Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Jul 2016 · 1 min read

मौलिक कवि हूँ मित्रों दिल के भाव लिखता हूँ ।

मौलिक कवि हूँ मित्रों दिल के भाव लिखता हूँ ।
रिसते पुराने जो भि मेरे घाव लिखता हूँ ।।
नदियाँ, तालाब, पेड़, पौधे है मुझे प्यारे ,
रहता शहर में हूँ भले मै गाँव लिखता हूँ ।।

करीब था क़रीब हूँ क़रीब रहूँगा !!
हबीब था हबीब हूँ हबीब रहूँगा !!
दिल में बसे हो आप सुगंध की तरह,
तब से मै खुशनशीब खुशनशीब रहूँगा !!

जो भी दिया प्रभु ने मुझको कम नहीं दिया !
खुशियाँ भरी है जिन्दगी में गम नहीं दिया !!
अहसानमंद हूँ मैं उस परवरदिगार का ,
सोला दिया खुदा ने पर शबनम नहीं दिया !!

आप यूँ हँसते रहो तो गीत गाऊँगा !
शब्द गंगाजल सा मै पुनीत गाऊँगा !!
दिल में मेरे दर्द है तो क्या हुआ जुगनू ,
गुजरा ज़माना याद है अतीत गाऊँगा !!

पी कर दूध नागो की तरह डसना नहीं आया !
फरेबी मित्र से यारों मुझे बचना नहीं आया !!
भुलाकर मान मर्यादा किया सबका चरण बंदन ,
वो आगे बढ़ गया मुझसे मुझे बढ़ना नहीं आया !!

Loading...