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2 May 2017 · 1 min read

मुक्तक

हरबार तुम एक ही नादानी न करो!
हर किसी से जिक्र तुम कहानी न करो!
रूठी हुई है मंजिल प्यार की मगर,
हरबार तुम खुद की कुर्बानी न करो!

मुक्तककार- #महादेव’

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