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12 Sep 2016 · 1 min read

हमारी हिंदी

नानक कबीर सूर तुलसी बिहारी मीरा
जायसी रहीम रसखान की ये भाषा है
राजकाज सकल समाज की ये वाणी और
भारत के ज्ञान-विज्ञान की ये भाषा है
क्यों न परभाषा की अधीनता को छोड़ें जब
राष्ट्र के आत्मसम्मान की ये भाषा है
नागरी के अक्षर क्षितिज पे उकेर चलें
विश्व देखे भारत महान की ये भाषा है

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