Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Apr 2017 · 1 min read

तुम्ही बता दो

कितना और कब तक तुम्हे आजमाऊ तुम्ही बता दो,
हमेशा तो झुकाया है सर तुम्हारी ही खिदमत में,
क्या खुद भी टूट कर बिखर जाऊ तुम्ही बता दो,
इत्मिनान कब होगा तुम्हे मेरी बातो पे मेरे हमदम,
क्या सदा के लिए खामोश हो जाऊ तुम्ही बता दो,
आफताब सी लगने लगी है मुझे तुम्हारी मोहब्बत,
क्या धरती सा मैं भी बन जाऊ तुम्ही बता दो,
शख्सियत मेरी गर चुभती हो तो बताओ बेहिचक,
क्या अपनी शोहरत भी गवां दू तुम्ही बता दो,
कुछ भी और कोई भी याद नहीं मुझे तेरे सिवा,
क्या तुझको भी भूल जाऊ तुम्ही बता दो,
हर जतन किया है तुझे पाने का मैंने जाना,
और कैसे ये रिश्ता कैसे निभाऊ तुम्ही बता दो,
सब्र नहीं तुमको मंजिल तक पहुंचने तक का भी,
कैसे मै कदम से कदम मिलाऊ तुम्ही बता दो,
तुम तो बैठे हो सब गवाकर एक हारे हुए मांझी की तरह,
कैसे मैं यू खुद को जिताऊ तुम्ही बता दो,
तुम्हे तो फर्क नहीं है मेरे होने न होने का,
मैं तुमसे कैसे अचानक से दूर हो जाऊ तुम्ही बता दो,
इतने कैसे बेफिक्रे हो गए हो तुम ऐवी ही,
अब तुम्हारे बिना जीवन कैसे बिताऊ तुम्ही बता दो,
बेवजह ही तुमने छोड़ा है मुझे और मेरी मोहब्बत को,
मैं कैसे इस कमबख्त दिल को समझाऊ तुम्ही बता दो,

Loading...