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8 Dec 2016 · 1 min read

दास्ताँ-ए-हिन्दुस्तान

कैसे कहें हम, दास्तान-ए-हिंदुस्तान,

किसी का मर गया ज़मीर,
किसी ने लूट लिया जान,

कैसे कहें हम, दास्तान-ए-हिंदुस्तान,

सियासत की कुर्सी पर बैठे हैं,
सियासी सभी नंगे,
सियासत की गरम जोशी में,
कराते हैं मजहबी दंगे,
लहू लूहान है धरती,
रो रहा है आसमान,

कैसे कहें हम, दास्तान-ए-हिंदुस्तान

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