बेटी का दर्द
दर्द के समंदर में तड़प रही हैं जिंदगी
खामोशी के चादर में घुट रही है जिंदगी
लोग मुस्कुरा देते है देखकर लबों की हंसी
अंजान है वो की अंगारों से घिरी हुई है ये हसीं
कब तक संस्कारों के नाम पर
घुटेगी एक बेटी
कब तक इज्जत के ताज पर
तिल तिल कर मरेगी बेटी
विद्रोही बने तो तन्हाई पाएगी
खामोश रही तो घुट जाएगी
फिर एक दिन चिल्लाएगी खामोशी घर की
जब फंदे पर लटकी मिलेगी कोई बेटी
फिर बाते चार होगी
बुजदिल नाम से जानी जाएगी
बाप की इज्जत प्यारी है तो
कब तक घुट घुट कर वो मरेगी
हजारों मौत मरने से बेहतर ,
क्यू ना मृत्यु का आलिंगन करेगी
विद्रोही राह में जब साथ ना कोई
तो क्यू न मतलबी जहांन को अलविदा कहेगी
संबंधों की आच में जल रहा है कुंदन
देखो तूफानी अग्नि में पिघल रहा है कुंदन
कुंदन को कुंदन ही रहने दो
ना राख के ढेर में उसको बदलो
संस्कारों का मान सम्मान करिए लेकिन अपनी बेटी बहन को कभी अकेल मत छोड़िए क्यूंकि हर लड़की गलत हो जरूरी नहीं कुछ लड़कियां अपने मां बाप की इज्जत के लिए घुटन साथ समझौता कर लेती हैं
लेकिन सोचिए कि कोई विषैला धुआं अगर एक कमरे में है और आप उस कमरे में कैद हो तो कब तक जीवित रहोगे ,पहले आप किसी से विनती करोगे चिल्लाओगे कि दरवाजा खोल दे,फिर खुद तोड़ने की कोशिश करोगे और अंत में हार गए तो मृत्यु के ग्रास बन जाओगे
तो अपनी बेटी को कैसे इस विषैले घुटन भरे धुएं में छोड़ सकते हो