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8 Sep 2017 · 1 min read

*** मत सोच ***

मत सोच अपनों के बारे में इतना पोच

चलते चलते जब पांव में आ जाये मोच

तब बहके कदमो को सम्भालता कौन

अपने स्वार्थ से भरे होते है ना ऐसा सोच ।।
?मधुप बैरागी

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