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23 Nov 2017 · 1 min read

* भोग और भोजन से पहले *

* 23.11.17 *** सांय *** 4.40 *

भोग और भोजन से पहले अब नुमाइश होने लगी है

रस्मो – रिवाज ख़त्म छुपाने का नुमाइश होने लगी है

ख़त्म होने लगा शुकुं जो कभी पर्दे-पीछे था लाज़मी

आज क्षण-सुख कण-सुख बना नुमाइश होने लगी है।

?मधुप बैरागी

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