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13 Sep 2016 · 1 min read

दोहे

सावन

भारत में हर मास में, होता इक त्यौहार
केवल सावन मास है, पर्वों से भरमार |1|

रस्सी बांधे साख में, झूला झूले नार
रिमझिम रिमझिम वृष्टि में, है आनन्द अपार |२|

जितने हैं गहने सभी, पहन कर अलंकार
साथ हरी सब चूड़ियाँ, बहू करे श्रृंगार |३|

काजल बिन्दी साड़ियाँ, माथे का सिन्दूर
और देश में ये नहीं, सब हैं इन से दूर |४|

कभी तेज धीरे कभी, कभी मूसलाधार
सावन में लगती झड़ी, घर द्वार अन्धकार |५|

दीखता रवि कभी कभी, जब है सावन मास
बहुत नहीं है रौशनी, मिलता नहीं उजास |६|

कालीपद ‘प्रसाद’

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