प्रदीप छंद--रंग
प्रदीप छंद
मात्रा भार-29
यति16,13
पदांत-12
प्रदीप छंद=चौपाई +दोहे का विषम चरण
सृजन शब्द-रंग
सच्चे को झूठा बतलाये, रह जाए सब दंग रे।
रूप दिखाए दुनियां कितने, बदले कैसे रंग रे।
जान लगा दो सारी चाहे,करना मुश्किल है सुखी।
कमियाँ ढूंढे गिन-गिन तेरी,करते हरदम हैं दुखी।।
खुद का दुख बस दुख है लगता, बाकी सब बेढंग रे।
रूप दिखाए दुनियां कितने, बदले कैसे रंग रे।
हाँ में हाँ बस रहो मिलाते, अच्छे तब तक ही लगे।
दर्पण कभी दिखा जो डाला,बने पराए सब सगे।।
विष उगले हैं मुख से ऐसे,जैसे स्याह भुजंग रे।
रूप दिखाए दुनियां कितने, बदले कैसे रंग रे।
पल-पल जीवन घटता जाता, सब जाने इस बात को।
समय बता ही देता सबको,इक दिन तो औकात को।।
कितनी कर ले तू चतुराई, कर्म लेख का संग रे।
रूप दिखाए दुनियां कितने, बदले कैसे रंग रे।
सीमा शर्मा