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27 Jan 2017 · 1 min read

अन्दर कुछ गुल खिले

ह्रदय से ह्रदय मिले.
दीप से दीप जले.
दूर या पास रहें,
अन्दर कुछ गुल खिले.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता / साहित्यकार
सर्वाधिकार सुरक्षित.

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