Rati Raj
Loading...