प्रदीप छंद-स्वास्थ्य
प्रदीप छंद
मात्रा भार-29
यति16,13
पदांत-12
प्रदीप छंद=चौपाई +दोहे का विषम चरण
सृजन शब्द-स्वास्थ्य
रक्षा स्वास्थ्य की है करनी,कर ले निशिदिन योग रे।
सुंदर होगा तन-मन तेरा,मिट जाए सब रोग रे।।
पिज्जा बर्गर मत रे खाना, तला भुना भी छोड़ना।
मीठी-मीठी चीजों से भी,मुख को ही है मोड़ना।।
घर का ही है खाना खाना,त्यागो ढाबे के भोग रे।
सुंदर होगा तन-मन तेरा,मिट जाए सब रोग रे।।
सुबह सवेरे धूमने जाना,धीरे-धीरे दौड़ना।।
रक्त देह का होगा निर्मल,थोड़ा ये भी सोचना।
हृदय घात का भी आजीवन,होगा नहिँ फिर सोग रे।
सुंदर होगा तन-मन तेरा,मिट जाए सब रोग रे।।
कंचन जैसी काया रखनी, दूर करो अवसाद को।
ऐसा बोला वैसा बोला,छोड़ो किसी विवाद को।।
मस्ती में बस हँसना गाना, जले भले फिर लोग रे।
सुंदर होगा तन-मन तेरा,मिट जाए सब रोग रे।।
सीमा शर्मा ‘अंशु विजया’