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10 Jul 2017 · 1 min read

मेघ,,,, कुछ हाइकु

₹जैहिंद के हाइकु

सुनाई नानी
कल रात कहानी
बरखा रानी ।

मेघ गरजा
जीवों का मन हर्षा
आई बरसा ।

बादल दानी
चली पूर्वा सुहानी
आशाएँ जागीं ।

ठुमके मोर
बच्चे मचाएँ शोर
गिनूँ मैं पोर ।

झींगुर-बोल
दादुर पीटे ढोल
हो गई भोर ।

घन तड़के
लो बारिश टपके
तन तरसे ।

=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
08. 07. 2017

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