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18 May 2017 · 1 min read

तेवरी

हिंसा से भरा हुआ नारा अब बोले धर्म बचाना है
हर ओर धधकता अंगारा अब बोले धर्म बचाना है |

जो कभी सहारा नहीं बना अपने बूढ़े माँ-बापों का
ऐसा हर लम्पट-आवारा अब बोले धर्म बचाना है |

बस्ती-बस्ती भय पसर रहा, सदआशय थर-थर काँप रहे
संवेगों का चढ़ता पारा अब बोले धर्म बचाना है |

धरती पर बहता खून देख ‘ गौतम ‘ की आँखों में आँसू
हंसों का पापी हत्यारा अब बोले धर्म बचाना है |

गाँधी को गाली ये देता लेता संतों का नाम नहीं
असुर सरीखा-मतिमारा अब बोले धर्म बचाना है |
+रमेशराज

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