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2 Oct 2017 · 1 min read

मुक्तक

?कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति?

वंदे मातरम् अलख बनकर जब जब भी जागृति लाता है।
तब मातृभूमि पर हर सपूत…..प्राणों की बलि चढ़ाता है।।
है एक भक्ति बस राष्ट्र भक्ति हर राष्ट्र भक्त संतति इसकी।
पितु – मातु रहित है मातृभूमि…’तनहा’ वो यही बताता है।।

©-डॉ० सरोजिनी ‘तनहा’

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