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2 Aug 2017 · 1 min read

बहन विरासत है

महज बहन नही हो तुम ,मेरे सपनों की आवाज हो ,मेरे सुनहरे भविष्य का आगाज हो, घर के आंगन की तुलसी हो , माना कि
एक दिन घर छोड़ साजन के घर जाओगी ,
पर माटी मे महक तुम्हारी रहेगी सदा,
ये बात भूलना नही । घर की असल विरासत तो तुम हो और घर के कण कण मे रची और बसी होती हो सुनहरी यादों के रूप मे
भाई तो केवल घर मे दीवार जैसे होते है
जिस पर टिकी संस्कारो की छत ही उसे पहचान देती है वरना सिवाय ईट मिट्टी और गारे के दीवार कुछ नही ।

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